👉🏻--'' म्हारौ नानाणौ ''--👈🏻
माँ रो गांव जिण ने राजस्थान मे नानाणैं रे नाव सूँ जाणै, इण ने अलग अलग नाव सूँ भी पुकारै हैं,, ज्यूं नानेरौ, मामाळ, नानाणौ ननिहाल आदि --
नानाणैं री एक विशेष बात आ हैं,,
बठै माँ रै नाव सूँ पहचाण मिले,
कहणैं रो मतबल है सा '' के
बाई रे नाव सुँ ही भिरा ओळखीजै,
टाबरा वास्ते आपरौ नानैरौ सवर्ग रै सम्मान हैं,,दुःख होवै इण बात रौ जो इण सवर्ग रै सूख सूँ अन्जाण हैं,,
मनै बे दिन आज भी याद हैं,,
माँ रै साथै नानाणै जावण सारू बैखुबी सूं ऊनहाळा रै दिन स्कूल री छुट्टियाँ रो इंतजार करता हा,,और पुरी छुट्टियाँ रौ आनंद बठै ही बंटोरता हा,
और माँ रै परिवार रा सगळा ई जणा छाती ऊँ चिपाई ने राखतां हा,,
लेकिन उण आनंद रौ तो अबै अनुभव ही कर सका,,युं लागै आज जीवण रै इण पड़ाव मे भी आनंद री बै घड़ियाँ आज भी अपानै अपणी और खींच रही हैं,,लेकिन परस्तिथियां वहा जानै के लिए आंखें मिंच रही हैं,,और ज़िन्दगी जीवन के दिनौ को धीरे -धीरे सिंच रही हैं,,----
खैर जब तक सांसै हैं,,
तब तक तो नानाणै रे प्रति लगाव बणीयौं रैसी,,
-------क्योंकि -------
डोकरौ होया पछै भी भाणीयौं तो भाणीयौं ई रैसी,,----
गांव भी गणा ई देखीयां पण म्हारै नानैरा जड़ो गांव मे आज तक नहीं देखीयों हूँ,,
प्रकृति री गोद मे बसीयौडो गाँव
..........कठमोर.........
अपणैं आप मे एक सवर्ग री सुन्दर झांकी अर झलक हैं,,
गाँव रे एक तरफ डुंगर री औट हैं ,
ओ डुंगर -डुंगर नही गाँव रो सिरमौर हैं,, सगळा गांव रो पशुधन इण डोंगर माथे निर्भर हैं,,ऐड़ो आवै मानणां मे की इण डुंगर रे कारण गांव मे कदई अकांल री स्थित पैदा नहीं हुई हैं,,
पण अबै रा नया नादान शायद इण डोंगर रे महत्व ने भूल रहीया हैं,,
अर इण डोंगर ने खदान मे बदळ रहीया हैं,, और ओ कदम
आवणाळी पीढ़ीया वास्ते चिंताजनक कदम हैं,, माफ करजौ मानवौ री पिड़ा मनै भविष्य री तरफ खींच रही हैं,, म्हारै इण लेख रो काम तो बचपन री यादा अर गांव री सुन्दरता ने सगळा रे समक्ष रखणा रो हैं,,
आप लोगों रे समक्ष प्रस्तुत करूं
गांव कठमौर रे दृश्य रा बखाण,,
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻 कठमौर गांव धनेरीया सूँ लगभग तीन किलोमीटर री दूरी माथै हैं,,
छोटो सो गांव हैं, पण सारी सूख सुविधा सूँ सम्पन्न हैं,, गांव री हद मे प्रवेश करता ही एक सुन्दर चारो और दीवार सूँ बन्द गणौ जुनौ हनुमान जी रो स्थान आवै, बालाजी रै इण भव्य मंदिर मे एक आमली रो रूंखडौ़ हैं,,
जीण माथै आमळी तो कदई कोनी देखी पण बिना खट्टा -मीठा पानड़ा खा ने जीभ सूँ टक टक कर ने गणोई आनंद लुटता हा,,
गांव रे मुख्य प्रवेश सूँ अपा अन्दाज़ लगा सका की ओ गाँव संस्कृति अर भक्ति भाव सूँ कितो ओतप्रोत हैं,,
लगता ई दुजोडौ़ स्थान वीर तेजाजी महाराज रो लिलण माथै विराजमान तेजाजी गांव रै सगळा ई जणौ रौ एक सच्ची आस्था अर भावना रो केन्द्र हैं,,
जिमणा पाड़ आंगणवाड़ी अर डावै पाड़ सरकारी पाठशाळा अर उण रै सामी गांव री सार्वजनिक पनघट हैं,,
गांव री सुन्दरता रो ओ देखण जोग रो सगळा ऊँ मोटो दृश्य हैं,, हरेक अनजाण आदमी रे मन मे ओ दृश्य एक आनंद री लहर पैदा करै हैं,,
एक समय री बात हैं, पुरो गांव इण पनघट रै नीर माथै निर्भर हो,
अबै भला ही घर-घर टुन्टी लगावण रा प्रयास जारी है, पण जो गांव री एकता
पनघट री खुन्टी मे बन्धियोड़ी ही बा टुन्टी रै रूप मे बिखरती दिखै हैं,,
शन्जीया रै समय जो ढ़ौर ढ़ाडा री हौड़ अर ऐवड़ री चाल सूँ उठती माटी री सुगन्ध आज भी मन ने मगन मंद करै,,
बै हेत प्रेत री हताईयां,
बै टाबरा री नकटाईयां,,
कांकड़ मे छाळियां चरावनै जावता,
टालरियां-मंगरिया गावतां,,
चकरीयां चलावतां,
भाळा मे ऊळबाणां ई नावतां,,
टोली रौ डाळो पकड़ लारै लमुटतां ,
ज्यादा रेत देख ने फदाकतां,,
कब्बड़ी ने क्रिकेट खेलता,,
बे सब अबे मोबाइल रै माध्यम सूँ विलुप्त होवतां नजर आवै,,
इण वास्ते मंशीराम थानै हाथ जोड़ ने समजावै,,
अपणै गांव री छवि विलुप्त न हौणै देवै,,
अपणौ -अपणौ ध्यान राखजौं
राम राम सा-----👏🏻👏🏻👏🏻
लिखारौं --......
भाई मंशीराम देवासी
बोरूंदा --जोधपुर
9730788167