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स्वाधीन कलम

27 मई 2017

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साथियों कलम की शक्ति और ताकत से तो सम्पूर्ण जगत बख़ूबी रूबरू और वाकिफ़ है। बात उस कलम की हो रही है जो समाज को बिना किसी गुलामी के सही दिशा दिखा सके । आधुनिक जगत में अत्यधिक विसंगतियां फ़ैल चुकी है इंसाह मात्र स्वार्थ तक ही सीमित है सही और गलत का फैसला जटिल हो चूका है। मेरा मानना है की यदि कवि अपनी कलम का निर्भयता से प्रयोग करे जो समाज हो एक नई दिशा मिल सकती है ।

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