इस किताब मे देश की आजादी को लेकर व देश के वीर सपूतो के ऊपर लिखी समस्त रचनाओं को संग्रहित किया गया हैं।
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जो वंदे मातरम् बना हमारी आजादी का मूल मंत्र।जन गण मन गण गा कर के हम मना रहे गणतंत्र ।।मना रहे गणतंत्र भूल हम उसी वंदे मातरम् को।टैगोर हमको याद रहा भूल गये बंकिमचंद्र को।।जिस बंकिमचंद्र ने लिख डाली आनन
सब अग्रेजी अग्रेजी करते....मैं हिन्दी के गुण गाता हूं...मेरी भाषा सर्वोपरि है...मैं सबको समझाता हू.....मैं सबको समझाता हूं..अपनी भाषा जो हिन्दी है...वह मां भारती के भाल की..एक जगमगाती बिन्दी है...आभूष
हिन्द मे जन्मा हूं मै हिन्दी मेरी भाषा है । हिन्दी हो सर्वोपरि यह मेरी अभिलाषा है ।। सोते, खाते, उठते बैठते मात्र भाषा मे बात करे।फिर क्यू मात्र दिवस के लिये हम इसका प्रचार करे।।अधिक क
आज हमारे भारत में भी हिंदी दिवस मनाया जाता हैं।हम हिन्दी से दूर हुए हैं यह अब हमें जताया जाता हैं।।हिन्दी के प्रचार को हिन्दुस्तान में अभियान चलाया जाता हैं।हम भी हिंदी भाषी हैं अब यह हमें बताया जाता