shabd-logo

अंधविश्वास

hindi articles, stories and books related to andhvishvaas


उस रात अरमान को नींद नहीं आई। फोन को उसने अलमारी में रख दिया, लेकिन ऐसा लगा जैसे उस अलमारी से भी एक ठंडी लहर बाहर आ रही हो।“क्या करूं इस फोन का? फेंक दूं?” उसने खुद से कहा।लेकिन फिर दिमाग ने उसे टोका।

अगली सुबह, अरमान बेमन से उठा। रात भर उसे नींद नहीं आई थी। “पता नहीं ये नया फ्लैट है, फोन का वह अजीब मैसेज, या मैं ही कुछ ज्यादा सोच रहा हूं,” उसने अपने आप से कहा।फ्लैट में बने छोटे से किचन में उसने चा

सुबह हुई,पसारा था कोहरे का मानो वीरान सा नजारा देहात का ओझल थे मानो सब घर  ओझल थे मानो सब नर था परिवेश में शीत महा  कांप उठी थी जन की रुह जहां थे घरों के अंदर उनके तन थे घरों के अंदर उनके मन

कहानी एक छोटे से गांव में शुरू होती है, जहां एक अजीब घटनाओं की लहर ने हर किसी की नींद उड़ा दी थी। गांव के लोग दिन-रात बस एक ही सवाल पूछ रहे थे - "क्या हो रहा है?" इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश में

मैं अपने जीवन की छोटी सी कहानी को पहली बार इस वेबसाइट के माध्यम से लिखना जा रहा हूं,जिसका नाम मैंने रखा है, (सबसे बड़ा रोग, मतलब इंसान की सबसे बड़ी बीमारी,) मेरा 32साल का अनुभव कहता है की हर एक इंसान

धर्म और अंधविश्वास। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के पश्चात हुई भगदड़ में लगभग १२१ मनुष्यों की असमय मौत हो गई (जिसमें स्त्रियाँ, बच्चे और पुरुष सम्मिलित हैं)। मित्रों इस घटना ने एक बार पुनः बुद

पिंजरे का पंछी  - सेठ जी और तोता की प्रेरणा दायक कहानीएक सेठ जी और सेठानी जी हमेशा भजन - कीर्तन में जाते थे । सेठ जी के घर एक पिंजरे में तोता पाल रखा हुआ था । तोता एक दिन पूछता हैं कि, सेठजी आप ह

फूल और तितलीएक तितली मायूस सी बैठी हुई थी । पास ही से एक और तितली उड़ती हुई आई । उसे उदास देखकर रुक गई और बोली - क्या हुआ ? उदास क्यों इतनी लग रही हो ?वह बोली - मैं एक फूल के पास रोज जाती थी । हमारी आ

सत्य व असत्यअनिल और सुनिल दोनों बहुत ही घनिष्ठ मित्र व सहपाठी भी थे। वे कक्षा - सात में पढ़ते थे। अनिल एक बुद्धिमान लड़का था। वह सत्य में विश्वास करता था। वह कभी असत्य नहीं बोलता था, जबकि सुनिल असत्य

featured image

मस्तिष्क में उपजते आभा सम, वीचारों को छिन्न करती हो, प्रेम से बंधे सुंदर बन्धन को, तुम आकर भिन्न करती हो। तू कुशाग्र बुद्धि की अवरोधक, हर दुःख का तुम सुंदर सपना, तेरे ही आ जाने से जग में, खोती चि

featured image

गुरु का स्थान तो कबीरदास जी के इन दोहों से ही स्पष्ट हो जाती है:- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय? बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो बताय। वैसे तो इस अखिल ब्रम्हांड के सबसे बड़े गुरु शिव हैं। हर

featured image

उठा चंद्रहास कर संहार राम का तूँ,  देख रावण, तूँ जीत गया। अनुराग की लिखी है यह पंक्तियाँ, आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सत्य। कितने प्रकार के भावों का समावेश है इन पंक्तियों में। दुःख है आज के परिवेश

featured image

~~बनारस~~ घाट जग चुकी है। एक जादू सा प्रतीत होता है, अंधकार को चीरता हुआ सूरज, एक नवीन ऊर्जा और जीवन को लेकर  उदयाचल की ओर से आगमन करता है। गंगा की लहरें किनारों से टकराकर, पुनः पुनः परावर्तित

रमन एक गरीब व्यक्ति था उसकी पत्नी और दो बच्चों के साथ एक बूढी मां भी रहती थी उसका घर एक झोपड़ी का था रामपुर गांव का रहने वाला था उसे गांव में सभी लोगों के पास बहुत ज्यादा  जायदाद था लेकिन केवल रमन अके

featured image

आत्म ज्ञान एक परिचय- दोस्तों हममें से बहुत से लोगों ने यह बात अवश्य सुनी होगी कि मनुष्य जन्म का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करके मोक्ष प्राप्ति करना है। मनुष्य जीवन में अनेकों संकट और कठिनाइयां पाई जा

featured image

आदिकवि भगवान् वाल्मीकि जी ने अपने महाकाव्य रामायण में जिस राम का वर्णन किया है, वह सिर्फ एक महापुरुष है। उन्होंने राम के जीवन के माध्यम से समाज को मर्यादा,आदर्श और सदगुणों के पराकाष्ठा का दर्शन करवा

रात गुजर गई लोरी में, रात गुजर गई लोरी में, वह लोरी अभी बाकी है। तेरे फन के गुलाम हम, उसे बताना अभी बाकी है। करवटों से सिकुड़ी चादर को, झाड़ना अभी बाकी है। बिखरी हुई जुल्फों को, कंघे से सुलझाना अभ

featured image

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस में हम सब भाई भाई। जन्म लिया तो सीने पर राम था क्या तुम्ही को इबादत मिली थी क्या कमर पर कृपाण था क्या या गले पर क्रास निशां था क्यो दिखाते हो चतुराई आपस म

   भजन मंडली ने एक भजन छेड़ रखा था | रात मे खेत में पानी लगाते रामू के कानों में शब्द किसी रस की भांति प्रवेश कर रहे थे |                                   "  कहत कबीर सुन है  साधो  पाप लगे यहाँ आध

अंधविश्वास कोई भी ऐसा विश्वास या अभ्यास है जो गैर-चिकित्सकों द्वारा तर्कहीन या अलौकिक माना जाता है, जिसे भाग्य या जादू, कथित अलौकिक प्रभाव, या अज्ञात के डर से जिम्मेदार ठहराया जाता है। यह आमतौर पर भाग

संबंधित टैग्स

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए