मैं अपने छोटे से जहाज में अकेले बैठकर अंडमान निकोबार की तरफ चल पड़ा. कुछ दिन के सफर के बाद में अंडमान निकोबार पहुंच गया. मैंने एक निर्जन द्वीप में अपना जहाज रोक दिया. उस निर्जन द्वीप में मैंने अपने जहाज की रिपेयरिंग आदि की और कुछ आवश्यक वस्तुएं उसमें भरी.
इसके बाद मैं उस खतरनाक द्वीप की ओर चल पड़ा. जहां पर एक जंगली कबीला 60000 सालों से आबाद है. यह कबीला बाहर की दुनिया से कटा हुआ है. यहां के स्त्री-पुरुष लगभग नग्न ही रहते हैं. यह आधुनिक सभ्यता से बहुत दूर है. इनकी संख्या लगभग 300 के करीब थी.
मेरे वहां पहुंचते ही उन खतरनाक लोगों ने मुझ पर तीरों से हमला बोल दिया. लेकिन मैं फाइबर का मजबूत कवच पहना हुआ था. ये कवच मैंने खुद अपनी लैब में तैयार किया था. इस कवच के कारण उनके तीरों का मुझ पर कुछ भी असर ना हुआ. मैं आगे बढ़ता ही गया.
अब वह मुझसे मल्ल युद्ध करने लगे. लेकिन मैंने अपनी दोनों बाहों पर आधुनिक स्टील के बाजू चढ़ा रखे थे. जिसके कारण वे सभी मल्ल युद्ध में भी मुझ से पराजित हो गये.
उन्होंने मुझे अपना सरदार घोषित कर दिया. अब मैं उनके बीच ही रहने लगा. मैंने उन्हें खेती-बाड़ी करनी सिखाई. उन्नत तरीके से शिकार करना सिखाया. आधुनिक ज्ञान-विज्ञान सिखाया. नये शहर बनाने सिखाए. देखते-देखते कुछ ही वर्षों में वह सब आधुनिक हो गए.