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*बेटा-बेटी सभी पढ़ेंगे*

2 अक्टूबर 2017

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*बेटा-बेटी सभी पढ़ेंगे*

नानी वाली कथा- कहानी , अब के जग में हुई पुरानी।

बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।

बेटी-युग में बेटा-बेटी,

सभी पढ़ेंगे, सभी बढ़ेंगे।

फौलादी ले नेक इरादे,

खुद अपना इतिहास गढ़ेंगे।

देश पढ़ेगा, देश बढ़ेगा, दौड़ेगी अब, तरुण जवानी।

बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।

बेटा शिक्षित, आधी शिक्षा,

बेटी शिक्षित पूरी शिक्षा।

हमने सोचा, मनन करो तुम,

सोचो समझो करो समीक्षा।

सारा जग शिक्षामय करना,हमने सोचा मन में ठानी।

बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।

अब कोई ना अनपढ़ होगा,

सबके हाथों पुस्तक होगी।

ज्ञान -गंग की पावन धारा,

सबके आँगन तक पहुँचेगी।

पुस्तक और पैन की शक्ति,जगजाहिर जानी पहचानी।

बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।

बेटी-युग सम्मान-पर्व है,

ज्ञान-पर्व है, दान-पर्व है।

सब सबका सम्मान करे तो,

जीवन का उत्थान-पर्व है।

सोने की चिड़िया बोली है, बेटी-युग की हवा सुहानी।

बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।

***

...आनन्द विश्वास

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*बेटा-बेटीसभी पढ़ेंगे* नानीवाली कथा- कहानी , अब के जग में हुई पुरानी।बेटी-युगके नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।बेटी-युग में बेटा-बेटी,सभी पढ़ेंगे, सभी बढ़ेंगे।फौलादी ले नेक इरादे,खुद अपना इतिहास गढ़ेंगे।देश पढ़ेगा, देश बढ़ेगा, दौड़ेगी अब, तरुण जवानी।बे

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चलो,बुहारें अपने मन को,औरसँवारें निज जीवन को। चलोस्वच्छता को अपना लें,मनको निर्मल स्वच्छ बनालें। देखो, कितना गन्दा मन है,कितनाकचरा और घुटन है। मन कचरे से अटा पड़ा है,बदबू वाला और सड़ा है। घृणा द्वेष अम्बार यहाँ है,कचरा फैला

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*बेटी-युग*

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*बेटी-युग* ...आनन्द विश्वास सतयुग, त्रेता,द्वापर बीता, बीता कलयुग कब का,बेटी-युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।बेटी-युग में खुशी-खुशी है,पर महनत के साथ बसी है।शुद्ध-कर्म निष्ठा का संगम,सबके मन में दिव्य हँसी है।नई सोच है, नई चेतना, बदला जीवन सबका,बेटी युग के नए दौर में, हर्षाया

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