लोग शंका करते हैं
मेरे *अनुमान* का,,
लेकिन में कहता हूँ आज
जन्मोत्सव हैं विर *हनुमान* का,,
हम सब तो कर्म करते हैं ऐसे
की जग मे हमारा *सम्मान* बढ़े,,
लेकिन उनके कर्म थे ऐसे
जिससे जग मे राम का *मान* बढ़े,,
जय जय श्री हनुमान की,,
रक्षा करना पवन पुत्र
हिन्दुओं के
आन, बान और शान की,,
*विचारक**
भाई मंशीराम देवासी
बोरूंदा जोधपुर राजस्थान
*9730788167*