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ऐ मेरे वतन के लोगों

14 अगस्त 2017

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featured imageऐ मेरे वतन के लोगों ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आए ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी जब घायल हुआ हिमालय ख़तरे में पड़ी आज़ादी जब तक थी साँस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी संगीन पे धर कर माथा सो गए अमर बलिदानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली जब हम बैठे थे घरों में वो झेल रहे थे गोली क्या लोग थे वो दीवाने क्या लोग थे वो अभिमानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी कोई सिख कोई जाट मराठा कोई गुरखा कोई मदरासी सरहद पर मरनेवाला हर वीर था भारतवासी जो खून गिरा पर्वत पर वो खून था हिंदुस्तानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी थी खून से लथ-पथ काया फिर भी बंदूक उठाके दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गए होश गँवा के जब अंत-समय आया तो कह गए के अब मरते हैं खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफ़र करते हैं थे धन्य जवान वो अपने थी धन्य वो उनकी जवानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी जय हिंद जय हिंद की सेना जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद

राजीव रंजन सिंह -राजपूत- की अन्य किताबें

पूनम शर्मा

पूनम शर्मा

जय हिन्द , बहुत ही सुन्दर लिखा ...

15 अगस्त 2017

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मै इतिहास नहीं जानता

9 मई 2016
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मै इतिहास नहीं जानता मुगलों का,मै इतिहास नहीं जानता बाबर का, मै इतिहास नहीं जानता गौरी का,मै इतिहास नहीं जानता सिकंदर ऑर सहनसाओ का… मै इतिहास जानता हु उन अमर बलिदानो का… मै इतिहास जानता हु सिंह जैसी ललकारों का…मै इतिहास जानता हु उनके जोश ऑर जज़्बातों का…मै इतिहास जानता हु उन वीर सपूतों का…जिसने शीश च

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जिंदगी है कहाँ ???

8 जून 2016
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मै हु तन्हा,       मेरी जिंदगी है कहाँ ।       ये दर्पण बता चेहरा कहाँ मै हु तन्हा,       मेरी जिंदगी है कहाँ । हैं फासले क्यों मिटते नहीं, ये रास्ते क्यों कटते नहीं । सर्गोशी ईन आखों में छाई अंधेरा, हैं मेरी बचपन कहाँ, मेरी ज़िदगी कहाँ  " शायरी "आज मैने जिन्दगी कई नाम दिया हैं । तू ढूंढ कर लादे उस

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RAVAN MARTA Q NAHI HAI

11 अक्टूबर 2016
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🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏हम आज रावण को मारने चले हैं पर क्या हम राम है अगर नहीं तोहम रावण को हर बार मारेंगे पर मरेगा नहीं.... 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞

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कभी कश्मीर तो, कभी असम बंगाल जला है ।।

10 जुलाई 2017
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कभी कश्मीर तो, कभी असम बंगाल जला है ।।ज़ालिम एक-एक अफवाहों में, कितनो के घर कितने दुकान जला हैं ।।देकर लोकतंत्र के दिलासा,जाति और मज़हब के अरमान जला है ।।पर आइना में झांक कर देखा, बलिदान के नाम पे निर्दोष जला है ।।जंजीर लगे सिर्फ उनके जिनकी कोई पहचान नहीं,वर्ना बरे नाम वालो के आगे पूरा हिंदुस्तान जला

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मोहे भगवा प्रेम बस भावे है।।

15 जुलाई 2017
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सब कहे...है रंग अनेको हजारमोहे भगवा रंग बस भावे है।।अब तो राम लल्ला घर जावेंगेलाख मना करे मारे संविधानलोग कहे... है दुनिया रंग बिरंगीमोहे भगवा रंग बस भावे है।।जब करू याद पुरानी बातमेरे प्यारे राम के घर तोरा थालोग कहते.... है रिस्ते हजारों हजारमोहे भगवा प्रेम बस भावे है।। ----राजीव रंजन सिंह राजपूत

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ये चाँद तेरा राज क्या है?

7 अगस्त 2017
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जमी एक है फिर भी बट चुके है हमधर्म और मजहब के नाम पे कितनी बार मर चुके है हम आज चाँद को देखा तो खामोशियाँ कुछ कह गई ये चाँद तेरा राज क्या है ?ईद भी तेरी है...और करवाचौथ भी तेरा है...राजीव रंजन सिंह राजपूत8936004660rajivranjansingh2020@gmail.com

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ऐ मेरे वतन के लोगों

14 अगस्त 2017
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ऐ मेरे वतन के लोगोंऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नाराये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारापर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाएकुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आएऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानीजो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानीजब घायल हुआ हिमालय ख़तरे में प

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'बेकार' होने के बाद कैसे जिंदा रहती हैं जीबी रोड की औरतें?

27 दिसम्बर 2017
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नितीश के सिंह सोशल वर्क से जुड़े हुए थे. अब प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. लिखने का खूब शौक है. इसलिए कहीं घूमने जाते हैं, या कोई नया अनुभव होता है, तो उसे सोशल मीडिया पर लिख देते हैं. ये लेख भी नितीश ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर लगाया था.मासिक धर्म, माहवारी, पीरियड्स– इन सब नामों से हम सब वाकिफ़ हैं.

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कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही।

2 जनवरी 2018
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कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही।अपनी संस्कृति की झलक को अवश्य पढ़ें और साझा करें ।।1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?????* न ऋतु बदली.. न मौसम* न कक्षा बदली... न सत्र* न फसल बदली...न खेती* न पेड़ पौधों की रंगत* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा* ना ही नक्षत्र।।1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते

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मैं बिहार हू...

25 अक्टूबर 2018
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मैं बिहार हू.... मै सब कुछ हू पर बेविचार हू और जंग लगी जातिगत तलवार हू.. लालू औऱ नितीश से लाचार हू... इनके लिए बस एक व्यापार हू... हा मैं ही बिहार हू... खुद के कारण बेशर्म औऱ लाचार हू... गंदे लोकतंत्र का आसान शिकार हू... बस मै बिहार हू भारत वर्ष के गौरवशाली इतिहास का इतिहासकार औऱ आधार हू.... मै बिहा

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