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माँ की इच्छा

12 अगस्त 2017

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🔴🎷 🌺 माँ की इच्छा 🌺 🎷🔵 महीने बीत जाते हैं , साल गुजर जाता है , वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर , मैं तेरी राह देखती हूँ। आँचल भीग जाता है , मन खाली खाली रहता है , तू कभी नहीं आता , तेरा मनि आर्डर आता है। इस बार पैसे न भेज , तू खुद आ जा , बेटा मुझे अपने साथ , अपने 🏡 घर लेकर जा। तेरे पापा थे जब तक , समय ठीक रहा कटते , खुली आँखों से चले गए , तुझे याद करते करते। अंत तक तुझको हर दिन , बढ़िया बेटा कहते थे , तेरे साहबपन का , गुमान बहुत वो करते थे। मेरे ह्रदय में अपनी फोटो , आकर तू देख जा , बेटा मुझे अपने साथ , अपने 🏡 घर लेकर जा। अकाल के समय , जन्म तेरा हुआ था , तेरे दूध के लिए , हमने चाय पीना छोड़ा था। वर्षों तक एक कपडे को , धो धो कर पहना हमने , पापा ने चिथड़े पहने , पर तुझे स्कूल भेजा हमने। चाहे तो ये सारी बातें , आसानी से तू भूल जा , बेटा मुझे अपने साथ , अपने 🏡 घर लेकर जा। 🏡 घर के बर्तन मैं माँजूंगी , झाडू पोछा मैं करूंगी , खाना दोनों वक्त का , सबके लिए बना दूँगी। नाती नातिन की देखभाल , अच्छी तरह करूंगी मैं , घबरा मत, उनकी दादी हूँ , ऐंसा नहीं कहूँगी मैं। तेरे 🏡 घर की नौकरानी , ही समझ मुझे ले जा , बेटा मुझे अपने साथ , अपने 🏡 घर लेकर जा। आँखें मेरी थक गईं , प्राण अधर में अटका है , तेरे बिना जीवन जीना , अब मुश्किल लगता है। कैसे मैं तुझे भुला दूँ , तुझसे तो मैं माँ हुई , बता ऐ मेरे कुलभूषण , अनाथ मैं कैसे हुई ? अब आ जा तू मेरी कब्र पर , एक बार तो माँ कह जा , हो सके तो जाते जाते , वृद्धाश्रम गिराता जा।

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