[ दीवाली वरसेस ईद -- कहानी ) [ पाचवां व अंतिम क़िस्त ]
[ अभी तक -------दो चार कुल्हाड़ी का वार जब शेर के शरीर पर पड़ा तो कुछ मिन्टों में ही वहां से डर के वह भाग गया । लेकिन इस लड़ाई में युसूफ़ को गर्दन पर अच्छी खासी चोट आई थी । उसे सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी थी । उसे तुरंत ही कवर्धा हास्पिटल ले जाया गया पर आधे घंटे के इलाज और कश्मकश के बाद युसूफ़ अन्सारी की सांसे थम गई वह ख़ुदा को प्यारे हो गये ]
दोनों घटनाओं की खबरें जब रायपुर पहुंची तो रायपुर के अधिकान्श बाशिनदे गंडई में ग्रामिणों द्वारा किए गए काम की और कवर्धा केजंगल में युशुफ़ द्वारा अग्रवाल परिवार के सदस्यों बचाने हेतु शेर से भिड़ जाने वाले जज़्बे की भूरी भूरी प्रशसा करते नज़र आए।
इसी तारतम्य में ब्राह्मण पारा के गल्ला व्यापारी दीनदयाल शर्मा ने घोषण की कि मस्जिद में आग के कारण घायल हुए समस्त लोगों के इलाज का खर्चा मैं उठाऊंगा । वहीं के तेन्दूपत्ता व्यापारी लक्षमण भाई पटेल ने कहा कि गंडई की मस्जिद के पुनर्निर्माण हेतु मैं दस लाख रुपिए दूंगा । शहर के नेता व बड़े ट्रान्स्पोर्टर अकबर खान ने गंडई के ग्रामिणों की तारीफ़ करते हुए घोषणा किया कि वहां के उन ग्रामिणों का जिन्होंने मस्जिद में फ़ंसे लोगों को बचाने के लिए अपना योगदान दिया है उनका रायपुर मस्जिद ट्रस्ट के द्वारा सम्मान किया जाएगा व इस हेतु जो भी खर्च अएगा उसका वहन मैं करूंगा ।
दूसरी तरफ़ जब युसूफ़ अन्सारी की म्रित्यु की ख़बर रायपुर पहुंची , तो उसे जानने वालों के दिल में धक्का लगा । बहुत सारे लोग युसुफ़ के घर वालों को हिम्मत देने उनके घर पहुंचे । यसुफ़ के घर जाने वालों में रिश्तेदारों के अलावा बहुत सारे हिन्दू गण पहुंचे थे । वहां सब लोगों ने मिलकर युसूफ़ को श्रद्धान्जली अर्पित किया। वहां पधारे विश्व हिन्दू परिषद के नवीन गुप्ता जी ने घोषणा की कि युसूफ़ के बच्चों को कालेज तक पढाने की समस्त आर्थिक ज़िम्मेदारी का वहन मैं करूंगा । साथ ही वादा करता हूं कि उनके बच्चों को उनकी शिक्षा और उनके हुनर के अनुरूप किसी अच्छी संस्था में मैं नौकरी दिलाने की भी ज़िम्मेदारी उठाऊंगा । इसके अलावा भी कई हिन्दू लोगों ने युसूफ़ के परिवार को आर्थिक मदद पहुंचाने का प्र्ण लिया । युसूफ़ के ज़नाज़े में उस दिन बहुत भीड़ थी । उपस्थित लोगों में मुसलमानों से ज्यादा हिन्दू जन थे । लोगों को युसूफ़ के प्र्ति हिदुओं की सदभावना देख बहुत ही अचछा लगा और वहां उपस्थित मुसलमानों ने मैयत में शामिल हिन्दू भाइयों का दिल से अभिवादन और शुक्रिया किया । दो दिन पहले जो रायपुर में गर्म माहौल बना था , उसकी तपिश कम हो्ते नज़र आ रही थी ।
ब्राह्मण पारा के लोग भी समूहों में खड़े होकर युसूफ़ की कुर्बानी की तारीफ़ कर रहे थे वहीं मौदहा पारा के लोग गंडई में हिन्दुओं द्वारा वहां के मस्जिद में आग से घिरे मुसलमान भाइयों को बचाने के कार्य की तारीफ़ करते नज़र आये । साथ ही इस बात की भी चर्चा कर रहे थे कि युसूफ़ ने अग्रवाल परिवार के सदस्यों को बचाने जो अपनी कुर्बानी दी है , वह बेमिसाल है । यह हम सबको इंसानियत की राह में चलने की याद दिलाती है । वे इस बात की भी तारीफ़ कर रहे थे कि कितने सारे हिन्दू भाई “ युसूफ़ के परिवार “ की मदद करने आगे आ रहे हैं । आज ब्राह्मण पारा व मौदहा पारा के लोग सिर्फ़ गंडई और कवर्धा की घटनाओं की ही बातें कर रहे थे । वे सब कोकराझाड़ की बातें भूलने लगे थे । न ही उस संबंधित कोई बात भी कर रहा था । रायपुर शहर के हक में एक अच्छा वातावरण का निर्माण होते दिख रहा था ।
अगले दिन समूचे शहर में ईद और दीवाली का उत्साह बढ चढ कर दिखा । ईद की बधाई देने सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मौदहा पारा में हिन्दुओं का तांता लगा रहा । वहीं रात्रि 7 बजे के बाद ब्राह्मण पारा में बहुत सारे मुसलमान भाई पहुंच रहे थे और वे सब किसी न किसी हिन्दू भाई के साथ मिलकर खूब पटाखे फ़ोड़ रहे थे तथा हिदू परिवारों ने उनका दिल से स्वागत करके उन्हें ख़ूब मिठाइयां खिलाईं ।
लगता था कि अब रायपुर वालों को कोकराझाड़ में हुई घटना से कोई सरोकार नहीं रहा था । अगले कुछ दिनों तक मौदहापारा और ब्राह्मण पारा के बुजुर्ग लोग कहते फिर रहे थे कि इतनी ख़ुशियों से ,उत्साह से और भाई चारे के माहौल में ईद और दीवाली शायद ही पहले कभी मनाई गई थी ।
एक खास बात और हुई कि रायपुर में कुछ दिनों तक तक किसी भी घर में कोई अखबार नहीं आया । वास्तव में त्यौहार के महौल में डूबे लोगों को अखबारों को हाथ लगाने की फ़ुरसत ही कहां थी ।
[ समाप्त ]