चर्चायें होगीं मेरी चहूँ ओर,
जहाँ से भी गुजरेंगे हम,
ये क्या कम है ?
ये तजुर्बा है,
इस जिंदगी का,
गर्व की बात है,
कल बेशक फ़िर ना रहेंगे हम,
पेशानी पर जो बूंदे,
उभर - उभर आई है,
पसीना नहीं है ये,
मेरी मेहनत है,
जो आज रंग लाई है,
करते नहीं हैं किसी से बगावत,
ना ही सीना-जोरी,
बस दौड़ते हैं,
दो रोटी के जुगाड़ में,
पीछे नहीं हटते ये कदम,
भागता हूँ मैं,
दिन-रात, साहब...!
ये गरीबी का मसला है,
छोटी-सी है तनख्वाह,
खाने वालों का जलसा है,
कोई नहीं करता,
आज के समय में मदद,
जब अपने ही नहीं आते आगे,
तो क्या किसी से आस करेंगे हम,
फिर भी नहीं घबराता...!
फिर भी नहीं घबराता !
बस आगे ही चलता जाता मैं,
कोई साथ दे या न दे,
अकेला ही बढ़ता जाता मैं,
एक दिन सुकून का भी आएगा,
इस आशा से बस,
अपनी ही धुन में,
चलता जाता मैं...
जहाँ से भी गुजरेंगे हम,
ये क्या कम है ?
ये तजुर्बा है,
इस जिंदगी का,
गर्व की बात है,
कल बेशक फ़िर ना रहेंगे हम,
पेशानी पर जो बूंदे,
उभर - उभर आई है,
पसीना नहीं है ये,
मेरी मेहनत है,
जो आज रंग लाई है,
करते नहीं हैं किसी से बगावत,
ना ही सीना-जोरी,
बस दौड़ते हैं,
दो रोटी के जुगाड़ में,
पीछे नहीं हटते ये कदम,
भागता हूँ मैं,
दिन-रात, साहब...!
ये गरीबी का मसला है,
छोटी-सी है तनख्वाह,
खाने वालों का जलसा है,
कोई नहीं करता,
आज के समय में मदद,
जब अपने ही नहीं आते आगे,
तो क्या किसी से आस करेंगे हम,
फिर भी नहीं घबराता...!
फिर भी नहीं घबराता !
बस आगे ही चलता जाता मैं,
कोई साथ दे या न दे,
अकेला ही बढ़ता जाता मैं,
एक दिन सुकून का भी आएगा,
इस आशा से बस,
अपनी ही धुन में,
चलता जाता मैं...
चलता जाता मैं....।