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ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा

14 जून 2017

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अश्क न ढलके नयनों से लहरें आये कितनी  मन के समंदर में पाया है  हमने जिया ऐसा ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा। कहते हैं कोमल हृदया ,कोमलांगी, अर्धांगनी सिर्फ एक की पर बोझ तो उठाना हैं , हर बेबसी की तुम कहाँ से लाओगे दिल ऐसा ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा गम की पोटली छिपा हृदय तल में खुशियों का चादर बिछाती, निराश नयनों के तालाब में आशा के पंकज खिलाती, मानो प्राची की लालिमा हो ऐसा ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा।

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जीवन की नैया

1 जून 2017
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सबला नारी

5 जून 2017
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देख कर आज की पीढ़ी को,मन में आता है अक्सर।ये नारी अबला नहीं...सबला हैं,स्वछंद,उन्मुक्त, उत्साहित,जैसे लगे हों पर।कुछ हद तक बेड़ियां खुली हैं इनकी,करने को सब कुछ हैं ठानी।क्या समाज ने भी उसे स्वीकार करने को मानी।।'सबला'तो हमेशा से है नारीरही है हर युग में सब पे भारी,सिर्फ डर था नर को ,कीछीन ना जाये उनक

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आपने फुरसत में आने का बहाना जो शुरू किया , ख्वाबों ने भी नींद का आशियाना छोड़ दिया।।

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खुदगर्ज वर्षा

20 जून 2017
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