Rachnakar nahi hu lekin koshish Jari hai
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अगर कोई जिंदगी से चले जाए तो शिकवा क्या करना लौट कर आए तो साहिल वरना मुकद्दर तक रोना लिखा है यह कहानी है उस मासूम गोरैया जैसी एक लड़की की जो किसी के एहसान पर जिए जा रही है जैसे गोरैया अपना आशियान