दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी उर्मिला सिंह दोनो ही सरकारी नौकरी से रिटायर्ड हैं , दोनो की उम्र सत्तर के पार हैं ,उनके दो बेटे और एक बेटी है ,दोनो ही बेटे विदेश में नौकरी करने गए और वहीं सेट हो गए थे वैसे भी एक बार जिसे विदेश में रहने की आदत हो गई वह फिर भारत आना ही नही चाहता है ,!!
उन्होंने कई बार मां और पिता को अपने साथ ले जाने की कोशिश की पर ये दोनो अपना पुश्तैनी घर और अपना देश छोड़कर जाने को तैयार नहीं हुए , लडको ने कहा भी ये घर चाचा जी को दे देंगे ,इसे बेचेंगे नही जबकि उन्हिका एक पटीदार ( पाटीदार मतलब एक ही खानदान के लोग) ने अच्छी कीमत भी लगा दी थी ,पर इन दोनो ने किसी की नही सुनी उन्हे खर्चे की कोई तकलीफ थी नही , हां उनका घर गांव से थोड़ा अलग था और पांच कमरों के घर में दोनो ही रहते थे , बेटी भी अपने पति के साथ फ्रांस में रहती थी ,पर सभी बीच बीच में मिलने आते रहते थे और पूरा ध्यान रखते थे ,दिग्विजय सिंह तो एक बार बेटो के साथ चले भी जाते पर पत्नी उर्मिला को ठंड में बहुत तकलीफ होती थी ,और लंदन और ऑस्ट्रेलिया में बहुत ठंड होती है ,वहा तो बर्दाश्त भी नही कर पाती, यहां भी जब ठंड बढ़ती है तो दोनो ही शहर चले जाते हैं जहां उनका छोटा सा वन बीएचके का फ्लैट है पूरा ठंड वहा बिताने के बाद ही गांव वापस आते थे ,वैसे भी इन दोनो की दिनचर्या फिक्स थी ,सुबह उठना पार्क तक टहलने जाना ,और आते समय फूल तोड़ते हुए आना , फिर वहीं से दूध की थैली लेते हुए आना ,ये उनकी प्रतिदिन का काम था ,*"!!
इस बार भी दोनो अक्टूबर में ही शहर वाले घर में आ गए थे , यह घर उन्होंने अपनी। कमाई से खरीदा पहला घर था इसलिए दिग्विजय ने उसे कभी नहीं बेचा ,उसे अच्छे से मेंटेन किया , इस घर को लेने में उन्हे उस समय काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, उस समय इन्होंने एक लाख रुपए में लिया था आज वह इलाका मैं बाजार में आ गया था ,*"!
शाम का भी दिनचर्या तय ही था ,उसी पार्क में सभी रिटायर्ड मित्रो की बैठक थी ,कोई जज साहब द तो कोई बैंक मैनेजर ,पर उनके बीच सबसे ज्यादा इज्जत दिग्विजय जी की थी क्योंकि वह स्कूल के प्रिंसिपल रह चुके थे , और सभी इस बात को मानते थे की बिंना गुरु ज्ञान के कुछ प्राप्त नहीं होता है , *"!!
एक दिन रात में अचानक उर्मिला की तबियत खराब होती हैं ,उनकी सांसे बुरी तरह से चलने लगी थी ,उन्हे घबराहट हो रही थी , तो दिग्विजय को कुछ समझ नही आता है तो वह एंबुलेंस को फोन करते हैं , और फिर अपने एक पड़ोसी को फोन करने लगते हैं तो वह नही उठाते हैं ,और वह उर्मिला को छोड़ किसी के पास जा नही सकते थे , ,!!
उसी समय एंबुलेंस आती है ,एंबुलेंस के बॉय उनके फ्लैट का बेल बजाते हैं , तो वह दरवाजा खोलते हैं ,!!
बॉय पूछता है ,*" क्या हुआ अंकल ,किसको प्रोब्लम है ,*"!!
वह कहते हैं *" मेरी पत्नी अंदर है उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है ,*"!! वह लड़का जल्दी से अंदर जाता है और उर्मिला के माना करने पर भी वह उठाकर लाता है ,*"!!
दिग्विजय कहते हैं *" अरे ये क्या कर रहे हो व्हील चेयर ले आते ,*" !!
वह कहता है *" जल्दी चलिए व्हील चेयर लाने का टाइम नही है ,*"!!
वह जल्दी से घर को ताला लग कर चल देते हैं ,*"!!
एंबुलेंस वाला पूछता है *" कहां चलना है ,*"!?
बॉय बोलता है ,*" समर्थ हॉस्पिटल ले चल जल्दी ,*"!!
एंबुलेंस आगे बढ़ती है ,दिग्विजय सिंह जानते थे समर्थ हॉस्पिटल यहां का सबसे बड़ा और महंगा हॉस्पिटल है ,और अच्छा भी है ,**!!
उनको सोचते देख वह लड़का कहता है ,*" आप चिंता मत करिए ,काम से कम पैसों में इलाज हो जायेगा ,कुछ डॉक्टर हैं मेरे पहचान के ,*"!!
उर्मिला इतने तकलीफ में भी इस लड़के को देखती हैं , वह सोचती है इसे क्या पड़ी है जो इतना सोच रहा है ,!!
दिग्विजय कहते हैं ,*" बेटा पैसे की चिंता नही है ,बस ये ठीक हो जाए ,**!!
बॉय कहता हैं,*" सर समर्थ में हार्ट के एक नए डॉक्टर आए हैं ,लंदन से पढ़ कर आए हैं ,बहुत अच्छे आदमी भी हैं ,अगर वो मिल गए तो ,मैडम एकदम ठीक हो जाएंगी,*"!!
उर्मिला मैडम सुन चौकती हैं ,क्योंकि उनके स्कूल के लड़के उन्हे मैडम ही कहते थे ,दरअसल उर्मिला बहुत ही स्ट्रिक्ट टीचर थी ,वह बच्चो के पढ़ाई के लिए पीछे पड़ी रहती थी ,और खूब पिटाई भी करती थी ,*"!!
वह उस लड़के को पहचानने की कोशहिश करती हैं पर अब तक हजारों लड़के उनके स्टूडेंट रह चुके थे कितनी को याद रख सकती थी ,*"!!
एंबुलेंस रुकती है ,वह लड़का कूदकर स्ट्रेचर उतरता है और तेज़ी से अंदर ले जाता है और इमरजेंसी वार्ड में डालते हुए कहता है ,*" डॉक्टर रूपेश हैं उनकी पेशंट है ये ,कहां है जल्दी बुलाओ ,*"!!
वह लड़का एंबुलेंस ब्वॉय है ये सभी जानते थे इसलिए उन्होंने उसके झूठ को भी मान लिया और डॉक्टर को कॉल कर अर्जेंट आने को कहा, रात के बारह बज रहें थे वैसे डॉक्टर रूपेश बिना अपॉइंटमेंट के किसी को देखते नही थे ,पर इमरजेंसी और उन्ही का पेशंट जान जल्दी से आते हैं ,!!
वह जब पेशंट को देखते हैं तो चौक कर कहते हैं "" ये मेरी पेशंट नही हैं ,,किसने कहा की ये मेरी पेशंट है "!!,
ब्वॉय सामने आकर कहता है ,*" सर ये मैने झूठ बोला ये हमारी टीचर मैडम है ,बचपन में पढ़ाई थी मुझे इनको इस हाल में देख मैंने सोचा आपके अलावा और कोई नही देख सकता है ,*"!!
डॉक्टर उसे डांटने लगता है वह कहता है ,*" में तुम्हारी कंप्लेंट करूंगा ये बदतमीजी नही चलेगी , *"!!
तभी दिग्विजय आगे आते हुएं कहते हैं *" डॉक्टर साहब इस बच्चे की ओर से मैं माफी मांगता हूं एक बार मेरी पत्नी को देख लीजिए बहुत कृपा होगी ,*"!!
डॉक्टर उन्हे देख चौंका और फिर उनकी पत्नी को ध्यान से देखता है ,और तुरंत एक्टिव हो जाता है ,वह नर्स को आवाज देकर इंस्ट्रक्शन देने लगता है ,और खुद ही स्ट्रेचर धकेल कर ऑपरेशन थिएटर में ले जाता है ,*"!!
ब्वॉय भी उसके साथ धकेल के जाता है ,!!
एक सिस्टर कहती है ,*" आप बहुत लकी हो अंकल डॉक्टर साहब के पास एक एक महीने की लाइन लगी है ,पर पता नही क्या सोचकर उन्होंने आपका केस एक्सेप्ट किया ,*"!!
ब्वॉय स्ट्रेचर बाहर लेकर आता है ,और कहता है *" मैं इसे गाड़ी में रख कर आता हूं ,आप चिंता मत करिए सब ठीक हो जायेगा , ,*"!!
वह जाता है ,दिग्विजय समझ नही पाते हैं की यह एंबुलेंस ब्वॉय इतना अपनत्व क्यों दिखा रहा है ,!!
अभी वह सोच ही रहे थे तब तक वह लड़का आ कर उनके पास बैठ जाता है ,!!
वह पूछते हैं,*" तुम्हे ड्यूटी पर नहीं जाना है ,*"!!
वह उनकी ओर देख कर कहता है ,*" यहां भी ड्यूटी ही निभा रहा हूं,*"!!
दिग्विजय उसकी बात को समझ नही पाते हैं ,तब तक नर्स आकर कहती है ,*" ये दवा हॉस्पिटल में नही है , कृष्ण चौक पर हमारे हॉस्पिटल की मेडिकल स्टोर है ,वहा अभी कोई डिलीवरी ब्वॉय नही है तो तुम जाकर ले आओ,*"!!
वह लड़का देख कर पूछता है ,*" कितने की होगी ,*"!!
नर्स कहती है ,*" तुम वहा जाकर ये पर्ची दे दो वो पैसे नही लेगा जल्दी जाओ ,*"!!
वह तुरंत भागता है ,*"!!
नर्स दिग्विजय से कहती है ,आप टेंशन मत लीजिए दो ब्लॉकेज है , डॉक्टर साहब अभी उसका ऑपरेशन कर क्लियर कर देंगे ,*"!!
दिग्विजय परेशान होते हैं ,और अपने लडको को फोन लगाते हैं , लड़के कहते हैं पापा कुछ भी करके हम अभी तो नही आ सकते हैं , आप चाहे तो हम एयर एंबुलेंस का बंदोबस्त कर देते हैं मां को यहां लेकर आ जाइए हमे आना होगा तो कम से पंद्रह दिन तो लग ही जायेंगे ,*"!!
वह फोन काटते हैं ,उनकी आंखों में आंसु आता है ,इतनी देर में वह लड़का भागता हुआ आता है ,ऐसे लग रहा था जैसे वह भागते हुए ही गया था ,,!!
वह नर्स को जाकर दावा देता है और फिर आकर दिग्विजय के पास बैठता है ,*"!!
दिग्विजय को उस पर बहुत प्यार आता है ,वह उसके सर पर हाथ फेरकर पूछता है ,*" बेटा क्या नाम है तुम्हारा *"!!
वह कहता है ,*" दीपक शर्मा नाम है मैडम ने बचपन में पढ़ाया था ,उन्हे देखते ही पहचान गया ,और अभी कुछ दिन पहले ही मेरी मां भी हार्ट अटैक से चली गई थी तो इन्हे देखते ही मुझे मान की भी याद आ गई इसलिए बिना आपसे पूछे मैने इन्हे गोद में उठा लिया था मेरी मां को सिर्फ पांच मिनट की देरी हुई थी और वह नही बची थी ,*",!!
उसकी आंखो में भी आंसु आते है ,*"!!
दिग्विजय उसके सर पर हाथ फेरते हैं,*"!!
उसी समय डॉक्टर बाहर आकर कहते है ,*" सर सही समय पर आप आ गए थे और मैं भी पहुंच गया था ,वरना प्रोब्लम हो सकती थी ,अब सब ठीक है , सुबह तक होश आ जायेगा ,आइए थोड़ा थोड़ा कॉफी पीते हैं*"!!
वह ब्वॉय को भी इशारा करते हैं चलने का दोनो जाते हैं ,*"!!
कॉफी पीने की इच्छा तो दिग्विजय को भी हो रही थी पर वहां से उठने का मन नहीं था !!
वह डॉक्टर से पूछता है ,*" डॉक्टर साहब ,अपने चेक भी कर लिया ऑपरेशन भी कर दिया कम से कम एक बार पूछ तो लेते या खर्चे तो बता देते ,अब हम रिटायर लोग हैं उतने पैसे हैं भी को नही ,ये तो जान लेते ,""!
डॉक्टर रूपेश उनकी ओर देख के कहता है ,*" यहां पर हार्ट पेशंट के लिए पहले ही दो लाख एडवांस लेते हैं ,तब एडमिट करते हैं ,पर इस लड़के ने डायरेक्ट अंदर ला दिया और फिर मुझे भी झूठ बोलकर बुला लिया , *"!!
दिग्विजय कहते हैं ,*" इसमें इसकी गलती नही है ,मेरी श्रीमती इसकी अध्यापिका रह चुकी हैं इसलिए ये इमोशनल हो गया था ,""!!
डॉक्टर मुस्कराकर कहता है ,*" और आप मेरे अध्यापक रह चुके हैं इसलिए आपको देखने के बाद मैंने अपना और हॉस्पिटल दोनो का नियम तोड़ दिया और ऑपरेशन कर दिया ,*"!!
दिग्विजय चौक कर देखते हुए पूछते हैं,*"बेटा तुम कब पढ़े थे ,वह चश्मा निकाल कर देखते हैं ,और फिर याद करते हुए कहते हैं , *" अरे तुम कौशल के बेटे हो ना ,,कहां है कौशल ,!?
रूपेश कहता है ,*" वो तो इस दुनिया में नही रहे ,*"!
दिग्विजय अफसोस जाहिर करते हैं , !!
रूपेश कहता है ,*" आप ने मेरे पापा को भी पढ़ाया था और मुझे भी ,आपके पढ़ाए कई लड़के अभी भी मेरे लिंक में हैं ,**!!
दिग्विजय पूछते है ,*" बेटा बिल कितना हो जायेगा ,!!?
रूपेश कहता है ,*" मैने ट्रस्टी से बात कर ली है ,साल में एक या दो केस हम फ्री करते हैं उसमे ये केस मैनेज हो जायेगा ,आपको एक पैसा देने की जरूरत नहीं है , ,*"!!
दिग्विजय की आंखो से आंसु निकलते हैं ,आज उन्हे अपने अध्यापक होने पर असली गर्व होता है ,तभी छोटे बेटे का फोन आया और वह पूछने लगता है ,*" पापा कोई परेशानी हो तो बोलिए मैंने अभी पांच लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए हैं ,सुबह भईया भी कर देंगे ,आप चिंता मत करिएगा ,*"!!
दिग्विजय अपने आंसु पोंछ कर कहते हैं ,*" बेटा जिसके हजारों बेटे हो भला उसे किस बात की चिंता होगी ,अब मुझे कोई चिंता नहीं कई बेटे हैं मेरे पास ,!!
वह खड़े होकर डॉक्टर और दीपक दोनो को गले लगाते हैं,
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