भजन मंडली ने एक भजन छेड़ रखा था | रात मे खेत में पानी लगाते रामू के कानों में शब्द किसी रस की भांति प्रवेश कर रहे थे |
" कहत कबीर सुन है साधो
पाप लगे यहाँ आधो आधो
गम है आधो, हंसी है आधी
पुरुष है आधो, स्त्री है आधी
आकाश है आधो, धरती है आधी
तन है आधो, मिटटी है आधी
लोग बाग़न के चक्कर में
यहाँ मानुख
जिया है आधो, मर है आधो
कहत कबीर सुन है साधो
पाप लगे यहाँ आधो आधो
ज्ञान की फ़िक्र सब कर है
मान की फ़िक्र सब कर है
कर ना कोई संग मौत आधो आधो
कहत कबीर सुन है साधो
पाप लगे यहाँ आधो आधो"