shabd-logo

मदमस्त अवस्था सोलह की

19 फरवरी 2022

16 बार देखा गया 16

मुग्ध हुआ मैं, सौन्दर्य पर उसके
मदमस्त अवस्था सोलह में
तीक्ष्ण बाणों से हुआ मैं घायल
कटार सी उसके नेत्रों से
पास मिले हम,सुन्दर सी एक
पुष्पों से सुसज्जित उपवन में
हया नेत्रों में,काया सुगन्धित
और मुस्कान सजाए चेहरे पर
मुग्ध हुआ मैं, सौन्दर्य पर उसके
मदमस्त अवस्था सोलह में।

सोलह भेद के पुष्प खिले,जब
थामे हाथों में हाथ थे, हम
कूकी कोयल,बोले पपीहे
रंग भरे उस उपवन में
पहरेदार थीं साथ में उसकी
संग आई सोलह सखियाँ
श्रद्धाभाव में रहे समाहित
अनुराग बरसाते, उपवन में
मुग्ध हुआ मै, सौन्दर्य पर उसके
मदमस्त अवस्था सोलह में।

सौन्दर्य की सुरबाला प्रतीत हुई,वो
तन पर सोलह श्रृंगार किये
स्वर्ग सी अनुभूति मिली,हमें
स्नेह की मधुर फिजाओं में
आसक्ति की बारिश में थे भीग रहे,हम
बाहों के आलिंगन में
नम आंखों से विदा लिए,हम
लौट आये घर-आँगन में
मुग्ध हुआ मैं, सौन्दर्य पर उसके
मदमस्त अवस्था सोलह में।

 सुनील कुमार

सुनील कुमार की अन्य किताबें

1

मन मेरा अर्पित

19 फरवरी 2022
1
1
0

मन मेरा अर्पित,तन मेरा अर्पितहृदय का हर भाव समर्पित।ख्वाबों की पतंगें,उड़े गगन मेंपपीहे का वो राग समर्पितमन मेरा अर्पित,तन मेरा अर्पितहृदय का हर भाव समर्पित।चाहत है अभी भेंट करूँ,मैंएक गुलिस्तां फूलों

2

मदमस्त अवस्था सोलह की

19 फरवरी 2022
0
1
0

मुग्ध हुआ मैं, सौन्दर्य पर उसकेमदमस्त अवस्था सोलह मेंतीक्ष्ण बाणों से हुआ मैं घायलकटार सी उसके नेत्रों सेपास मिले हम,सुन्दर सी एकपुष्पों से सुसज्जित उपवन मेंहया नेत्रों में,काया सुगन्धितऔर मुस्कान सजा

3

गुजरे पल की यादें

20 फरवरी 2022
4
1
0

गुजरे पल याद आते हैं वोजब हम साथ तुम्हारे होते थे।मुलाकातों की यादें ताज़ी थींहृदय में आशाओं की शहजादी थीझुकी नजरें,मुस्कान मधुरभ्रमर को परागपान की अभिलाषा थीगुजरे पल याद आते हैं वोजब हम साथ तुम्हारे ह

4

तन-मन समर्पित

20 फरवरी 2022
7
2
2

मन समर्पित, तन समर्पितप्रियतम को जीवन समर्पितप्रेम का पंछी उड़े गगन मेंपपीहे का वो राग समर्पित।शशि बिन जैसे व्याकुल रैना,तेरे दरश को आतुर नैनामन पीपल-पात सा डोले बेगानातू आये, आ जाये चैनामैना देख जैसे

5

चितचोर पिया

28 फरवरी 2022
0
0
0

हे चितचोर पिया !काहे छोड़ मुझे तू गया?पल-पल आँखें,दरश को तरसे।सावन की बारिश,सी आँखें बरसे।हिय का मेरे चैन चुराकर,आखिर, छोड़ मुझे तू गया।हे चितचोर पिया!काहे छोड़ मुझे तू गया?तेरे बिना है छायी उदासीगोकुल,

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए