" भूतिया सिनेमा। "
"वो देख सिनेमा थियेटर। हम पहुंच गए यार। चल पार्किंग साइड रख स्कूटी को।" सुमन ने अपनी चाची कि बेटी लता से कहा। दोनो ही हमउम्र है।
" इतनी जल्दी कैसे पहुंच गए? " लता ने आसपास देखते हुए कहा।
" रात में सिनेमा थियेटर पहुंचने में देर नहीं लगती है। वैसे भी जल्दी घर जाना है तो अब ज्यादा सी. आई. डी. कि तरह इंक्वायरी मत कर । नाईट में सिनेमा देखने का मजा ही कुछ और होता है। जस्ट चिल डूड।" सुमन ने मुस्कुरा कर कहा।
अनमने ढंग से लता ने स्कूटी पार्किंग साइड रखी। दोनों एक साथ सिनेमा थियेटर में पहुंचे। थियेटर में अंदर कि ओर घुप्प अंधेरा है और पर्दे पर सफेद रोशनी नजर आ रही है।
" फाइनली सिनेमा हॉल में पहुंच ही गए। देखो आधे लोग बैठे हुए हैं आगे कि सीटों में। हम यहीं पर गेट के पास वाली सीट में बैठ जाते हैं। फिर जल्दी से घर चले जायेंगे। किसी को भी पता नहीं चलेगा कि हम दोनों आए थे सिनेमा देखने।" सुमन ने कहा तो लता ने हामी भरी। दोनों ही बैठ गई गेट के पास वाले सीट पर।
मूवी स्टार्ट हुईं।
" ये तो हॉरर मूवी है यार। मुझे नहीं देखनी।" लता ने नजरे दूसरी ओर फेरते हुए कहा।
" सच में यहां कोई भूत या प्रेत थोड़ी ना प्रकट हो जायेंगे? ये सब सिर्फ कैमरे और शूटिंग का कमाल है। डर को साईड में रख और हॉरर मूवी का मजा ले। ये सब काल्पनिक है रियल नहीं।" लता का मजाक उड़ाते हुए सुमन बोली। लता अब देखने कि कोशिश करने लगी मूवी को।
"तुम्हारी मौत तुम्हें यहां खीच लाई है..... शायद ही बचकर भाग पाओगी... देखना क्या होता है तुम दोनों के साथ..." एक सफेद परछाई चल रही मूवी में डायलॉग बोलती हुई हंसती है। ऐसा लग रहा हैं कि पर्दे से बाहर आकर वो सफेद परछाई अभी थियेटर में बैठे हुए लोगों पर धावा बोल देगी। लता को अजीब सा महसूस होने लगा।
वो पसीने से भीगने लगी। लेकिन सुमन तो मूवी देखते हुए उसी में रम गई है।

लता ने देखा कि अचानक से थियेटर में बैठे हुए लोग गायब हो गए हैं। सफेद धुआं फैलता जा रहा है चारों ओर। नेगेटिव एनर्जी का अहसास हो रहा है अब।
लता को अजीब सा महसूस हो रहा है मानों सुमन कि जगह कोई नेगेटिव एनर्जी बैठी हो।

लता ने कांपते हुए दाएं हाथ से सुमन के कंधे को छुआ।
जैसे ही सुमन ने अपनी गर्दन लता कि ओर मुखातिब की वह चीख उठी।
उसने देखा कि सुमन का चेहरा सफेद और डरावना दिख रहा है। आंखे काली है बिल्कुल काली। लता डर से कांप उठी। वह उठी और गेट कि ओर बढ़ गई लेकिन गेट से बाहर निकल पाती इससे पहले ही गेट के सामने सुमन सफेद गाउन पहने, डरावनी हंसी हंसती हुई जाकर खड़ी हो गई।

" तेरी बलि दूंगी मैं आज... तेरी बलि।" कहते हुए सुमन के अंदर समाई हुई नेगेटिव एनर्जी ने बाएं हाथ को लता कि ओर किया। लता कि बॉडी हवा में उड़ते हुए ऊपर कि ओर जाकर लटक गई। लता का दम घुटने लगा।
" कौ...न हो? क्या चाहिए तुम्हें हमसे? हमें छोड़ दो।" बड़ी मुश्किल से लता बोल पाई।
" ये मेरा भूतिया सिनेमा घर है। इस सुनसान जगह के इस स्वरचित मायावी सिनेमाघर में मैं वास करती हूं। ये सिनेमा घर सुबह होते ही अदृश्य हो जाता है और फिर अगली अमावस को नजर आता है। मुझे आकस्मिक निधन के बाद मुक्ति नहीं मिली थी और मैं हर अमावस कि रात को यहां के सड़क से आने या जानें वाले लोगों को अपनी शक्ति से इस सिनेमा घर के अन्दर दाखिल करती हूं। उनके शरीर को नियंत्रित करके अपना वर्चस्व स्थापित करती हूं और फ़िर दो लोगों का खून पीकर अपनी भूख मिटातीं हूं। आज तुम दोनों कि बारी है।" कहते हुए उस अतृप्त आत्मा ने भयंकर अट्टहास किया। देखते ही देखते लता जोर से नीचे गिरी। तड़पते हुए लता ने दम तोड़ दिया। लता के मरने के बाद आत्मा ने उसका सारा खून पी लिया फिर सुमन के शरीर के साथ भी यहीं हुआ।
अगली सुबह दोनों कि लाश सड़क के बीचोबीच रखी हुई मिली। वह भूतिया सिनेमा घर अदृश्य हो चुका है।
।। समाप्त।।