बेटी - कुल का दीपक
लगाकर मेहेंदी हाँथों में, वो पंछी उड़ गईइस द्वार से उस द्वार तक, वो रोती चली गई
बाप सिसकता रहा, गले से लगाता रहा माँ को अकेला छोड़, वो पिया के घर चली गई
भाई आज हार सा गया, आँसू बहाने लगा
वो मुसाफ़िर, अपनी मंजिल की ओर चली गई
घर सूना हुआ,आँगन शांत हो गया
उसके पायल