*शिल्प~ मगण,भगण,सगण* (222, 211, 112), 9 वर्ण, 4 चरण, 2-2 समतुकांत "पवित्रा छंद" गोरी जागे सपन लिए नैना खोले नमन लिए। भोली भाली सुमन सखी चाहें तेरी चमन सखी।।-1 कोरे कोरे नयन तिरे सीधे साधे पवन झिरे। कैसी है तू तरल सखी प्यासे नैना सजल सखी।।-2 बोलो बैठो अनुज कभी भ