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42. नई आशा

1 अगस्त 2023

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रचनाएँ
चाँद पर रँगोली
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वस्तुतः यह सफर मिथिला के अधवारा नदी से शुरू हो कर कर्नाटक के कृष्णा तट के बसावना बागेवाड़ी में विश्राम तक की भावनाओं का मिश्रण है। इस सफ़रनामा के कई दास्तानों के साथ आपको भी चाँद का सफर तय करना है, जहाँ हम सब मिल कर रंगोली बनाएँगे। एक ऐसा रंगोली जिस में गीत होंगे, संगीत होंगे, चित्र होगा, शिल्प होंगे लेकिन रंग भरने की दवात आपकी अपनी होगी जिसे मैने कायनात से छिपा रखा है सिर्फ़ आपके लिए। फिर चलिए मेरे संग, भरते हैं अपना-अपना रंग और बनाते हैं चाँद पर रंगोली
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दिल का कोना

1 अगस्त 2023
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हम या हमारे जैसे हर शख़्स के भीतर एक कोना होता है, जो रात की रानी सा महकता रहता है, लेकिन बिखरा रहता है यह कोना, आपका हो या हमारा, हमेशा धक-धक करते रहता है, जो ना कि भौगोलिक या राजनितिक मानचित्र में रह

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1. चाँद पर रंगोली

1 अगस्त 2023
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चाहता हूँ, इस काली स्याह रात मेंझिगुंरों की रूमानी हो रही बात मेंनिश्च्छल, उज्जवल चाँद कोअपने आग़ोश में ले लूँ।उस पर असंख्य आकृतियां बना डालूँऔर इतना कि गिनना भूल जाऊं।इस बारह बाई बारह के कमरे मेंअपने

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2. इबादत

1 अगस्त 2023
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अक्सर उसे देखा करता हूँइबादत करते हुएआसमां में देख कर,मन की इच्छा हुईपूछूं उससे किअपने इबादत को वह कहाँ भेजती है?उसने कहा,एक सफर पर हवा में।इसमें अक्सर एक पगडंडीफूलों की तरह हमारे सामनेखुल जाती है।लेक

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3. शतरंज

1 अगस्त 2023
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काल क्रम का जीवन तंज़हर जीवन एक बिछी शतरंजदोनों में कहाँ कोई ठहराव हैकटे सिपाही के न रहते भीबस देखना ही बिखराव हैकौन किसे कब देगा मातये कहना अब मुश्किलातघात लगाने के क्रम मेंअपने और अपनों के भ्रम मेंमु

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4. तराशी हुई

1 अगस्त 2023
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तराशा हुआ सच, तराशे होंठया तराशा झूठ,तराशे फलसफेभावों की कोमलताआंखों का तेजसब मुझे करीने सेडराते हैं।संकरा ही तो थामेरी सुरक्षा का बेड़ा मुझे ऐसा लगता क्यूँ हैंकि मेरी चुप्पी से हीखुलता है शहर तुम्हार

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5. रजाई में लिपटी

1 अगस्त 2023
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किसी एक दिन मैं भीगंगा के कछारों को छोड़कन्नड़ पठारों के लिए चला था।भरी दोपहरी में कुछ ऐसा हुआकि बदरी के बीच चाँद मुझ पर ही गिरा था।विदा सफर में छिन गई थीमेरी भी मुस्कुराहटमैंने कहने की कोशिश की थीकि

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6. ठिठका साँझ

1 अगस्त 2023
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जब तपते हुए दोपहरी मेंपेड़ों से उड़ते हुए परिंदों को देखा,मैं भी उड़ सकता था, पर उड़ा नहींबैठा रहा तब भी।फैक्ट्री के बिगुल बजने के बादजब सारे लोग अपने-अपनेकाम पर जा रहे थे,दुकानें खुल रहीं थीं,मैं अपन

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7. मन जब कभी करे विद्रोह

1 अगस्त 2023
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स्वयं जब स्वयं से ही करने लगे विद्रोहमन, अपने ही मन का लेने लगे टोहफिर उसे विश्राम दो।सपनों को ऊँची उड़ान दोमनमंथन की तीव्र कर दो गतिभावनाओं की उड़ेल दो सारी आकृतिरखो निज पर स्वामित्व का अधिकार तुमखोज

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8. वजूद के कोटड़ में

1 अगस्त 2023
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एक गुलाबी चिड़ियामेरे वजूद के कोटड़ में।कब छुप कर बैठ गयी,पता ही कहाँ चलाआकर देख जा तूशायद तेरे ही परिदों के झुंड सेएक उड़ कर आई हैवह मुझे कई बार तुम्हें पढ़नेको कहती है।वह मुझे ख़्यालों के समंदर मेंकभ

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9. मेरे चश्में के अन्दर

1 अगस्त 2023
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आज मैंने ख़्वाब और ख़्वाहिश दोनों में अंतर बाँटने की कोशिश की कभी एक आँख तो कभी दोनों आँखों से कभी जागकर कभी सो कर हर ख़्वाहिश, ख़्वाब हो और हर ख़्वाब, ख़्वाहिश इसी महाजाल में फँसता गया मैंफिर मैंने चश्में

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10. जुड़वा पेड़

1 अगस्त 2023
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मुझे लगता है किमैंने अपना जीवन पेड़ों से ही है सीखा बचपन से ही न जानेअमराई में गावों के पेड़ों को बरसों सेसाथ-साथ खड़े देखा हैएकदम शांत भी, मौन भीऔर एकांत भी।बरसों-बरस काटे सारी ऋतुएँ औरसमस्त जीवन।साथ

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11. ताबूत में मेरे बाल

1 अगस्त 2023
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आज मैंने अपने ख़्वाबों को पटखनी दे दीक्योंकि ख़्वाबों के बीच,अब नींद से उठने लगा हूँ मैं।जिन्दगी को और बेहतर,पहचानने लगा हूँ मैं।ढ़ूंढने के क्रम मेंफिर से ढ़ूंढ़ने लगा हूँ, उस शख्स कोजो ताबूत में भीमेरे

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12. चार बटे तीन

1 अगस्त 2023
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मैं रहूँ या न रहूँ पर चार बटे तीनका पता यहीं रह जायेगा।जो बोया है बीज मैंनेसंजीदगी और एहसासों काउन सिलसलों का करिश्माबस यही तक रह जायेगातुम शाख बचा के रखनापत्तों की हरियाली बच जायेगीइन शाखों में बचे ह

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13. देहरी के दिये

1 अगस्त 2023
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बाहर दिए की कतार हो, झालड़ों की भरमार होपटाखों की ध्वनि बारम्बार होपर दिल में अमावस ही छाया होआंखों के समक्ष एक साया होलयबद्ध दीपों में काजू-कतली, घी के घेवर भी होगुजरता हूँ बचपन की दीप दहलीजों सेचौक

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14. सुबह-सुबह

1 अगस्त 2023
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एक दिन किसी रात के एक ख़्वाब कोसुबह-सुबह ही हलाल कर डाला।न करता तो मुझे उन ख़्वाबोंसे इश्क़ हो जाता जो हर दिन-रात मेरे पासआ नहीं सकती।आज कल एक रेशमी धागेमें उलझ गया हूँ मैंउसी सुबह उसे भी खोल डालाक्योंक

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15. कई गाँठें

1 अगस्त 2023
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आशाओं की पोटली जब छोटी पड़ जाएंउनमें कई गाठें लग जाएंअपने कंधे से उतारअपनी उँगलियों पर हौले हाथों से संभाल उसे, हल्के से फूंक देबिल्कुल रूई के फाहा की मानिन्द ।16. फासलों की दुनिया

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16. फासलों की दुनिया

1 अगस्त 2023
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कल पंगडंडियों से होते हुएकुछ जीने चढ़ने थे, अहसास होने लगाकि थोड़ा थक सा जाता हूँसोचा दूर निकलना ही छोड़ दूँपर ऐसा भी नहीं कि मैंनेअब चलना ही छोड़ दिया हैकल मैंने फासलों की दुनियाको आंकना शुरू किया।लग

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17. मेरी रफ़्तार

1 अगस्त 2023
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ख़ामोशी में छुपाया गया हुनरमेरी रफ़्तार हैवह गुफ्तगू ऐसे कर रही हैजैसे लग रहा हैमेरी दाईं आंखबाईं को देखती हैऔर कभी बाईं दाईं को।इस रफ़्तार की मिसाल कोई दे या न दे या लाख नज़रंदाज़ कर दे मगर तुम्हारे लिए

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18. छुपता कार्तिक

1 अगस्त 2023
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आज फिर से एक बारमेरे माथे परएक शाम की पैदाईश हुई हैसुर्ख़ और नीले आसमान केपीठ पर सुरजनुमा सपनोंकी आज़माईश हुई है।आश्विन और अग्रहण के बीचकार्तिक छुपता ही चला गयासुबहों के सफर के बादअचानक रात का आ जानाऔर

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19. दीप अमावस

1 अगस्त 2023
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सिर्फ मेरे घर की न थी यह कहानीहर घर के बच्चों की ऐसे ही थी मनमानीचाहे वह कुम्हार चाचा की छुटकी होया साहू मिष्ठान वाले चाचा की रानीऐसे ही सीखी थी हमनेदीप अमावस को रात मनानीजहां हर के देहरी परदीप की गिन

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20. सुस्त धूप

1 अगस्त 2023
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जब सुस्त धूप की दोपहरी होऔर चाल बदलने की तैयारी होजब इतराने की बारी होबस कुछ फ़ासले ही तो तय करने हैबस हमें और तुम्हें।21. साँवला सन्नाटा

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21. साँवला सन्नाटा

1 अगस्त 2023
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सांझ को घर आओ तोअगरबत्तियों की महक में ढ़ूढ़नाऔर जब बिस्तर पर जाने लगोतो रात के सांवले सन्नाटों में,जब तक जागो इन्हें समेटना ।हां, गौरैया ने अपने घर बनाए हैंखिड़की के कोने मेंमेरे आने तक इसे संभाल कर

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22. शीशे के पीछे

1 अगस्त 2023
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याद है मुझे धनतेरस के पहले वाली रात जहाँ परदे धुलने गए होते हैं धोबी के घर और तुम भी चली गयी थी पीहरतब इस समय आधी रात को, ए.सी. की आवाज भीभली लगती हैलेकिन बार-बार उसकी आवाजों सेबोर हो चुका हूँढूढ़ने ल

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23. सूखी पत्तियाँ

1 अगस्त 2023
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सामने जो जुड़वां वृक्ष हैउनके नन्हीं पत्तियों की डालीभी खाली है।शाम होते ही, बड़ी पत्तियों को बुहाड़, इनमें से छोटी-छोटीपत्तियों को खोज, उनकी सूखी डाली पर फेविकॉल सा चिपकाता हूँऔर मन-ही-मन खुश हो जाता

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24. हार कहाँ जाता हूँ

1 अगस्त 2023
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हर जंग में मेरा मन, हार कहाँ जाता हैशब्दों का शहंशाह जब फिर प्यादा बन जाता हैतब मेरा मुझमें मुझसा कहाँ कुछ बच जाता हैजो तेरा है, तुझसा हो जाता हैपौ फटते ही शाम को अपने हिस्से की रात को ढूंढ़ता है, कौड

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25. चैत का रमज़ान

1 अगस्त 2023
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आओगे न तुमइस चैत के रमज़ान मेंयाद है न तुम्हें, चैत की आठवींजब हमने साथ मोमबत्तियों को फूंका था।बदले में तुमने कुछ दिया था मुझे और कहा था कि जब चाँद निकल जाये तुम्हारे हाथ में यह कलम दे दूँ कि तुम गुम

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26. एहसास

1 अगस्त 2023
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मेरी डायरी की कुछ नज़्मेंऔर मेरे हथेलियों परछपी कुछ तारीख को देखकिसी ने पूछा,कि दर्द तो बहुत हुआ होगापर बस मैंने इतना ही कहातन से बहुत तो नहींलेकिन थोड़ा ही सहीहो रहा है मन सेदर्द का ज्यादा एहसास।27. व

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27. वर्तिका

1 अगस्त 2023
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समय, चैन, हंसी कुछ ही दिनों पहले तक अठखेलियां करता नजर आता कुर्सियां खाली होती फिर भी आता जैसे वहां कितने मुशायरे एक साथ हो रहे हो हर चीज में एक तहज़ीब होती बाहर टंगे कपड़े भी एक-दूसरे के साथ

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28. खास तीसरा

1 अगस्त 2023
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हर वो आत्मा आहत हो जातीजब कोई खास तीसरा हो जाताहथेलियां फैल जाती कभीकिसी की देख-रेख औरभावनाओं की रक्षा मेंवात्सल्य की हर परिभाषा मेंसिकुड़ती हुई कुछ आशा मेंअपने ही घर में ठगा-ठगा साव्यक्ति तमाशा बन जात

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29. बासी होली

1 अगस्त 2023
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इस होली वही पुरानीबासी गुलाल निकालीऔर तह लगे हुए रूमालजिससे किया था साफउन रंगों कोकुछ नीले और पीलेकुछ धब्बे अब भी बचे हुएलेकिन तुम्हारे रंगों के खुशबू में सराबोरवह सफ़ेद से हुए रंगीन रुमाल साथ में वह प

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30. गहरी नींद

1 अगस्त 2023
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आज कल ईमान से दिन गुज़रता नहींरात भी तुम्हारी तरह बेईमान हो गयी हैइसी लिएअब गहरी नींद कहाँ आती।सपने में जीवन आया कहा उसने छोड़ दे इसे समुद्र के थपेड़ों में हर तरफ़ बहने को छोड़ सारे डर से अनजान होकर छोड़ लग

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31. आसमान की सैर

1 अगस्त 2023
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इज़हार-ए-इश्क़कल करना है मुझेसोचा, जितने सितारें हैंउतना तो इश्क़ होगा तुमसेआसमान की सैर पर निकलागिनने उन तारों कोचमक जो रहा था उम्दानज़दीक जब गया उसकेहोश मेरे लाल हो गएक्योंकि शक्ल हु-बहू तुमसा ही था

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32.अतरंगी पल

1 अगस्त 2023
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सारे रंगों ने अपना वजूद खो दिया था आज,वजह थी तुम्हारे पसंद किए गये रंग।तुम्हारे हर रंग का एक लफ्ज़ होता है,तुम्हारे अल्फ़ाज़ों, और यहां तक कि ग़मों का भी एक रंग है।कभी फुरसत में उकेरूगां।अतरंगी पलों को कै

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33. अपना किरदार

1 अगस्त 2023
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धीमी होती इस लोहड़ी के लौ मेंइस शांत निर्विकार पगडंडियों परकभी-कभी अपने ही सांसों मेंगहरा उतर जाता हूँ।कायनात की इस पटकथा मेंदेखने लगता हूँ अपना शून्य सा किरदारफिर पहाड़ के चोटियों के पारढूंढ़ता हूँ अ

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34. जब भी गुज़रता हूँ

1 अगस्त 2023
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यादों के गलियारों से जब भी गुजरता हूँदेखता हूँ किसी को दफ़्तर के पोशाक मेंयाद आता है वह जब दफ़्तर से सीधे आकरपूरे दिन की कहानी सुनातi हैकस्बों से गुजरते हुए दुकान मेंजब किसी को चॉकलेट ख़रीदते देखता हूँस्

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35. हिसाब

1 अगस्त 2023
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तुम्हें खोने से इसलिए नहीं डरताकि तुम्हारे पास एक देह हैबस डर लगता है किहर पल के हलचल जोमन में चलते हैवह अब सुनेगा कौन?जवाब देना हिसाब लेनाअब करेगा कौन?बरसों बाद कोशिश कियाज़िम्मेदार बनने का पर किसके

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36. बाबू जी की आँखें

1 अगस्त 2023
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बाबू जी की आँखें पता नहींबहुत कोशिशो के बाद भीनहीं समझ पाता,क्या कहना चाहती हैबाबू जी की आँखें।कभी ढूँढती हैंअपने साकार हुए सपनों को,तों कभी गर्वित होती हैं ,उनकी आँखें,अपने इतिहास पर।उनकी चश्में में

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37. टेबल लैंप

1 अगस्त 2023
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लिहाफ़ जो पड़े हैंअब नीचे के संदूक मेंबस हो सके तो उसे भेज देनासाथ में वही सफ़ेद चादर भीजो हमारे बीते पलों का एहसास हैआँखो में क़ैद उन तकियों कीसिलवटों को भी डाक से ही भेज देना।मेरे गर्दन के हिसाब से

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38. उलझे हालात

1 अगस्त 2023
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मेरे लिए जो तुम होएक अदभुत एहसास होसंभलती साँस हो,वीरांगना हो तुम,हर मुसीबतों का सामना हो तुम,और उलझे हालात में कामना हो तुम,मैने कई बार देखा है तुम्हेंजहाँ तुम उल्का पिंडों की तरहगिर कर टूट सकती थीवह

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39. विश्वाश भरी साँस

1 अगस्त 2023
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तुमसे ही सीखाकैसे पल-पल को जीते हैंसबने ही तो कहावर्तमान जो जीता हैवस्तुतः वही विजेता हैफिर क्यों वही राग और वही द्वेषजो हो गया वह तो है अब अवशेषजो होगा वह क्यों होगा विशेषहोता कहाँ यह जीवनशतरंज की बि

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40. आजकल रात

1 अगस्त 2023
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आजकल रात वक्त के साथसिसकियां बहाता हैकभी मैं उसे समझाताकभी वो मुझे सुनाता हैएक रात उसने कहातेरा तो बिखरा वज़ूद हैटूटे हुए ख्वाब हैंपर मेरा तो सब ठीक ही हैपर तू मुझे क्यूं रूलाता हैबस उस दिन सेअब वक्त

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41. आषाढ़ की आधी रात

1 अगस्त 2023
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व्यक्ति जिसने कभी अपने होने कोदुहराता रहा, तिहराता रहाआज वह हल्का हताश हैतुमने बड़े प्यार से कहामैं यहां से जाऊंमन ही मन सोचा और मन ही से पूछा क्यों,ज़रूरी है जाना तुम्हारी जरूरत रहती है हमेंऐसे समय मे

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42. नई आशा

1 अगस्त 2023
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अक्सर मैं यह सोचता हूँकि मेरा दु:ख उसे ज्ञात होगा,मेरे आँसू उन तक पहुंच रहे होंगे जब उनको एहसास होगा कि मेरी आँखें गीली हो रही हैं, वो आगे आएंगे और ज़रूर आयेंगेकुछ देर इंतजार कियाफिर अपने आँसुओं को दिख

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43. कागज़ की दुकान

1 अगस्त 2023
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बहुत दिनों से मैंने कलम नहीं खरीदीतुम्हारे दिये हुए कलमों से ही लिखता रहाअब वो सारे मेरे सिरहाने के बाजूओं में पड़ा है।कुछ के स्याही सूख चुकेऔर कुछ के धार कम होते गयेकल सोचता हूँ कि बाजार जाऊंउन्हीं क

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44. अंगूठियाँ

1 अगस्त 2023
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मन की व्यथा यह हैलगता है कि अब उम्र हो चलीदशकों से पहने अंगूठियाँअब खुद-ब-खुद निकल जाती हैंजो पहले साबुन के पानी मेंहाथों को रख कर निकाला करता थातो क्या हुआदिखना खुश ही है, क्योंकि यह खामोशी व्यक्त कर

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45. यायावरी

1 अगस्त 2023
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अपने कमरे और दीवारों कोअब क़रीने से सजाना गुम हो गया जीवन से।टंगे कैलेंडरों को बदलना भी गुम हो गया जीवन सेजब से छोड़ ही दिया हमने व्यथित होना,तब से यायावरी का शौक़ पाल लिया है हमने।तराशता फिरता हूँ पत

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46. बीमार ख़्वाब

1 अगस्त 2023
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रूह और लफ़्ज़ थक गए जबअल्फ़ाज़ों की सुर धीमी पड़ गईपुतलियाँ भी बुत बन कर रह गईख़्वाब आज बीमार होने लगेहकीमों की अब नहीं इसको ज़रूरततभी तो देर हो गयी मुझे,टहनियों पर की गयी थी ख़ुदकुशी।47. रफ कॉपी

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47. रफ कॉपी

1 अगस्त 2023
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हल्की दीमक के साथपुरानी किताबों की ख़ूशबू लिए।लेकिन आधीग़ायब पन्नों वालीवही दशकों पुरानीवैशाली की डरीर वालीमेरी एक रफ कॉपी दिखी।भादो की धूप में सूखती हुईथोड़ी इठलाती भी दिखी।छिपते-छिपातेअख़बारों के सा

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48. झंझावात

1 अगस्त 2023
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रात के सोये हुए तालाब मेंलगता है जैसे अन्दरझंझावात चल रहे होंकोई तो है जो अन्दर ही अन्दर,डुबकी लगाये जा रहा हैनिकलना चाह रहा है वहउस शांत पानी की सतह परलेकिन हलचल होने का डरसोई-अलसाई पानी का जगनाउसे र

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49. पांच दशक पुरानी

1 अगस्त 2023
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गाहे बगाहे पांच दशक पुरानीमूल नक्षत्र में विचरण करनेवो भी चैत्रमास के षष्ठी तिथि को।राशि की संकल्पना भी थी, वह धनु था खेतों की हरियाली भी वैसी ही थी, जैसे आजइस चैत्र मास में इसी दिवस को दिखते हैआम के

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50. ग्रहण लग गये

1 अगस्त 2023
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पता चला सूरज ग्रसित होने वाला हैशायद स्याह काला पड़ जायेगापर क्या अन्तर पड़ता हैयहां तो आंखे ही पथरा गईलालिमा के आश में,कहाँ जाऊं, हर जगह तिमिरमन घबराता है, हर अमावस कोलेकिन आ ही जाती है, पूनम की रातय

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51. उसकी मासूमियत

1 अगस्त 2023
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बस जीने दो उसे,वक़्त के जाल में लपेटो मत उसे,उसकी दोपहरीऔर उसी की रातों मेंखोने दो उसेहर अलसाई सुबहों मेंदेख उसकी मासूमियतहो सके तो कभी सुननाउसकी चीख़ों को अपने कानों सेजो सूरज के तपिश के साथबस बढ़ता

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52. खुशियों की लड़ी

1 अगस्त 2023
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क्षणों को विश्राम कहाँ?चैन वक़्त अटखेलियाँदिनों पहले ख़ूब नज़र आती थीहोती थीं खाली कुर्सियाँफिर भी लगती थी महफ़िलेंमुशायरे चल रहे होते थेदाद और इरशाद फ़रमाइशहुआ करती थीघर के हर चीज़ मेंएक तहज़ीब हुआ कर

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53. माघ की रात

1 अगस्त 2023
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माघ की रातपूस की पूर्णिमा से अनवरतचाँद निहारता मैंकब हल्के से उसके पारभटका मैं।पता ही न चलानक्षत्रों के बीचनई दुनिया बना डाला मैंकुछ के लिए अजनबीतो कुछ स्याह काला मैंभटकी हुई उन गलियों मेंरोशनी भी वही

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54. रियाज़

1 अगस्त 2023
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मुझे अपने हीहोने का एहसासकमतर कहाँ होतायह तो बस मुर्दा सुरों सा हैकितनी बार तो रियाज़ कियाछोड़तें है अब इस राग कोचलतें है आज महफ़िल मेंफ़िज़ूल की कुछतालियाँ ही बटोर लाते हैं।55. खुरदरा सा मन

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55. खुरदरा सा मन

1 अगस्त 2023
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एक खुरदरा सा मनरोते हुए अपने गालोंको सहलाता हैं,पीठ को थपथपाता हैऔर कहता है कितू मजबूत हैलेकिन कमजोर है कितना मनएक दृश्य देखते हीविचलित क्यों हो जाता हैआंसू क्यों अविरल हो जाते हैंयह तब तक बहते हैजब त

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56. मरहम

1 अगस्त 2023
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मेरा मरहम तेरे लिएजिन पांव के साथ झूमता हूँ मैं अक्सरआज उसमें कुछ ज़ख़्म सी उमर आयी ।थोड़ी साँस लम्बी ली उसने,मिलन के बाद के रस को ,प्यार के अहसासों के साथनिगला उसने।बस यही दवा थी इस मर्ज़ की,शायद आराम

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57. पवन चक्कियाँ

1 अगस्त 2023
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जब तुम नहीं होते,चैत के सन्नाटे में घूम आता हूँहाइवे के किनारे खेतों में,कटे गेहूँ के ढेरों के बीच,बैठ अकेले ही गुनगुनाता हूँ चैती,फिर देखता हूँ सतरंगी तितलियों को,विशाल पवन चक्कियों को,एक में सारे रं

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58. टूटते हुए सुर

1 अगस्त 2023
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कुछ तो खोया है,पास तो बैठोफिर एहसास होगाहौले से और बंद आँखों सेमुझे सुनो तो सहीमन एक सुर में गाता ही नहीं,अलाप तो सही ले लेता हूँबस सुर ही टूट जाते हैं,ऐसे में बस आँखेंचश्मे से बाहर निकल जाते हैं,धड़क

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59. इश्क़ का इल्म

1 अगस्त 2023
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इश्क़ में अक्सर तुमजीत जाया करती हो,क्योंकि इल्म तुमइसका भी रखा करती हो,ख़रीदे थे तुमनेकई इश्क़ियाना किताबें,शह और मात भी सीखातुमने मेरे ही शतरंज पर,मेरी आदत जो थीरातों में इश्क़ सूखाने कीइसलिए इश्क़ की ह

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60. रस्म की बातों

1 अगस्त 2023
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रस्म बातों का‘मनहूसियत’ यह लफ्ज़ पहले पहलकिसी ने कहा थाउसके पीछे की भावनाओं कोवर्षों से अनवरत खोजता रहानहीं मिलान वो क्रोध था, न वो क्षोभ, न पीड़ा और न ही सलाहन तंज, न हंसी।मैं भागते गयाऔर थकते गयापर स

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61. अधपके रिश्ते

1 अगस्त 2023
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मुड़ के देखनायाद रखना ज़रूर किकितना संभालू रिश्ते कोहर शाम उतारना हो जबखूँटों के बीच रस्सियों सेलहू जैसे लाल कुछ पीले और कुछेक मटमैलेरफ्फ़ूगर से आए नएछींट वाले कपड़ों की तरहकाँपते हाथों वालेदर्ज़ी की स

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62. फ़र्क पड़ेगा

1 अगस्त 2023
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मेरे कुछ सवाल दम तोड़ रहे हैंतो कुछ अभी जवाँ हो रहे हैंकहाँ हो तुमकुछ तो दो जवाबऐसा न हो कि मिलो ही न तुमफ़र्क पड़ेगा तुम्हेंऐसी ही कुछ बुआई हुई हैसवालों कीसाल-दर-साल ढेरों उगते जाएँगेफिर वही सवाल दर

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63. हर एक का दिन

1 अगस्त 2023
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हर दिन कुछ किश्त चुकाना होता हैकुछ कर्ज़ उतारने होते हैंहर लम्हा लबों को सीता हूँकुछ रफ्फू लगाने होते हैंरातों को सोते सोते छूट अगर कुछ जाता हैतब आँखों से निकले आँसू कोअब स्वयं सम्भालने होते हैं ।अब द

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64. फ़ासले

1 अगस्त 2023
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फ़ासले बढ़ते गएदायरे घटते गएएक समय आयाकि घटते बढ़ते इनदूरियों को तय करते करतेअपना वज़ूद ही खो दिया।65. झाँकती खिड़कियाँ

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65. झाँकती खिड़कियाँ

1 अगस्त 2023
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इन बारिश की बूँदों से इजाज़त माँगा था मैंने और पूछा था उन बूँदों से बादलों में कहाँ गुम सा हो गया हूँ मैंऔर कहाँ-कहाँ रह गया हूँ मैंढूंढना तुम मुझे।ताकि तुम्हारी बूँदों से मिल जाऊँलगे हुए दरवाजे के छिट

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66. खाते में जमा रातें

1 अगस्त 2023
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ठीक ही तो हैकुछ रातों को अब मैंने भीअपने खाते में जमा कर लिया हैंलेकिन कुछ रातों का हिसाबतो आज भी ढूँढता हूँ ।ख़ास कर जब भी आती हैअगस्त की पहली तारीख़मेरा आँगन और वो जवाँ कचनारजिससे लिपटा हुआ होता हूँ

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67. तेरे होने के बाद

1 अगस्त 2023
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बस इतनी सी तो हैहमारी और तुम्हारी बात।कि कितनी मेहरबां हो गई है मेरी ज़िंदगीतेरे होने के बाद।बेपरवाह होकर भीघावों के सुर्ख़ रंगो के साथलम्हें-लम्हें जीने कातजुर्बा जो सीखा हमने।68. डायरी

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68. डायरी

1 अगस्त 2023
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डायरी परउनके लिखे कुछनज़्मों को टटोलने लगाअचानक उन कागज़ों सेएक हाथ उभर कर आई।ज़ुल्फ़ों को सहलाते हुएपन्ने पे गिरे आंसुओं कोइतने सलीके से पोछ गईजैसे टिप-टिप के बाद कानीला आसमान।69. तलब

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69. तलब

1 अगस्त 2023
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वक्त को थोड़ा सा सिमटने दोचैत की दोपहरी को थोड़ा और उलझने दोलू के थपेड़ों वाली अंगड़ाईयों को और तरो-ताज़ा होने दोताकि तलब बढ़ती रहे तुम से रु-ब-रु होने की।70. भीष्म की तरह

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70. भीष्म की तरह

1 अगस्त 2023
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जीवन है तो जंग हैपैदाइशी वज़ीर होते भीरहा सल्तनत तब भीहै वज़ारत आज भीपहले भी रण में था विजयीऔर अब है कालजयी अब भी है तैयार अस्त्रों के साथपर भीष्म की तरहतार-तार होते रिश्तों कोबर्फ़ सा पिघलते देखता हैय

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71. आज का दिन

1 अगस्त 2023
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जब पठारों की तलहटी के बीच सेजमता चाँद और उसे ढ़कता पराली का धूआंउन दोनो के बीच का सफ़र चुनना नहीं, बस स्वीकारना है परिस्थितियों को, व्यक्तियों कोसम्बन्धों को, अवस्थाओं कोबदलाव को, दृश्य कोपर खुशियों का

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72. खिलाफ

1 अगस्त 2023
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जब बंद हो गये दरवाजेतब अजनबी की दस्तक हुईपर रूह से रूह काइकरार ही कहाँ हुआखिलाफ तो सब थे मेरेउम्मीदें, वादें, वफ़ायहां तक की चाहत भीइसi लिए तोन दिल धड़कान पलकें झुकीहां नींद जरूर उड़ गई।73. चलते-चलते

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73. चलते-चलते बस यूँ ही

1 अगस्त 2023
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बस मुझे कुछ बोलना हैसिर्फ तुम्हारे लिए ही नहींहर उन रिश्तों पर बोलना हैजो ज़ार-ज़ार कर दिए मुझेचीखना है, चिल्लाना हैउन यादों पर जो घाव मिला था मुझेकभी मन ही मन अपनीकोठरी के चारों दीवारों परकाली स्याही स

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74. चुनो खुशियाँ

1 अगस्त 2023
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हमारी परेशानियां स्वजनित होती हैं।वह पल बेहतरीन होता है जबहम इन परेशानियों को खुशियों में तब्दीलकर देते है। नियति का निर्माण भी तभीसंभव है जब हमहर अवसर में खुशियों को ढ़ूंढ़ते हैं।छोटी-छोटी बातों मेंख

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