*बेटी-युग*
*बेटी-युग* ...आनन्द विश्वास सतयुग, त्रेता,द्वापर बीता, बीता कलयुग कब का,बेटी-युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।बेटी-युग में खुशी-खुशी है,पर महनत के साथ बसी है।शुद्ध-कर्म निष्ठा का संगम,सबके मन में दिव्य हँसी है।नई सोच है, नई चेतना, बदला जीवन सबका,बेटी युग के नए दौर में, हर्षाया