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नेकी में भी खामियां ???

26 अक्टूबर 2022

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कुछ भी बहुत ज्यादा, 
हानिकारक बन जाता है, 
आश्चर्य की बात है, कि, 
दयालुता भी हानिकारक हो सकती हैं, 
वो कहते है ना...
"भलाई का ज़माना ही नहीं रहा हैं " ,
ये एक ही तो स्वभाव था, 
जो हर एक को लुभाता था, 
छोटा हो या बड़ा, 
अंधे, बहरे और गूंगे तक को भी चपेट में ले लिया था, 
कभी सोचा भी नहीं की इस में भी खामियां होगी, 
कभी-कभी नेकी उल्टी पड़ जाती हैं, 
क्योंकि कुछ को लगता है हम अपना मतलब निकाल रहे हैं, 
और तो और हम आशा कर बैठते हैं कि, 
बदले में वो भी हमारा अच्छा ही सोचेगा या करेगा, 
ऐसी सोच का पनपना ही हानिकारक हो गया है, 
दया भावना अच्छी है, पर खुद को भूल जाना भी सही नहीं, 
क्यूंकि हमेशा अच्छाई, अच्छी नहीं होती, 
बड़ी महंगी पढ़ जाती है, 
दुनिया मतलबी बन जाती हैं, क्योंकि....
लोगों को आजकल हर जगह फायदा चाहिए, 
व्यापार हो या दयालुता, 
लाभ उठाना और नीचा दिखाना बड़ा ट्रेंडी हो गया है, 
बेचारे जानवर भी समझते हैं इस भाव को, 
पता नहीं हम इंसान क्यूँ नहीं समझ पा रहे हैं ;
कितनी अजीब हो गयी है दुनिया, 
जिसे हम नेकी समझ रहे थे, 
वो आज मिलावट बन गयी हैं,
किसी की बुरी सोच में, 
किसी की बुरी हरकतों से, 
ऐसा क्या बदल गया है कि, 
किसी की प्रशंसा तो छोड़ हो, 
नेकी की अहमियत बरकरार रखना ही भूल गये हैं, 
बस मिलावट कर रहें हैं ,
कुछ भी खरा नहीं छोड़ा, 
एक नेकी थी, 
जो इंसानियत को जिंदा और शुद्ध रखी हुई थी, 
आज हमारी सोच ने, हरकतों ने, 
नेकी में भी खामियां ला दी ।।

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यहाँ आपको विभिन्न विषयों पर कविताएं पढ़ने को मिलेगी ।
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12 अक्टूबर 2022
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जिंदगी का रंगीन सफ़र

12 अक्टूबर 2022
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बादल गरजते है, तभी तो वर्षा होती हैं, वैसे ही, जब बारिश के बूंदों की तकरार सूर्य से होती हैं, तभी तो इन्द्रधनुष बनता है, बस तो, हमारी जिंदगी का सफ़र भी कुछ ऐसा ही है,&nbs

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पन्नों का खेल - जिंदगी!!!

13 अक्टूबर 2022
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एक अलग ही जुगलबंदी है इनकी, जिंदगी हो या किताब ,पहल दोनों में जरूरी है, पन्ने सम्भाल कर पलटना ,जिंदगी है जनाब, किताब फिर भी नयी मिल जायेगी, पर जिंदगी न मिलेगी दुबारा, चोट के

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नेकी में भी खामियां ???

26 अक्टूबर 2022
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कुछ भी बहुत ज्यादा, हानिकारक बन जाता है, आश्चर्य की बात है, कि, दयालुता भी हानिकारक हो सकती हैं, वो कहते है ना..."भलाई का ज़माना ही नहीं रहा हैं " ,ये एक ही तो स्वभाव था, जो ह

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कभी सोचा नहीं !!!

26 अक्टूबर 2022
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कभी सोच नहीं, ऐसी भी एक खूबी होगी, जो एक सपना बन जायेगी ,कभी सोचा नहीं...कभी सोचा नहीं, आखें उस दिन को जीने के लिए तरसेगी ,हाथ उस सपने को मेहसूस करने के लिए तड़पेगे ,कभी सोचा नहीं......

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झिझक किस बात की है ???

26 अक्टूबर 2022
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मनमौजी हो, सोच बुलंद है, बदलाव के संग बदलते हो, पर अपने चरित्र को नहीं; थोड़े मतलबी हो, पर परिवार के हित में हो ; फिर,झिझक किस बात की है ??? खुल के हंसते हो,&n

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कांटों से कुशल जीवन है

27 अक्टूबर 2022
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जिंदगी भी कितनी अजीब है ना, कभी रुलाती है कभी हँसाती है। अपने ही अंदाज में अपने रंग बिखेरती है..कहते है कि जिंदगी गुलाब की पंखुड़ियों जैसे कोमल है पर सब ये भी जानते है कि काँटे भी है उस गुलाब के साथ।

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उम्मीद के रंग

27 अक्टूबर 2022
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उम्मीद हर किसी से हो या न हो, पर खुद से जरूर होनी चाहिए,अगर उम्मीद न रहे तो सब बिखर सा जाता ,अगर वही उम्मीद बनी रहे तो सब सवंर जाता है ,कुछ नया करने के लिए ,आगे बढ़ने के लिए ,सपनो की उड़ान भरने ,

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काश मैं उम्मीद होती......

31 अक्टूबर 2022
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काश मैं उम्मीद होती हर किसी के मन में होती ,हर रोज कोई मेरा इंतजार करता ,हर एक के साथ होती....काश मैं उम्मीद होती ,किसी की मुस्कराहट में झलकती, किसी की दुआओं में दिखती, और हर एक कि खुशि

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