एक फटी स्लीपर और कुछ फटे पुराने कपड़े पहने हुए एक आदमी जिसकी उम्र करीब चालीस साल के आस पास होगी ,वह एक बहुत बड़े कोठी के बाहर लगे बोर्ड को पढ़ रहा था , *" किशन देव** कोठी नंबर 51
वह बड़बड़ाता है ,*" यहां इतने सारे गार्ड्स हैं , अंदर कैसे जाऊंगा ,*"!!
तभी गेट खोलता है तो एक रोल्स रॉयस कार बाहर निकलती है ,और उसके पीछे चार गाडियां निकलती है और गेट बंद होता है वह गार्ड्स से पूछता है , ,*" भाई ये किशन यही रहता है ,*"!!
वह गॉर्ड उसे ऊपर से नीचे तक देखता है ,और कहता है ,*" यहां किशन देव रहते हैं ,देश के सबसे बड़े बिजनेसमैनो में एक है, यह तुम्हारा कोई किशन नही रहता है ,*"!!
वह कहता है ,*" देखो मेरा नाम सुदामा शर्मा है , एक बार तुम अपने किशन देव को बोलकर तो देखो की तुम्हारा मित्र सुदामा आया है,*"!!
गॉर्ड कहता है ,*" तुमने देखा नही अभी अभी तो गए साहब अगर वह तुम्हारे मित्र होते तो देखते नही ,*"!!
वह कहता है ,*" भाई मैं एक कोने में खड़ा था नही ध्यान दिया होगा,एक काम करो उनका मोबाइल नंबर हो तो दे दो मैं बात कर लूंगा *"!!
वह गॉर्ड कहता है ,*" जा भाई यहां से क्यों दिमाग खराब करता है , हम किसी को साहब का नंबर दे नही सकते हैं ,और तुम जैसे भिखारी को तो एक दम नही चल जा यहां से,*!!
वह बेचारा कोठी को देखते हुए चप्पल घसीटते हुए जाने लगता है ,उसकी आंखो में आंसु थे ,कर दस वर्ष पहले तक उसकी हालत अच्छी थी गाड़ी फ़्लैट सब कुछ था उसके पास पर वक्त ने ऐसा पलटा खाया की आज वह भिखारी हो गए थे , वह शेयर मार्केट का एक अच्छा ब्रोकर था पर कुछ दोस्तो के चढ़ाने पर उसने एक कम्पनी के सारे शेयर उठा लिए की वह बहुत तेज़ी से उठेगा ,और शुरू में उठा भी था तो उसके पास जितने भी अपने और क्लाइंट के पैसे थे सब लगा दिया था ,*!!
और अचानक पूरे दुनिया में शेयर बाजार गिरने लगा था और उसकी कंपनी के शेयर तो सौ का एक रुपए में आ गया , और उसके साथ साथ वह भी सड़क पर आ गया उसे अपना घर बार गाड़ी सब बेचना पड़ा लोगों का कर्ज चुकाने के लिए यहां तक की मजबूरी में पत्नी के गहने भी बेचने पड़े उसके बाद कई बार उसने उठने की कोशिश की लोगो से उधर लेकर काम शुरू किया पर उसका बदनसीबी उसका साथ नहीं छोड़ रही थी *"!!
घर में पत्नी और दो बच्चे थे , पहले बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ते थे ,अब तो बड़ी मुश्किल से सरकारी स्कूल में पढ़ पा रहे थे ,*"!!
दो लड़के थे दोनो ही पढ़ने में तेज़ थे , पर बेचारे हालत के मारे थे ,*"!!
एक दिन किसी से पता चला की उसका बचपन का लंगोटिया यार बहुत बड़ा आदमी बन गया है तो उसकी पत्नी किरण ने उसे जबरन भेजा की जाकर देखो अगर मिल गए तो शायद हमारी हालत ठिक हो जाए ,*"!!
इसी उम्मीद से वह दो दिन से रोज सुबह आ रहा था , दोपहर से वह एक कंपनी में हेल्पर का काम कर रहा था जहां से उसे मुश्किल से छह सात हजार मिल रहे थे ,और उसकी पत्नी भी दो घरों में झाड़ू पोछा लगाने जाती थी जिस से तीन हजार उसे मिलते ,उसमे जिस झुग्गी में रह रहे थे उसका पंद्रह सौ भाड़ा लगता था , और बाकी पैसे से घर खर्च ही बड़ी मुश्किल से चल रहा था ,सभी रिश्तेदार और यहां तक की सगे भाई और बाकी लोग भी उनसे किनारा कर चुके थे ,*"!!
वह रात को घर पहुंचता है ,तो किरण पूछती है, *" क्या हुआ मिले तुम्हारे दोस्त*"!!
वह सब बताता है , किरण कहती है ,*" बड़े आदमी है इतने आसानी से नही मिलेंगे तुम रोज जाओ कभी न कभी मिलेंगे तो ,*"!!
दूसरे दिन फिर वह खड़ा था उस दिन भी ऐसा ही हुआ ,""!!
आज बारहवां दिन था ,पता नही एक गार्ड को उस पर क्या दया आई वह जाकर साहब से कहता है ,*" सर एक भिखारी टाइप का आदमी रोज आकर पर गेट पर खड़ा होता है ,वह कहता है आपका मित्र है , अपना नाम सुदामा शर्मा बताता है पंद्रह बीस दिन से रोज ही आता है ,*"!!
किशन देव कुछ सोचते है ,उनके साथ कुछ लोग बैठे थे ,वह गार्ड को पांच हजार रुपए देकर कहते हैं,*" जो भी हो उसे ये रुपए दे दो और कल आने के लिए कहना ,*"!!
वह गॉर्ड आकर सुदामा को पांच हजार देकर कहता है *" साहब ने तुम्हे नही पहचाना है , पर कल तुम्हे बुलाया है ,सुनो कल अपनी हालत थोड़ा ठीक करके आना , एक अच्छा सा जूता और कपड़े ले लेना ,*"!!
वह उसको धन्यवाद कह कर आगे बढ़ता है तभी फिर किशन देव की गाडियां निकलती है , किशन देव की नजर उस भिखारी जैसे आदमी पर पड़ती है , गाड़ी आगे बढ़ जाती है ,!!
सुदामा गाड़ी के कांचों पर ब्लैक फिल्म लगे होने से अंदर कुछ देख नही पाया था ,पर आज वह खुश इसलिए था की आज अगर ये पैसे नही मिले होते तो घर उसे खाली करना पड़ता ,पिछले तीन महीने का किराया नही भरा था ,!!
दूसरे दिन फिर सुबह वह गेट पर खड़ा था, हां कुछ बदलाव उसने कर लिए थे फेस्ट स्लीपर की जगह उसने सेकंड हैंड जुता ले लिया था ,और शायद कपड़े भी ,रोज से थोड़ी बेहतर स्थिति में था , रात उड़ने और उसकी पत्नी ने सोचा की अगर यह उसका दोस्त ना भी निकाला तो आदमी अच्छा लग रहा है,हाथ पैर जोड़ेंगे तो कुछ तो काम हों सकता है मिल जाए और ये फाके मस्ती के दिन दूर हो जाएं ,कई रात उन्हे खाना भी नसीब नही होता था,!!
वह गार्ड जाकर साहब से कहता है ,तो वह कहते हैं *"उसे कैमरा के सामने खड़े होने के लिए बोलो अंदर अभी गेस्ट हैं , यहां बुलाना ठीक नही होगा ,*"!!
वह गॉर्ड बाहर आकर उसे कैमरे के सामने खड़े होकर कैमरे में देखने के लिए बोलता है , वह हाथ जोड़कर कैमरे में देखता है ,सामने से आवाज आती है ,*" क्या नाम है तुम्हारा ,*"!!?
वह थोड़ा झिझक कर कहता है,*" सुदामा शर्मा , मैं बचपन में तुम्हारे नही आपके साथ पढ़ता था , हम अच्छे मित्र थे एक ही टिफिन में खाते थे ,आप पहचान नहीं पा रहें होंगे मैं गरीबी की वजह से कमजोर हो गया हूं ,!!?
सामने से साहब कहते हैं ,*" मैने तुम्हे नही पहचाना , चलो ये बताओ तुम्हे क्या चाहिए !??
वह कहता है *" आप किशन हो मैं सुदामा ,!!
इतना कह कर वह रोने लगा सामने से आवाज कट होती है , और फिर गार्ड को फोन आता है ,वह जी सर जी सर करता है ,और फिर उसका नाम पता लेता है और फोटो भी खींचता है ,
वह मोबाइल नंबर मांगता है तो वह कहता है *"उसके पास मोबाइल नही है ,उसके लिए पैसे ही नही है ,*"!!
गॉर्ड अंदर फोन कर सब बताता है ,और फिर उसे जाने के लिए कहता है ,*" तुम जाओ एक दो दिन में एक बार आ जाना तुम्हे कोई काम मिल जायेगा ,तुम इस पेपर पर अपना रिज्यूम लिख दो अगर कुछ हैं तो, *"!!?
सुदामा को बहुत उम्मीद थी की उसका मित्र उसे देखते ही बुला लेगा और गले मिलकर उसे अपने साथ बिठायेगा जैसे कृष्ण ने सुदामा के साथ किया था ,वह भी तो कृष्ण ही था और वह सुदामा ,स्थिति दोनो की बराबर ही थी ,पर समय का फर्क था वह द्वापर था और यह कलियुग , पर चलो शायद ये मेरा किशन नही होगा फिर भी उसने बुलाया तो है हो सकता है कोई ढंग का काम दे दे रिज्यूम पढ़कर उसे इस बात का पता तो चल ही जाएगा की मैं क्या कर सकता हूं !!
रात रोज के टाइम के हिसाब से ग्यारह बजे वह अपने घर पहुवता है , पर यह देख वह चौक उठता है की उसके घर पर तो ताला लगा है ,वह घबरा जाता है ,वह पड़ोस की झुग्गी में पूछता है तो पता चलता है शाम को कुछ लोग आए थे और सबको ले गए ,*"!!
सुदामा घबरा जाता है क्योंकि एक क्लाइंट का पैसा वह दे नही पाया था ,और उसने कई बार धमकी दी थी की वह उसके बाल बच्चो को उठा ले जायेगा और अपने घर ने जिंदगी भर के लिए नौकर बना कर रखेगा ,*"!!
वह वहीं बैठकर रोने लगता है ,उसे पता था की पुलिस थाने जाकर भी फायदा नही है वहा भी पैसे के बिना कोई पूछता नही पहले भी कई बार वह उसके खिलाफ कंप्लेंट करने गया था पर पुलिस वालो ने उसे भिखारी समझ भागा दिया था ,*"!!
वह कुछ समझ नहीं पा रहा था की क्या करे कहां जाए ,तभी एक जीप आकर रुकती है ,उसमे से दो मुस्टंडे से आदमी आते हैं और उस से कहते हैं ,*" सुदामा *"!!
वह उनकी ओर देखते हैं उसके अंदर तो प्रतिरोध की शक्ति ही नही रह गई थी , वह दोनो आदमी इसे दोनो बाहों से पकड़ कर जीप में बिठाते हैं ,!!
सुदामा बस इतना पूछते है *" मेरा परिवार तो ठीक हैं ना ,*"!!.
कोई जवाब नही मिलता है , तभी सामने वाले आदमी का मोबाइल बजता है , और वह उठाता है ,और फिर वह सुदामा को मोबाइल देता है , कई सालो से उसने मोबाइल का उपयोग ही नही किया था तो वह उसको हाथ लगाने से भी घबरा रहा था , सामने से उसकी पत्नी किरण कहती है , *" घबराइए नही हम ठीक हैं, आप आ जाओ फिर बात करते हैं ,*"!!
उसे एक बड़े से बंगले में ले जाते हैं ,जहां किरण उसका इंतजार कर रही थी और बच्चे भी साथ खड़े थे ,उसे आश्चर्य इस बात का हो रहा था की इन लोगो ने इतने अच्छे कपड़े कहां से ले लिए और इस बंगले में क्या कर रहे है ,किरण और बच्चे उसे अंदर ले जाते हैं और उसे नहा कर उसके लिए लाए कपड़े पहनने के लिए कहते हैं , सुदामा समझ नही आ रहा था उसे तो सब सपना लग रहा था ,इतने बढ़िया फाइव स्टार बाथरूम में तो घुसने में उसके पैर कांप रहे थे ,पर किसी तरह वह नहा कर बाहर आता है , सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठते है खाना परोसा जाता है ,
खाना खाते है ,,!!
बहुत जमाने बाद उन्हे उतना अच्छा खाना मिला था ,वह किरण से पूछता है *" ये क्या चक्कर है किसका है ये घर और हम यहां कैसे हैं , ""!!
किरण कहती है ,*" मुझे भी नही पता शाम को ये लोग आए और हमे प्यार से यहां ले आए। हमारे लिए कपड़े भी यहीं लाया गया था ,और तुम्हारे लिए भी ,अभी तक किसी ने कुछ भी नही बताया , !!
सुबह ड्राइवर आकर कहता है ,*" सर चलिए ,*"!!
सुदामा आश्चर्य से पूछता है ,*" भाई कहां जाना है ये सब कौन कर रहा है ,*"!!
ड्राइवर कहता है ,*" सर हम तो ड्राइवर है हमे जी आदेश दिया गया वाह कर रहे हैं ,*"!!
थोड़ी ही देर में वह एक बहुत बड़े कॉरपोरेट ऑफिस में पहुंचता है ,अच्छे कपड़ों में वह भी चमक गया था थोड़ा कमजोर था और चेहरे की रौनक गायब थी पर एक ही रात में चमक थोड़ी बहुत आ गई थी , उसे एक बड़े केबिन में जाने का इशारा करते हैं तो वह घबराते हुए अंदर जाता है , तो सामने किशन को देखता है ,उसका चेहरा नही बदला था पर चेहरे की रंगत बदल गई थी हैंडसम कुछ अधिक हो गया था वह तुरंत पहचान गया था ,!!
वह कांपते हुए कहता है ,*" किशन तुम मेरे मित्र किशन हो ना ,*"!!
उसे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था ,!!
किशन आगे बढ़कर उसे गले लगाकर कहता है ,*" माफ करना मित्र मैने तुम्हे देखकर भी अनदेखा कर दिया था , मैं तुमसे इसलिए नही मिला क्योंकि मैं तुम्हे अपने सामने दिन हीन हालत में देखना नही चाहता था , दोनो की ही आंखो में आंसु बह रहे थे, !!
सुदामा को अपनी शेयर ब्रोकिंग कंपनी हो गई थी किशन के कंपनी के सारे शेयर का काम वही देख रहा था उसे अपने पुराने बुरे अनुभवों से जो सीखा था वह बहुत काम आ रहा था ,!!
उस गॉर्ड को सुदामा ने अपना पर्सनल पी ए बना लिया था जिसने उसकी बात किशन से करवाई थी ,आज भी किशन ने सुदामा का साथ नही छोड़ा था ,!!
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