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कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही।

2 जनवरी 2018

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कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही। अपनी संस्कृति की झलक को अवश्य पढ़ें और साझा करें ।। 1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ????? * न ऋतु बदली.. न मौसम * न कक्षा बदली... न सत्र * न फसल बदली...न खेती * न पेड़ पौधों की रंगत * न सूर्य चाँद सितारों की दिशा * ना ही नक्षत्र।। 1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व हो। नया केवल एक दिन ही नही कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है। ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर: 1. प्रकृति- एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. वही चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I 2. मौसम,वस्त्र- दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर.. लेकिन चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I 3. विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी मे वही कक्षा कुछ नया नहीं.. जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I 4. नया वित्तीय वर्ष- दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है नए बही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I 5. कलैण्डर- जनवरी में नया कलैण्डर आता है.. चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I 6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है.. जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह I 7. पर्व मनाने की विधि- 31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश.. जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I 8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है.. जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I एक जनवरी को अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला.. अपना नव संवत् ही नया साल है I जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थीयों की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..??? "एक जनवरी को कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं" आओ जागेँ जगायेँ, भारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़े I ।।जय श्री राम जय सनातन धर्म।। ⛳🕉⛳🕉⛳🕉⛳

राजीव रंजन सिंह -राजपूत- की अन्य किताबें

सुमित

सुमित

बहुत अच्छा।आज की परिस्तिथी में सिर्फ भारीतय संस्कृति का ज्ञान ही उसे आगे बढ़ा सकता है।उस दिशा में आप का एक बेहतर कदम। धन्यबाद।।

3 जनवरी 2018

अजीत सिंहः

अजीत सिंहः

बहुत सुन्दर... परन्तु व्यवहार में भी ऐसा होना चाहिए । अपने विचार मूषक पर साझा करो बन्धु... हमारा मूषक पता-@अजीतसिंहः मूषक के लिए www.mooshak.in पर जायें।

2 जनवरी 2018

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मै इतिहास नहीं जानता

9 मई 2016
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मै इतिहास नहीं जानता मुगलों का,मै इतिहास नहीं जानता बाबर का, मै इतिहास नहीं जानता गौरी का,मै इतिहास नहीं जानता सिकंदर ऑर सहनसाओ का… मै इतिहास जानता हु उन अमर बलिदानो का… मै इतिहास जानता हु सिंह जैसी ललकारों का…मै इतिहास जानता हु उनके जोश ऑर जज़्बातों का…मै इतिहास जानता हु उन वीर सपूतों का…जिसने शीश च

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जिंदगी है कहाँ ???

8 जून 2016
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मै हु तन्हा,       मेरी जिंदगी है कहाँ ।       ये दर्पण बता चेहरा कहाँ मै हु तन्हा,       मेरी जिंदगी है कहाँ । हैं फासले क्यों मिटते नहीं, ये रास्ते क्यों कटते नहीं । सर्गोशी ईन आखों में छाई अंधेरा, हैं मेरी बचपन कहाँ, मेरी ज़िदगी कहाँ  " शायरी "आज मैने जिन्दगी कई नाम दिया हैं । तू ढूंढ कर लादे उस

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RAVAN MARTA Q NAHI HAI

11 अक्टूबर 2016
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🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏हम आज रावण को मारने चले हैं पर क्या हम राम है अगर नहीं तोहम रावण को हर बार मारेंगे पर मरेगा नहीं.... 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞

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कभी कश्मीर तो, कभी असम बंगाल जला है ।।

10 जुलाई 2017
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कभी कश्मीर तो, कभी असम बंगाल जला है ।।ज़ालिम एक-एक अफवाहों में, कितनो के घर कितने दुकान जला हैं ।।देकर लोकतंत्र के दिलासा,जाति और मज़हब के अरमान जला है ।।पर आइना में झांक कर देखा, बलिदान के नाम पे निर्दोष जला है ।।जंजीर लगे सिर्फ उनके जिनकी कोई पहचान नहीं,वर्ना बरे नाम वालो के आगे पूरा हिंदुस्तान जला

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मोहे भगवा प्रेम बस भावे है।।

15 जुलाई 2017
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सब कहे...है रंग अनेको हजारमोहे भगवा रंग बस भावे है।।अब तो राम लल्ला घर जावेंगेलाख मना करे मारे संविधानलोग कहे... है दुनिया रंग बिरंगीमोहे भगवा रंग बस भावे है।।जब करू याद पुरानी बातमेरे प्यारे राम के घर तोरा थालोग कहते.... है रिस्ते हजारों हजारमोहे भगवा प्रेम बस भावे है।। ----राजीव रंजन सिंह राजपूत

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ये चाँद तेरा राज क्या है?

7 अगस्त 2017
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जमी एक है फिर भी बट चुके है हमधर्म और मजहब के नाम पे कितनी बार मर चुके है हम आज चाँद को देखा तो खामोशियाँ कुछ कह गई ये चाँद तेरा राज क्या है ?ईद भी तेरी है...और करवाचौथ भी तेरा है...राजीव रंजन सिंह राजपूत8936004660rajivranjansingh2020@gmail.com

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ऐ मेरे वतन के लोगों

14 अगस्त 2017
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ऐ मेरे वतन के लोगोंऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नाराये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारापर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाएकुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आएऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानीजो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानीजब घायल हुआ हिमालय ख़तरे में प

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'बेकार' होने के बाद कैसे जिंदा रहती हैं जीबी रोड की औरतें?

27 दिसम्बर 2017
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नितीश के सिंह सोशल वर्क से जुड़े हुए थे. अब प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. लिखने का खूब शौक है. इसलिए कहीं घूमने जाते हैं, या कोई नया अनुभव होता है, तो उसे सोशल मीडिया पर लिख देते हैं. ये लेख भी नितीश ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर लगाया था.मासिक धर्म, माहवारी, पीरियड्स– इन सब नामों से हम सब वाकिफ़ हैं.

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कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही।

2 जनवरी 2018
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कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही।अपनी संस्कृति की झलक को अवश्य पढ़ें और साझा करें ।।1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?????* न ऋतु बदली.. न मौसम* न कक्षा बदली... न सत्र* न फसल बदली...न खेती* न पेड़ पौधों की रंगत* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा* ना ही नक्षत्र।।1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते

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मैं बिहार हू...

25 अक्टूबर 2018
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मैं बिहार हू.... मै सब कुछ हू पर बेविचार हू और जंग लगी जातिगत तलवार हू.. लालू औऱ नितीश से लाचार हू... इनके लिए बस एक व्यापार हू... हा मैं ही बिहार हू... खुद के कारण बेशर्म औऱ लाचार हू... गंदे लोकतंत्र का आसान शिकार हू... बस मै बिहार हू भारत वर्ष के गौरवशाली इतिहास का इतिहासकार औऱ आधार हू.... मै बिहा

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