साहित्य प्रेम
निःशुल्क
"नीरज तुम भी जानते हो और मैं भी ..!""क्या…यही ना हम एक नहीं हो सकते..!""हां..पर सोचो ना..!हम अलग ही कहां है..?"ये प्यार में अपनापन हमेशा जोड़े रखेगा हमें..!""कहना आसान है नेहा ..जीवन कैसे गुजरेगा..?""
दहेज की बलि वेदी..प्रेम सहित भेंट स्वरूप बेटियों को दी जाने वाली वस्तुओं को समाज ने कब दहेज बना दिया ये शायद कोई भी नहीं जानता...?किसे जिम्मेदार माने..? कुछ माता-पिता शायद जिनकी बेटी में कुछ कमी हो..
कुछ तो लोग कहेंगे..मोम सा दिल है बहुत जल्दी भावुक हो उठते हो! कुछ भी अच्छा करने की कोशिश में बस लगे रहते हो? भावुक रहो पर थोड़े खुद के लिए सहनशील भी बने रहो! चाहे आपके साथ अच्छा हो या बुरा मुस्कुराइ