आत्मचेतस् से सम्पृक्त लोकचेतनावादी कविता संग्रह
(ऑंख ये धन्य है-नरेन्द्र मोदी, अनुवाद अंजना संधीर)
-डॉ0 भूपेन्द्र हरदेनिया
आचार्य भरत का कथन है-सा कविता सा बनिता यस्याः श्रवनेने स्पर्शनेन च।कवि हृदयं पति हृदयं सरलं-तरलं सत्वरं भवति।।अर्थात् एक सुन्दर और श्रेष्ठ कविता वही है जो अपने श्रोता, पाठक, सहृदय का उसी प्रकार साधारणीकरण कर दे जिस प्रकार एक सुन्दर स्त्री अपने पति के हृदय को आल्हादित कर उसका सरलीकरण कर देती है, उसे