सफर का पता है, और मंजिल बेबसी | इतना जान लीजिए |
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भजन मंडली ने एक भजन छेड़ रखा था | रात मे खेत में पानी लगाते रामू के कानों में शब्द किसी रस की भांति प्रवेश कर रहे थे | " कहत कबीर सुन है साधो पाप लगे यहाँ आध