आधी आबादी (कविता)
बहुत डरते हो तुम तो,
इस आधी आबादी से!
हाँ, तुम्हें डर है कि कहीं
इनकी मेहनत, लगन और..
आसमाँ से भी ऊँचे इरादों के आगे
छोटा न पड़ जाए,
तुम्हारे पुरुषत्व के अहंकार का दर्प!
तभी तो...
कभी जन्म से पहले ही,
और कभी पैदा होने के बाद...
इन्हें खत्म करने की,
बार बार नाक़ाम कोशिश करते हो,
ठीक उसी प्रकार...
जैसे कंस ने किया था,
कृष्ण को मारने के लिए...!!
©अनिता सिंह
देवघर, झारखण्ड।