ख्वाबों का सिलसिला खत्म हुआ; आज में खुद ही ख्वाब हुआ
ज़िंदा लाशो को छोड़; आज कब्रिस्तान में आबाद हुआ
बैठा अब सोचता हूं कि कैसे जीवन बर्बाद हुआ
मरा नही अभी तो धड़कनों का साज; ना-साज हुआ
मरना अभी शेष है; अभी कुछ धागे टूटना बाकी है
कुछ आंखों में अभी; मेरी यादों का पानी बाकी है
घरौंदे में अभी; रिश्तों के कुछ तिनके बाकी है
मधुशाला में अभी; इंतज़ार में मेरे मेरा साकी है
जब बिकेगा मेरा सामान बाज़ारों में; उस दिन मर जाऊंगा
जिस दिन मेरा अक्स होगा कबाड़ों में; उस दिन मर जाऊंगा
यादों से मिट जाऊँगा जब हर शख्स की; उस दिन मर जाऊंगा
मेरे नाम की कोई पहचान नहीं होगी जब; उस दिन मर जाऊंगा