*माँ अम्बे स्तुति*पंचचामर छन्द121 212 12, 121 212 12नमामि मातु अम्बिके त्रिलोक लोक वासिनी!विशाल चक्षु मोहिनी पिशाच वंश नाशिनी!!समस्त कष्ट हारिणी सदा विभूति कारिणी!अनंत रूप धारिणी त्रिलोक देवि तारिणी!!सवार सिंह शेष पे महाबला कपर्दिनी!असीम शक्ति स्त्रोत मातु चण्ड मुण्ड मर्