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रक्षा बंधन (राखी)

11 अगस्त 2022

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जय श्री कृष्णा 🙏

मैने रक्षा बन्धन पर लेख तो क ई लिखे है पर कविता लिखने का कभी मन में विचार ही नही आया आज जब विषय सामने आया तो एक कोशिश की है कितना सफल हुआ यह तो आप गुणी जन ही बतायेंगे ।

रक्षा बन्धन का त्यौहार हमें, सदां यही सिखाता।
एक कच्चे छोटे धागे से, सारा जग है बध जाता।।

हर मानव अगर प्रेम से, इस धागे से बध जाए।
कोई भी बहन फिर कभी भी, सताई न जाए।।

द्रौपदी नें चीर फाड़ कर, श्री कृष्ण की उंगली में बांधा था।
भरी सभा बीच चीर हरण में, कृष्ण ने उसको साधा था।।

इन्द्राणी ने भी तो अपने हाथो से,  रक्षा सूत्र बनाया था।
बृहस्पति गुरु ने इन्द्र को, अपने हाथों से जो पहनाया था।।

वही मंत्र श्र्लोक बना, हो गया वह अभीष्ट।
जिसको सुन कर के प्रसन्न, होते है सब इष्ट ।।

प्रसन्न होते है सब इष्ट, वही आज हम तुम्हें बताते।
बोलकर इस मंत्र को, सभी रक्षा बन्धन है मनाते।।

*येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।*
*तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥*

स्वरचित मौलिक रचना
नाम गिरधारी लाल चतुर्वेदी
जिला मथुरा, उत्तरप्रदेश


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