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काहे इतराते....

15 मार्च 2022

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Afresh

Afresh

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16 मार्च 2022

51
रचनाएँ
काव्य भारती
5.0
जज़्बात को कागज पर उकेरा है। अंधेरी रात के बाद आया नया सवेरा है।। काव्य भारती कविताओं का संग्रह है, जिनमें जीवन के अलग-अलग पहलुओं को कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया है। कई मुद्दे जैसे गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, कोरोना काल के हालात आदि का वर्णन किया है। कहीं आजकल के रिश्तों के बिखराव का राग छेड़ा है, तो कहीं औरत के मन के तारों को झकझोरा है। कहीं अपनों की यादों को संजोया है, तो कहीं हरि भक्ति का बीज बोया है। कहीं सत्कर्म, आध्यात्मिकता से जोड़ा है, तो कहीं कलम को चलते रहने के लिए बोला है। काव्य भारती मेरे जीवन की पहली किताब है। खुद को लेखिका के रूप में देखने के सपने की ओर बढ़ता हुआ पहला कदम है। उम्मीद है आप सभी को मेरा यह पहला प्रयास पसंद आएगा। 😊
1

ऑनलाइन पढ़ाई

2 मार्च 2022
102
61
20

ऑनलाइन हो गई पढ़ाई,बच्चों ने अब रट लगाई।पापा मुझे मोबाइल दिला दो,देखो मेरी क्लास आई।चार चार कैमरे वाला हो,कनेक्ट हो उसमें वाईफाई।क्लियर उसमें वीडियो दिखे, मोबाइल चाहिए हाई फाई।पापा चलाएं कीपेड&nb

2

दर्द-ए-महंगाई

3 मार्च 2022
84
56
18

दर्द-ए-इश्क, दर्द-ए-जुदाई,अब सुनो दर्द-ए-महंगाई।किसे सुनाएं यह फरियाद,पड़ी है महंगाई की मार।गरीब बेचारा रो रहा है,भूखा ही वह सो रहा है।दाल, चावल, सब्जियों के बढ़े हैं दाम,क्या खाए जनता आम।खाली हो गए क

3

कलयुग रो रहा है

3 मार्च 2022
80
47
16

चारों तरफ पाप और हिंसा, देख कर कलयुग रो रहा है। जितना उसने सोचा होगा, उससे भी ज्यादा हो रहा है। सुरक्षित नहीं हैं बहन बेटी, अपने ही घरों में। आकर राक्षस बस गया है, आज कुछ नरों में। रिश्ते नाते सूली चढ

4

ऑफलाइन एग्जाम

4 मार्च 2022
52
35
3

ऑनलाइन हुई बंद पढ़ाई, बच्चों की अब शामत आई। ऑफलाइन एग्जाम की खबर ने, बच्चों की है नींद उड़ाई। ऑनलाइन क्लास में करके बंद कैमरा, म्यूट दबा के मौज मनाई। पढ़ा नहीं कुछ भी साल भर, स्क्रीनशॉट लेकर गैलरी भर

5

प्रकृति से छेड़छाड़

4 मार्च 2022
58
38
6

महंगा पड़ गया इंसानों को, प्रकृति से छेड़छाड़ करना। एक छोटे से वायरस से, पड़ गया है उसे डरना। काट रहा है पेड़ धड़ाधड़, अपनी सुख सुविधा पाने को। आएगा एक दिन ऐसा भी, मिलेगा ना कुछ खाने को। जमीन को केमि

6

एक मासूम पुकार

6 मार्च 2022
41
29
10

सुनो गर्भ के अंदर से, एक बेटी की करुण पुकार। पापा! मुझे मारना ही था, फिर क्यों दिया जीवन ये उधार। रंग बिरंगी इस दुनिया में, आने तो मुझे देते। पापा! गोद में उठाकर, एक

7

कोरोना का कहर

7 मार्च 2022
38
28
1

कहीं से एक आँधी आई। मौत का मंजर साथ लाई।। धूँ - धूँ करके जली पूरी दुनिया। &nbsp

8

आखिर क्यूँ....

7 मार्च 2022
31
25
3

क्यूँ हमेशा मर्यादा की बात, औरत को ही सिखाई जाती है। लाज, शर्म, संस्कारों की घुट्टी, औरत को ही पिलाई जाती है। क्यूँ सारी पाबंदियाँ, औरत पर ही लगाई जाती हैं। डर-ए-रुसवाई जमाने की, औरत को ही दिख

9

पैसे का जादू

8 मार्च 2022
31
27
5

पैसा सब कुछ नहीं, पर बहुत कुछ है। जिसके पास है पैसा, वही खुश है। जाकर देखो किसी, गरीब की टपरियाॅ में। अनगिनत छेद मिलेंगे उसकी, टूटी-फूटी खपरिया में। ना गर्मी में पंखा है, ना सर्दी में कंबल है।&nbsp

10

लड़की हो तुम

8 मार्च 2022
42
28
1

लड़की हो तुम पराये घर जाना है, यह बात हो गई पुरानी। खुद की एक पहचान बनाकर, शुरु करो नई कहानी। झेलने हैं तुम्हें दुनिया के, हर जुल्म-ओ-सितम। रहना है तुम्हें ड़टकर, मजबूत हर दम। कोई ना उठा पाए, मजबूरी

11

हाउस वाइफ

9 मार्च 2022
31
23
1

घर का सारा काम है करती, व्यस्त हमेशा वो है रहती। क्या करती हो दिन भर तुम, अक्सर ताने है वह सुनती। हर सदस्य का रखती ध्यान, फिर भी सब देते उसको ज्ञान। काम नहीं कभी होता पूरा, चाहे कितनी भी हो चतुर सुजान

12

गुम हो रही हूँ

10 मार्च 2022
28
21
4

कुछ समय से मैं, सोचने लगी हूँ। खुद को खुद में ही, खोजने लगी हूँ।।उलझी सी हूँ, अनसुलझे धागों में। उन्हीं गुत्थियों को आज, खोलने लगी हूँ।।चलती जा रही हूँ बस, मंजिल का नहीं पता।ऐसा लग रहा है जै

13

अतीत के पन्ने

10 मार्च 2022
23
19
0

ना पलटो अतीत के पन्नों को,इनमें राज छुपे हैं गहरे।ना कुरेदो पुराने जख्मों को,दिख जाएंगे सबके असली चेहरे।छिपा कर बैठी हूँ,दबा के किसी कोने में। अब तो डर लगने लगा है, अपने वजूद के खोने में।&nb

14

टूटते रिश्ते-छूटते अपने

10 मार्च 2022
22
17
1

हर कोई बदलने में लगा है,बदलना कोई नहीं चाहता।हर कोई समझाने में लगा है,समझना कोई नहीं चाहता।अपना हाल है सबको सुनाना,सुनना कोई नहीं चाहता। हर कोई जताने में लगा है,निभाना कोई नहीं चाहता।दूसरों की गल

15

शब्द

10 मार्च 2022
21
19
5

शब्द का ही सब खेल है,शब्द का है सब जादू।दुष्ट बोले कड़वे बोल,मीठा बोले साधू।मीठा बोले साधू,जीवन में अमृत घोले।जहरीला हो जाए जीवन,जब दुष्ट कड़वा बोले।मुख से निकले शब्द,वापस नहीं हैं आते।जैसे तीर कमान से

16

अब नहीं हैं....

11 मार्च 2022
23
17
0

रिश्तों में वो मिठास, वो अपनापन, अब नहीं हैं.... पड़ोसी हो या रिश्तेदार, भाई भाई में नहीं है प्यार, वो आपस का मेल मिलाप, अब नहीं हैं.... पहले बेटी जब ससुराल जाती, आँखें सबकी नम हो जाती, वो भावनाओं का स

17

बिकाऊ शिक्षा

11 मार्च 2022
25
19
1

शिक्षा हो गई है बिकाऊ, गली-गली में बिकती है। चंद पैसों के खातिर अब, मारी मारी फिरती है। स्कूल खोलने का उद्देश्य, बस पैसा कमाना रह गया है। पढ़ाई हो या ना हो, बस बिजनेस जमाना रह गया है। बड़े स्कूल

18

ऑनलाइन रिश्ते

12 मार्च 2022
21
19
3

रिश्ते अब ऑनलाइन हो गऐ हैं, सब अपने में ही खो गयें हैं। पड़ोस में कौन रहता है नहीं खबर, विदेशों में फॉलोवर्स बड़ रहे हैं। डालते स्टेटस, रहते अपडेट, करते मोबाइल पर रिश्ते सेट।लाइ

19

तुम बदल गए हो.....

13 मार्च 2022
25
19
4

तुम बदल गए हो,पहले जैसे नहीं रहे हो।आहट से पहचान लेते थे मुझे,अब चिल्लाहट भी नहीं सुनते हो।प्यार व्यार कहीं खो गया है, आँसुओं से नाता हो गया है। समझ जाते थे बिना कहे ही तुम, वह अहसास अब

20

ढूँढ़ रही हूँ मैं....

13 मार्च 2022
28
23
1

कुछ खो गया है मेरा, जिसे ढूँढ़ रही हूँ मैं। नींद से जाग कर खुद को, महसूस कर र

21

शिक्षित बेरोजगारी

14 मार्च 2022
21
19
0

पढ़ो पढ़ाओ, आगे बढ़ो, फिर नौकरी के लिए लड़ो। ना मिले तो डाक्यूमेंट्स को, सूटकेस में रख कर ताला जड़ो। नौकरी के अरमान बड़े हैं, सुंदर भविष्य के सपने गड़े हैं। चपरासी की पोस्ट के लिए, पीएचडी वाले भी लाइन

22

दर्द-ए-किसान

14 मार्च 2022
21
19
0

पहले खेत की मिट्टी को, जोत कर नरम है बनाता। फिर उसमें बीज बोकर, उचित समय पर पानी लगाता। एक-एक पल अंकुर फूटने का, बेसब्री से इंतजार करता। फिर नन्हें-नन्हें कोपल को, घंटों वो निहारता रहता। धीरे धीरे बढ

23

पहचान

15 मार्च 2022
18
17
2

पहचान बनाने के लिए, उम्मीद जगाई है। कुछ कर दिखाने की, कसम अब खाई है। गुमराह राहों से, लौट कर अब आना हैं। खुद को खोज कर, पहचान अब बनाना है। अंधेरे से कल को, लौ एक दिखाई है। सुनहरे से कल का, ख्वाब सज

24

बेटी

15 मार्च 2022
17
15
0

नन्हीं सी प्यारी बेटी, जब गोद में आती है। सारा दर्द भूल कर माँ उसे देख-देख हर्षाती है। कभी चूमती उसका माथा, कभी गालों को सहलाती है। कभी दुलार से हाथ फेर कर, अपना दूध पिलाती ह

25

काहे इतराते....

15 मार्च 2022
14
14
1

अगली सांस का नहीं भरोसा, आये या ना आये। पड़ी रहेगी कंचन काया, तू काहे इतराये, बंदे तू काहे इतराये.... कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी, कुछ ना साथ जाए। पड़ा रहेगा माल खजाना। तू काहे इतराते, बंदे तू

26

धन्य होतीं हैं बेटियाँ.....

15 मार्च 2022
21
20
1

अरमान दिल में लिए खुशी के, मन ही मन हर्षाती है। बाबुल का घर छोड़के बेटी, प्रियतम के घर जाती है।। अपनी दुनिया को छोड़के, अपनी दुनिया में आती है। यादों को संजोए अपने साथ, ढ़ेरों सपने लाती है।। नए-नए

27

फ़ितरत

15 मार्च 2022
18
17
2

कुछ लोग शक्कर की तरह, घुलनशील होते हैं। मुँह देखी बात करके, सबका दिल जीत लेते हैं। कुछ लोग नारियल की तरह, होते हैं सख्त। नरम दिल होकर भी, तोड़े जाते हैं हर वक्त। सबकी होती है, अपनी अपनी फ़ितरत। किसी

28

ये कैसी आज़ादी

16 मार्च 2022
13
14
0

खुश तुम होने नहीं देते, उदास तुम रहने नहीं देते हो। खुला आसमान दिखा कर, उड़ने की हदे निश्चित कर देते हो। पंख फैलाने की आजादी देकर, लक्ष्मण रेखा खींच देते हो। अपनी इच्छाओं को मुझ पर थोप कर, मेरे सपन

29

विवाह बंधन

16 मार्च 2022
13
14
1

विवाह बंधन होता है अटूट, जो नाजुक डोर से जुड़ा होता है। उस डोर को कहते तालमेल, जिस पर रिश्ता टिका होता है। दोनों की ताल हो एक समान, तो सरगम बनता है। और अगर ना हुआ कोई मेल, तो तांडव होता है। एक दूसरे

30

नशा

16 मार्च 2022
14
15
1

नशा सिर्फ शराब में नहीं,फ़ितरत में भी होता है।आदमी को आदमी, होने का नशा होता है।किसी को दौलत का खुमार, तो किसी को शोहरत का गुरुर होता है।किसी को अपने रंग रूप,तो किसी को हुस्न का नशा होता है।क

31

सब मोह माया है

18 मार्च 2022
12
12
2

मैं मेरी में फँसे हैं सब, करें याद काम पड़े तब, पीठ दिखाएं मुसीबत हो जब, अपनों से ही धोखा खाया है। सब मोह माया है.... परिवार में नहीं प्यार है, रिश्तों में पड़ी दरार है, दौलत का चढ़ा खुमार है, अ

32

समुद्र जैसी नारी

18 मार्च 2022
13
13
1

विशाल समुद्र फैला है, जहाँ जहाँ तक नजरें जातीं हैं। है नारी का हृदय विशाल, प

33

सपने शादी के

18 मार्च 2022
11
11
1

एक लड़की कितने अरमान लेकर आती है। जब वह शादी करके, अपनी ससुराल जाती है।। बात चलते ही रिश्ते की, दिल धड़कनें लगता है। सोचते ही भावी जीवन को, चेहरा उसका खिलता है।। आशाओं के दीप जलाए, सपनों में खोई

34

नारी शिक्षा

21 मार्च 2022
7
8
0

घर का काम निपटा कर, शीला ने बेटी गीता बुलाई। छोड़ो मुन्नी बंद करो अब, काम कढ़ाई बुनाई। बहुत देर हो गई अब, कर लो थोड़ी पढ़ाई। शीला की बातें सुन, दादी जी घुर्राई। बोलीं कि तूने, लड़की सिर पै चढ़ाई। काम

35

भैया की याद.....

21 मार्च 2022
7
8
2

भैया आपकी, बहुत याद आती है। आपकी यादें मुझे, रोज रुलाती हैं।। इतनी क्या जल्दी थी, आपको जाने की। अभी तो निभानी थी, रस्में जमाने की।। कुछ दिन तो आप, और रुक जाते। मेरे हिस्से का दुलार, मुझे दे जाते।। मैं

36

काला रंग

21 मार्च 2022
8
9
3

काले रंग का होना भी, होता है एक अभिशाप। लोग गोरे काले में करते भेद, सुन्दरता का करें परिमाप। काले रंग वालों को, लोग देखें हेय दृष्टि से। क्यूँ भूल जाते हैं वो, रंग मिला उन्हें इस सृष्टि से। काले रंग

37

झैंझी का ब्याह

21 मार्च 2022
7
8
2

एक बार की बात है, गई थी मैं अपने गाँव। देखा था मेंने वहाँ, एक अनोखा सा त्योहार। घर के द्वार पर गोबर से, दीवार पर बनीं थीं कुछ कलाकृतियाँ। उसके ऊपर फूल सजे थे, गीत गा रहीं थीं लड़कियाँ। कोई कहता सं

38

जिंदगी....

21 मार्च 2022
7
8
0

जिदंगी गुजर जाती है, जिंदगी को समझते समझते.... जिंदगी सिखा देती है, जिंदगी को जीते जीते.... जिंदगी कभी गुदगुदाती है, जिंदगी को हँसते हँसते..... जिंदगी कभी रुलाती है, जिंदगी को

39

जिंदगी के सफर में....

21 मार्च 2022
8
8
3

ज़िंदगी दिखाती, क‌‌ई रूप है। कभी ठंडी छांव, कहीं कड़कती धूप है।। गमों के सागर में, कभी लगाती गोते है। खुशियों के सावन में, सपने जगमग होते हैं।। कहीं विरह की बेला है, हो जाता म

40

सफर जिंदगी का

21 मार्च 2022
6
7
1

जिओ ऐसे कि, शान बन जाए। किसी के चेहरे की, मुस्कान बन जाए। माना कि गमों से, भरा है सफर। चलो तो ऐसे कि, निशान बन जाए। करो कुछ ऐसा, कि नाज किया जाए। सबके दिलों पर, राज किया जाए। गर्व से सिर, उठा

41

गुमनाम रहने दो

23 मार्च 2022
10
9
3

मुट्ठी में जज्बात, दबा के बैठी हूँ। पलकों में आँँसू, छुपा के बैठी हूँ। कि ना नजर मिलाओ, ये आँसू बरस जाएंगे। खुल गई जो मुट्ठी तो, जज्बात बिखर जाएंगे। उमड़ते सैलाब को, यूँ ही दफन रहने दो। दर्द ए एह

42

मिट्टी से दूरी

23 मार्च 2022
10
9
2

हमारे बड़े बुजुर्ग, मिट्टी में अनाज उगाते थे। फिर मिट्टी के चूल्हे पर, मिट्टी के बर्तन में खाना बनाते थे। रहते थे स्वस्थ, सौ साल तक जीते थे। और मिट्टी के मटके का, ठंडा पानी पीते थे। बच्चे धूल मिट

43

लेखक

24 मार्च 2022
5
6
2

एक लेखक से बड़ा, खोजी होता है कौन। विचारों का मंथन करता, बाहर से दिखता वह मौन। विचारों को जगाता है, शब्दों को सजाता है। एक-एक लाइन को जोड़कर, रचना वह बनाता है। दिमाग को कुरेद कर, यादों को सहेज कर।

44

मोबाइल का चस्का

25 मार्च 2022
9
8
2

सुबह आँख खुलते ही,मोबाइल के दीदार करते हैं।करते नोटिफिकेशन चेक,स्टेटस पर अपडेट रहते हैं।सारे काम अब तो,मोबाइल पकड़े पकड़े करते हैं।रात को सोते समय भी,पास में रखें रहते हैं।हर मूवमेंट का अब,फोटो क्लिक

45

कर्म फल

25 मार्च 2022
13
11
6

किसी जंगल में, एक शेर रहता था। सभी जानवरों को डराता, खुद को राजा कहता था। पैने नुकीले दांत निकाले, जोर से गुर्राता था। सभी दुम दबाकर भागते, खुद पर इतराता था। मासूम जानवरों को झपटकर, पल में मार ग

46

रिश्ते

28 मार्च 2022
5
5
3

रिश्ते बंद मुट्ठी से रेत की तरह, फिसलते जा रहें हैं.... कितना भी पकड़ कर रखो, निकलते जा रहें हैं.... आपस की जलन से, पिघलते जा रहें हैं.... अहसानों के बोझ से, कुचलते जा रहें हैं.... आगे निकलने

47

मानव धर्म

28 मार्च 2022
7
7
2

परमात्मा ने सृष्टि बनाई,और रचाई दुनिया सुंदर।अजब अनोखे बनाकर प्राणी, प्राण फूंके उनके अंदर।कोई विशाल भारी-भरकम,कोई छोटा जैसे हो कण।सजे हुए हैं प्रकृति में,जैसे तरुवर पर लगे हों तृण। पर

48

सत्कर्म

28 मार्च 2022
6
5
1

इंसान कर्म करने के लिए है स्वतंत्र । लेकिन भोगने के लिए है परतंत्र।। कलयुग नहीं "करयुग" है आया। जिसने जैसा किया वैसा फल पाया।। जैसा करोगे दूसरों के साथ। लौटकर आएगा तुम्हारे हाथ।। जितना किसी को स

49

स्वस्थ रहो मस्त रहो

28 मार्च 2022
5
6
2

जब से बदल गया है हमारा,सोने जगने का टाइम टेबल।तब से बढ़ता जा रहा है,शरीर में बीमारियों का लेवल।देर रात तक जाग कर,चलाते कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी।फिर सुबह देर तक सोते,ऐसा करते हम बुद्धिजीवी।हर वक्त रखते म

50

ऐ कलम तूँ रुकना नहीं.....

28 मार्च 2022
6
6
2

ऐ कलम ! तूँ चलते रहना, रुकना नहीं। कितने भी तूफाँ आएं तूँ झुकना नहीं।। अब जागी है तो जागते रहना सोना नहीं। फिर किसी कोने में जाकर रोना नहीं।। जज्बात को बयां करने में थकना नहीं। सच्चाई को उजागर करने से

51

समीक्षा रूपी आशीर्वाद....

24 जून 2022
4
3
1

सर, हार्दिक आभार आपका 🙏🙏

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