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आजी

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तीन मंजिला हवेली को मैं आते ही चंद मिनटों में नाप देता था।पीछे गली में झांक कर उधर रहने वालों को भी बता देता कि हम आ गए है। नाना जी काफी पहले ही

मेरी कार भुसावल शहर से सुनसगांव के रास्ते पे तेजी से दौड़ रही थी,और मेरे दृष्टिपटल पर अतीत के सारे दृश्य एक एक कर फिल्म की भांति लगातार अंकित होते जा रहे थे।आसपास के चलते मकानों और पेड़ों को देख पुरानी या

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