एक अलग ही जुगलबंदी है इनकी,
जिंदगी हो या किताब ,
पहल दोनों में जरूरी है,
पन्ने सम्भाल कर पलटना ,
जिंदगी है जनाब,
किताब फिर भी नयी मिल जायेगी,
पर जिंदगी न मिलेगी दुबारा,
चोट के चक्कर में रुक मत जाना,
क्यूंकि हर एक नया पन्ना,
नयी शुरूवात, नयी सुबह लाता है,
हर पन्ना अलग होता है,
हर पन्ना कुछ अलग कहता है,
कुछ में खुशियां होती है,
कुछ में हल्के फुल्के ग़म,
कुछ पन्ने, कुछ सिखाते हैं,
तो कुछ यादें बन साथ रहते हैं,
तभी तो कहते हैं,
जिंदगी एक किताब ही तो है,
हर एक पन्ना, एक नई खिड़की खोलता है,
कभी कभी बंद भी होती हैं,
पर पहल तो खुद को ही करनी होती हैं ना !!!
इसलिए जैसे किताब के पन्ने,
पलटते पलटते कहानी आगे बढ़ती है,
वैसे ही ये जिंदगी भी है ,
बढ़ते चलो, सफर चलते रहेगा,
जिस थम गए, उस दिन समझो,
कहानी रूक जायेगी,
सफर रूक जायेगा।