तपते हुए जिस्म में कुछ हरकत-सी हुई,
तेरे सर्द हाथों की नरमाहट-सी है.....
आँखों में नमी, सासों में गरमाहट,
होंठों पर एक प्यास-सी है.....
हाँ, आज वो मेरे आस-पास ही है !!
उसका इस तरह कातर निगाहों से देखना,
अश्कों से भरी अपनी आंखों को भींचना .....
वो बेबसी, वो बैचैनी, वो हाथों को बार-बार पटकना,
मेरे अंतिम समय की उसको भी आहट है...
हाँ, आज वो मेरे आस-पास ही है !!
क्या बोलूँ मैं, अब कुछ बोल ही नहीं पाती,
उसकी सारी आख़िरी ख्वाहिशों को...
काश...! मैं पूरा कर पाती...
देखती हूँ सूनी निगाहों से उसको,
वो जो मेरे साथ है....
हाँ, आज वो मेरे आस-पास ही है !!
मेरी उठती-गिरती सासों का गवाह है वो,
नाम उसका ही इन होंठों पे है, जानता है वो....
उसका वो मेरे हाथों में, मन्नतों के धागे बांधना,
दरगाह की राख को मेरे माथे पर लगाना...
कुछ अलग-सा उसका प्यार है,
हाँ, आज वो मेरे आस-पास है !!
लिपट-सा गया वो मेरे शरीर से,
बेतहाशा चूमने लगा वो मेरी पेशानी को...
आखों से बहती अश्रुधारा से,
वो मुझको भिगोता चला गया....
आख़िरी समय है, मुझको अब जाना है,
अब याद आना है...
पल भर का साथ था.... हाँ, आज अंतिम समय में,
वो मेरे आस-पास था !!
तेरे सर्द हाथों की नरमाहट-सी है.....
आँखों में नमी, सासों में गरमाहट,
होंठों पर एक प्यास-सी है.....
हाँ, आज वो मेरे आस-पास ही है !!
उसका इस तरह कातर निगाहों से देखना,
अश्कों से भरी अपनी आंखों को भींचना .....
वो बेबसी, वो बैचैनी, वो हाथों को बार-बार पटकना,
मेरे अंतिम समय की उसको भी आहट है...
हाँ, आज वो मेरे आस-पास ही है !!
क्या बोलूँ मैं, अब कुछ बोल ही नहीं पाती,
उसकी सारी आख़िरी ख्वाहिशों को...
काश...! मैं पूरा कर पाती...
देखती हूँ सूनी निगाहों से उसको,
वो जो मेरे साथ है....
हाँ, आज वो मेरे आस-पास ही है !!
मेरी उठती-गिरती सासों का गवाह है वो,
नाम उसका ही इन होंठों पे है, जानता है वो....
उसका वो मेरे हाथों में, मन्नतों के धागे बांधना,
दरगाह की राख को मेरे माथे पर लगाना...
कुछ अलग-सा उसका प्यार है,
हाँ, आज वो मेरे आस-पास है !!
लिपट-सा गया वो मेरे शरीर से,
बेतहाशा चूमने लगा वो मेरी पेशानी को...
आखों से बहती अश्रुधारा से,
वो मुझको भिगोता चला गया....
आख़िरी समय है, मुझको अब जाना है,
अब याद आना है...
पल भर का साथ था.... हाँ, आज अंतिम समय में,
वो मेरे आस-पास था !!
:::शालिनी::::