कभी कश्मीर तो,
कभी असम बंगाल जला है ।।
कभी कश्मीर तो, कभी असम बंगाल जला है ।।ज़ालिम एक-एक अफवाहों में, कितनो के घर कितने दुकान जला हैं ।।देकर लोकतंत्र के दिलासा,जाति और मज़हब के अरमान जला है ।।पर आइना में झांक कर देखा, बलिदान के नाम पे निर्दोष जला है ।।जंजीर लगे सिर्फ उनके जिनकी कोई पहचान नहीं,वर्ना बरे नाम वालो के आगे पूरा हिंदुस्तान जला