"नीरज तुम भी जानते हो और मैं भी ..!"
"क्या…यही ना हम एक नहीं हो सकते..!"
"हां..पर सोचो ना..!हम अलग ही कहां है..?"ये प्यार में अपनापन हमेशा जोड़े रखेगा हमें..!"
"कहना आसान है नेहा ..जीवन कैसे गुजरेगा..?"
"गुज़र ही जाएगा नीरज!बस खुद को समझा लो तुम! जुड़वां मासूम बच्चों का सवाल ना होता तो.. मैं तुमसे कभी दूर ना जाती।किस्मत की लकीरों में अब यही है..नीरज..भैय्या के अचानक चले जाने से टूट गई है तुम्हारी वर्षा भाभी बच्चों ने अभी बोलना भी नहीं सीखा है कैसे पिता के प्यार बिना बड़े होंगे…"?
"नेहा क्यों ना ऐसा करें..?हम वर्षा भाभी के बच्चों को गोद ले लें..?
पर नीरज फिर भाभी की ममता का क्या..?वो क्या संभाल पाएगीं खुद को ..?
फिर जब हमारे बच्चे होंगे तब..? नीरज तुमसे अलग होने से पहले मेरी आखरी इच्छा यही है संवार दो.. दो मासूम नन्हों का जीवन किस्मत की लकीरों को गले लगाओ जाओ संभालों वर्षा भाभी को और बच्चों को..!हम दोस्त रहेंगे हमेशा।