प्रणाम सिस्टर, Yes, हम क्या खाए और कैसा खाए हमारा शरीर एक भौतिक शरीर है जो मेटर से निर्मित है। जब किसी हिंसक व पालतु पशु-पक्षी का मांस खाते है तो उसका आचरण,डर व बल भी उसमे समा
प्रणाम स्वामी जी, Yes, अब हमे अपना जीवन बचाना है तो पृथ्वी को सुरक्षित रखना होगा। बहुत दोहन कर लिए उसके प्रति संवेदनशीलता हमारी कम रही है। पेड़ पौधे काट डाले,उपजाऊ भूमि
प्रणाम सिस्टर, Yes, हम वही देखे जो देखना चाहते है । हम वही बोले जो सकारात्मक है। हम वही सुने जो सत्यता की ओर ले जाए जिस तरह से एक बच्चा रेत से सीपी को चुन लेता है
"आधा ख्वाब आधा इश्क अधूरी सी बंदगी", "मेरी हो पर मेरी नहीं कैसी है ये जिंदगी"!
किसी ने पूछा चाय से इतना इश्क क्यों,मैंने कहा आधा दर्द तो वो ही चुरा लेती है।-दिनेश कुमार कीर
प्रणाम सिस्टर , हाँ, सुबह नींद खुलते ही हम परमात्मा को थैंक्स कहे । आज हमारी नींद खुल गई आज हम फिर जीवित है हमें एक मौका जीवन जीने का और दिया है। इस संसार में तो कई लोग रात सो
प्रणाम गुरुदेव, हाँ, दुनिया से नफरत मिट जाए यही लोग चाहेंगे। जहाँ जहाँ हिंसा अपराध हत्या हो रहा है वहाँ के लोगो से पूछो तो जिन पर मौत हर पल गुजर रही है लोग सुकुन और शान्ति का
किसी को तो पसंद आएंगे हम भीकोई तो होगा जिसे दिखावा नहीं, सादगी पसंद हो-दिनेश कुमार कीर
प्रणाम सद्गुरू, हाँ, हर व्यक्ति का कोई न कोई उद्देश्य होता है जैसे कोई पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहता है। कोई बिजनेस करना चाहता है। कोई नेता या अभिनेता बनना चाहता है। यह उद्देश्य
प्रणाम सिस्टर, हम किसी की मदद करे और उनसे इस तरह मदद की अपेक्षा न रखे क्योकि उसके सीडी में अलग अंकित है जो आपके सीडी में था आपने चलाया उसके सीडी है वो वैसा ही चलाएगा। याने कि न
प्रणाम सद्गुरू, हाँ, जिस प्रकार से एक बीज में विशाल वृक्ष छिपा है। उसी प्रकार से हमारे अंदर ही असली राज छिपा है। आप अंदर से कैसे हैं वही बाहर शरीर मन व आपका जीवन शैली निर्भर
प्रणाम सिस्टर, होली के त्यौहार का महत्व हमे समझना चाहिए। होली के एक दिन पूर्व होली जलाई जाती है ।लकड़ी,कन्डा या घास फुस को एकत्र कर जलाया जाता है। हमे इस आग में अपनी बुराइयां व
प्रणाम गुरुदेव, हाँ, मेरा पेट भरा है तो सम्भावना है कि मैं दूसरो को खिलाऊँगा या किसी का भोजन तो नही छीन सकता। संतुष्टि वह विरामावास्था है जिसमे परिधि पर संसार तो चलता है केन्द
प्रणाम सद्गुरू, जल ही जीवन है । जल हमारे लिए एक विकराल समस्या बनता जा रहा है। जलस्तर एकदम नीचे चला गया है। अब गाँवो में भी कई गाँवो का बोर सूखता जा रहा है ।अप्रैल के आते तक
प्रणाम सद्गुरू, हाँ, हमने शोषण ही शोषण किया है। पेड़ पौधे द्रुत गति से काट डाले जंगलो को नष्ट कर डाला। शहर से लगे आसपास के गांव अब शहर बन गए । अब ये शहर बनकर अपने आसपास के गां
प्रणाम स्वामी जी, हाँ,हमारा दृष्टिकोण निर्भर करता है कि हम कैसे देखते है। किसी घटना को हम कैसे लेते है जैसे एक गिलास पानी से आधा भरा है इसकी दो दृष्टिकोण हो सकता है एक तो गिला
माँ हम जिसे पूजते है उसे कई रुपो में मानते है। कोई माँ कहता है कोई ईश्वर कोई परमात्मा कोई भगवान तो कोई अल्लाह कहता है। उस निराकार को लोग दो रुपो में विभाजित करते है एक पुरुष रुप व एक स्त्रैण रुप। इस
प्रणाम आचार्य जी, हाँ यदि हमे स्पष्ट दृष्टि मिल जाए तो हम समझ सकते है। उस दिशा की ओर कदम बढ़ा सकते हैं जो जन कल्याणकारी होगा सत्य की ओर बढ़ सकते है। जब किस
प्रणाम सद्गुरू, मनुष्य को अभी तक पता नही है क्या है सुख, क्या है आनन्द। हम अपना बीमा कराते है ताकि परिवार के सदस्यो को आर्थिक संकट से गुजरना न पड़े। मनुष्य कभी हसता है कभी रो
प्रणाम गुरुदेव , हाँ, प्रार्थना में वो शक्ति है जो हमको सम्बल व शक्ति प्रदान करता है। अपने आस पास पूजा व प्रार्थना करते हम देखते है क्या ये यही प्रार्थना है। हम प्रेयर में क्य