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1 किताब
मन मेरा अर्पित,तन मेरा अर्पितहृदय का हर भाव समर्पित।ख्वाबों की पतंगें,उड़े गगन मेंपपीहे का वो राग समर्पितमन मेरा अर्पित,तन मेरा अर्पितहृदय का हर भाव समर्पित।चाहत है अभी भेंट करूँ,मैंएक गुलिस्तां फूलों
मुग्ध हुआ मैं, सौन्दर्य पर उसकेमदमस्त अवस्था सोलह मेंतीक्ष्ण बाणों से हुआ मैं घायलकटार सी उसके नेत्रों सेपास मिले हम,सुन्दर सी एकपुष्पों से सुसज्जित उपवन मेंहया नेत्रों में,काया सुगन्धितऔर मुस्कान सजा
गुजरे पल याद आते हैं वोजब हम साथ तुम्हारे होते थे।मुलाकातों की यादें ताज़ी थींहृदय में आशाओं की शहजादी थीझुकी नजरें,मुस्कान मधुरभ्रमर को परागपान की अभिलाषा थीगुजरे पल याद आते हैं वोजब हम साथ तुम्हारे ह
मन समर्पित, तन समर्पितप्रियतम को जीवन समर्पितप्रेम का पंछी उड़े गगन मेंपपीहे का वो राग समर्पित।शशि बिन जैसे व्याकुल रैना,तेरे दरश को आतुर नैनामन पीपल-पात सा डोले बेगानातू आये, आ जाये चैनामैना देख जैसे
हे चितचोर पिया !काहे छोड़ मुझे तू गया?पल-पल आँखें,दरश को तरसे।सावन की बारिश,सी आँखें बरसे।हिय का मेरे चैन चुराकर,आखिर, छोड़ मुझे तू गया।हे चितचोर पिया!काहे छोड़ मुझे तू गया?तेरे बिना है छायी उदासीगोकुल,