अंत भला तो सब भला
राजन एक छोटे से गाँव में रहता था । परिवार के नाम से उसके साथ कोई नहीं था । वह गाँव के लोगोंकी सहायता करता था । बदले में उसे खाना और रहने की जगह मिल जाती थी । जब वह थोड़ा बड़ाहुआ तो काम करने लगा । उसकी कमला से बहुत पटती थी । दोनों चुपके चुपके एक दूसरे से मिलतेथे । उन दोनों को कुछ शुभचिंतकों ने बताया कि शादी कर लो और घर बसा लो कितने दिन इस तरहचुपके चुपके मिलते रहोगे ।दोनों को यह बात अच्छी लगी । कमला ने अपने माता-पिता के सामनेराजन के साथ शादी करने की बात रखी । माँ ने कुछ नहीं कहा पर पिता ने कहा देख बेटा मैं नहींकहता कि राजन अच्छा नहीं है पर उसकी दो गंदी आदतें हैं जिनकी वजह से बाद में तुम्हें उससे शादीकरने के फ़ैसले पर पछतावा हो सकता है । पहली बात यह है कि वह पियक्कड़ है शराब पीने के बादउसे होश ही नहीं रहता है कि क्या ग़लत है और क्या सही । दूसरी बात यह है कि वह जुआरी है ।इतिहास गवाह है कि ऐसे लोगों के साथ शादी रचा के कोई स्त्री खुश नहीं रह सकी है । कमला के सरपर राजन के प्यार का भूत सवार था । इसलिए उसने जिद की कि वह उसे बदल लेगी और वह खुशरहेगी।अगर कुछ हुआ भी तो वह मायके नहीं आएगी इस तरह के वादों और उसकी जिद के कारणपिता ने उसकी राजन से शादी करा दी । शादी के बाद एक महीना दोनों बहुत खुश थे । राजन भीकमला की हर बात को मानता रहा । उसने पीना भी छोड़ दिया पर व्यक्ति कब तक अपनी असलियतको छिपा सकता है । उसके दोस्त भी उसे सता रहे थे कब मिलने आओगे । आख़िर एक दिन वह अपनेदोस्तों के पास पहुँच ही गया और देर रात पीकर घर आया फिर कमला से माफ़ी माँगने लगा कि दोस्तोंने जबरन पिला दी है । कल से पीकर नहीं आऊँगा परंतु अब यह सिलसिला रोज़ का हो गया । कमलाजान गई कि यह सुधरने वालों में से नहीं है । उसने ही दो चार घरों में काम करना शुरू कर दिया क्योंकिघर भी चलाना था । अब राजन कमला को मारकर जुआ के लिए पैसे ले जाने लगा हमेशा कहता था मैंजीत जाऊँगा और तुम्हें रानी बनाकर रखूँगा । ज़िंदगी ऐसे ही गुजर रही थी अब कमला को लगने लगाकि पिता ने अपने तजुर्बे से उसे कुछ बताना चाहा पर मैं ही अंधी थी जो राजन को पहचान न सकी औरपिता की बातों पर विश्वास नहीं किया पर होनी को कौन टाल सकता था । कमला प्रेगनेंट हो गई परराजन के व्यवहार में बदलाव नहीं आया । समय होने पर कमला ने सुंदर सी बच्ची को जन्म दिया ।एक दिन ऐसे ही पीकर जुए में हार कर राजन घर पहुँचा और कहने लगा कमला मेरा दोस्त जग्गू तुझेबहुत चाहता है तू उससे शादी कर ले तो मुझे वह दो लाख रुपये दूँगा कह रहा है। यह बहुत अच्छामौक़ा है मेरे लिए और तेरे लिए भी ठीक है कल तैयार रहना वह तुम्हें और बच्ची को लेकर जाएगा ।कमला को तो काटो तो ख़ून नहीं । उसने सोचा यह तो यहाँ तक गिर गया कि मुझे ही बेच दिया है ।उस समय कुछ भी कहना उसे उचित नहीं लगा । जब राजन सो रहा था रात को चुपके से कमला बच्चीको लेकर घर से भाग जाती है और रेलवे स्टेशन पहुँचकर सामने जो ट्रेन खड़ी थी उसमें चढ़ जाती है ।
ट्रेन के डिब्बे में पहुँच कर चारों तरफ़ नज़र घुमाती है । सब लोग सो रहे थे । कमला भी वहीं बर्थ केनीचे बच्ची को लेकर सो गई । सुबह उठते उसने देखा ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी है । सब लोग अभी भीसो रहे थे वह जल्दी से बच्ची को लेकर वहाँ उतर गई । स्टेशन में ही हाथ मुँह धोकर जो पैसे साथ मेंलाई थी उन्हीं से चाय पीकर बच्ची को दूध पिलाती है । उसने देखा कि वह तिरुपति आ गई है कोईबात नहीं थोड़ी बहुत पढ़ाई उसने शादी से पहले की थी इसीलिए बेझिझक चलने लगी । चलते चलतेवह एक स्कूल के पास आकर बैठ गई । सुबह का समय बच्चे धीरे-धीरे स्कूल आ रहे थे । वहीं बैठेवाचमेन से बातें करने लगी बातों बातों में पता चला कि यहाँ आया की ज़रूरत है । वाचमेन से कमलाने कहा भाई अकेली हूँ बच्ची को लेकर कहाँ घूमूँगी नौकरी दिला दो ना । कमला को देख कर वाचमेनको भी बहन ही याद आई इसलिए उसने कहा बहन मैं कोशिश करता हूँ प्रिंसिपल मेम को आने दो यहाँबाज़ू में बैठ जाओ । जैसे ही प्रिंसिपल स्कूल में पहुँची वाचमेन कमला को उनके पास ले गया औरकहने लगा मेडम यह मेरी बहन है इसके पति ने इसे छोड़ दिया है तो काम ढूँढ रही है एक छोटी बच्चीभी है आप आया की नौकरी कमला को देकर उसकी मदद कर दीजिए न । वाचमेन सालों से वहाँ कामकर रहा था इसीलिए प्रिंसिपल ने वाचमेन की बात मानकर कमला को नौकरी दी साथ ही वहीं केसरवेंट क्वार्टर में ही एक क्वार्टर भी अलॉट करवा दिया । कमला की ज़िंदगी अब बदल गई थी । एकआदमी ने पति बनकर उसकी ज़िंदगी बरबाद की है तो दूसरे आदमी ने भाई बनकर उसकी ज़िंदगी कोसँवारा था । उसी स्कूल में कमला की बच्ची निशिता का एडमिशन भी हो गया । निशिता पढ़ने में बहुतहोशियार थी हर कक्षा में अव्वल आती थी । स्कूल में सब लोग उससे बहुत प्यार करते थे । निशिता केसाथ साथ कमला ने भी पढ़ना शुरू किया था । निशिता ने इंजीनियरिंग किया और एक मल्टीनेशनलकंपनी में नौकरी करने लगी और इधर कमला ने भी डिग्री पूरा कर लिया साथ ही प्रिंसिपल मेम कीमदद से एक स्कूल में पढ़ाने लगी । समय का चक्का घूमने लगा ।
निशिता माँ के पीछे पीछे घूम रही थी । कमला ने कहा क्या बात है निशी कुछ कहना है क्या? नहीं माँ!!
कमला ने हँसते हुए कहा — हाँ हाँ मुझे मालूम है कि तुम कुछ कहने वाली हो ।चल अब कह जो कहनाहै सुन रही हूँ । निशिता ने हँसते हुए कहा आप भी न !!!फिर कहा चलिए अब मैं आपको बता ही देती हूँ।
मेरे ऑफिस में मेरे साथ ही काम करने वाला मेरा कोलिग है वंश ।हम लोग तीन साल से एक हीप्रॉजेक्ट में काम कर रहे हैं ।अभी हाल ही में हमने तय किया है शादी करने का …वह भी अपनेमाता-पिता से हमारे बारे में बात करने के बारे में सोच रहा है तो मैंने सोचा मैं भी आप को बता दूँ । वंशअपने माता-पिता का इकलौता बेटा है पैसे वाले हैं ।अपने शौक़ से वह नौकरी कर रहा है ।
कमला ने कहा ठीक है — पर तुमसे मैं कुछ कहना चाहती हूँ तुम मुझसे भी ज़्यादा पढ़ी लिखी हो परमेरा तजुर्बा कहता है कि मैंने जो गलती की है वह तुम न करो । मेरे पिता ने शादी से पहले मुझसे जोकहा !!वह मैं तुम्हें बताती हूँ ।तुम भी वंश को परखो और अगर वह ठीक है तो मुझे कोई एतराज़ नहीं हैफिर उसने अपनी कहानी निशिता को सुनाई ।
निशिता ने कहा ठीक है — माँ मैं वंश के बारे में जानने को कोशिश करूँगी । उसे पूरी तरह से परखने केबाद फिर आपसे बात करूँगी । कमला ने एक गहरी साँस ली चलो बच्ची ने मेरी बात को महत्व तोदिया । ईश्वर करे उसके दिल को ठेस न पहुँचे ।
भाग-३
अब निशिता ने दूसरे दिन से ही वंश के ऊपर नज़र रखना शुरू कर दिया । निशिता ने ध्यान दिया तोउसे आश्चर्य हुआ कि वंश ऑफिस में एक पल को भी नहीं टिकता है अपना काम दूसरों से कराना,हमेशा फ़ोन पर बातें करना कभी अचानक ग़ायब हो जाना ।यह सब उसने अभी देखा था । उसके प्यारमें वह इतनी अंधी हो गई थी कि उसने वंश के बारे में कुछ भी नहीं जाना था ।सिर्फ़ उसकी बातों परविश्वास करती चली गई । उसने देखा उसके कुछ ख़ास दोस्त थे ऑफिस में जो उसकी मदद करते थे ।मैनेजर निशिता का अच्छा दोस्त था । उससे बात की और पता लगाया तब जाकर वंश के सारेकारनामे सामने खुल कर आए कि वह नौकरी तो सिर्फ़ समय बिताने के लिए कर रहा है । सबको डराधमकाकर रखता है । इसीलिये बिना ना नुकर किए सब उसके काम को भी कर देते हैं । वह तो पैसेवाले बाप का बिगड़ैल बेटा है । बेटिंग लगाना ,जुआ खेलना, ड्रिंक करना ,लड़कियों के साथ फ़्लर्टकरके उन्हें धोखा देना यह सब उसके लिए आम बातें थीं । निशिता उसकी तरफ़ देखती नहीं थी उससेबातें नहीं करता थी दूसरी लड़कियों की तरह ..,,,उस पर वंश के पैसों का ज़ोर नहीं चल रहा था ।इसलिए उसने अपने दोस्तों से बेट लगाया था कि वह निशिता से शादी करके दिखाएगा । यह सबनिशिता को नहीं मालूम था । ऑफिस में जो कुछ भी पता चला वंश के बारे में उन बातों को याद करकेनिशिता उदास थी उसका दिल नहीं मान रहा था । कितने प्यार से वंश बातें करता था । यही सबसोचते हुए वह ऑफिस के कॉरिडोर में चल रही थी ।उसने सुना कोई वंश को आवाज़ दे रहा था ।ध्यान से सुना तो विजय था वंश का जान जिगरी दोस्त । उसके पैर वहीं रुक गए वह उनकी बातों कोसुनने लगी । अरे वंश यह मैं क्या सुन रहा हूँ ?
अबे क्या सुना तूने बता ?
कहाँ से आई मालूम नहीं पर वंश के बहुत सारे दोस्तों की टोली आ गई । उन सबसे घिरा वंश ने कहाविजय बता क्या सुना तूने .. विजय ने कहा- तू शादी कर रहा है वह भी उस झल्ली निशिता से! सबज़ोर ज़ोर से हँसने लगे वंश और शादी नेवर ! वंश ने भी यही कहा कुछ नहीं विजय तुझे मालूम है न वहगौतम मुझसे चेलेंज कर रहा था कि निशिता जैसी लड़की तेरी तरफ़ देखेगी भी नहीं क्योंकि उसे मालूमथा कि ऑफिस में सब मेरी तरफ़ देखने या मुझसे बात करने के लिए मरते हैं पर निशिता ने तो मेरीतरफ़ आँख उठाकर भी नहीं देखा था । मुझे ग़ुस्सा आया और मैंने उसके चेलेंज को एक्सेप्ट किया उसीका नतीजा है शादी । अरे यार तुम लोगों को मालूम है न इन मिडिल क्लास बेहंजियों को शादी के नामपर ही फँसा सकते हैं इन्हें बस मैंने वही पैंतरा अपनाया और निशि चिड़िया जाल में फँस गई । वंश नेयह भी बताया था कि शादी करके उसे छोड़ेगा कैसे ? उसने कहा उसके लिए भी मैंने सोचा है कि कहदूँगा मेरे माता-पिता नहीं माने शादी के लिए इसलिए हम पहले मंदिर में शादी कर लेते हैं उसकी माँहोगी हमारे साथ वह तो अकेली है बाद में उसकी माँ की बात भी कोई नहीं सुनेंगे बस माँ बेटी के सामनेशादी फिर हनीमून वहाँ उसे छोड़ कर थोड़े दिन अमेरिका चला जाऊँगा फिर क्या मेरे आते तक इन्हें यहशहर छोड़ कर भाग जाना पड़ेगा कैसी रही मेरी चाल ।
वाह रे तू तो बड़ा शातिर निकला …..बहुत बढ़िया चल फिर मिलते हैं कहते हुए सब वहाँ से चले गए ।उस दिन निशिता ने अपने कानों से यह सब सुना था तो उसने सोचा अच्छा हुआ मैंने वंश की बातें सुनलिया नहीं तो यह अपने चाल में कामयाब हो जाता था ।
निशिता ने माँ की बात मान कर वंश को परखना शुरू किया तब जाकर उसके बारे में उसे इतनी बातेंपता चलीं वरना वह तो वंश के झांसे में पड़ गई थी । वंश को यह सब नहीं मालूम था वह अब भी यहीसोच रहा था कि निशिता उसके बिछाए जाल में फँस गई है ।
उस दिन उसने आते ही कहा क्या है निशी मैं तुम्हारे हाँ के इंतज़ार में रात दिन सो नहीं पा रहा हूँ औरतुमने मुझे कुछ बताया नहीं बोलो माँ ने क्या कहा हाँ ही कहा न ।निशिता ने कहा माँ ने थोड़ा समयमाँगा है सोचने के लिए…..वंश कुछ सोचते हुए कहने लगा ठीक है ।वह जल्द बाज़ी नहीं करना चाहताथा क्योंकि निशिता बहुत ही सुलझी हुई लड़की थी । उसने बातों बातों में बताया कि कल दोस्तों केसाथ मैं पार्टी मनाने जा रहा हूँ तुम भी चलो । निशिता ने कहा नहीं वंश आज नहीं माँ की तबियत ख़राबहै मैं नहीं आ सकती ।
भाग-४
अब निशिता सोचने लगी कि वंश की ग़लतियों का पर्दाफ़ाश कैसे किया जाए क्योंकि वह तो बचजाएगी पर कोई और लड़की इसकी चुंगुल में न फँस जाए । यही सोचते हुए उसने अपने दोस्तों कोऔर मैनेजर को साथ ही कुछ लड़कियों को जिन्हें वंश ने धोखा दिया है सबको एक किया । निशिताइन सबके साथ मिलकर महिला पुलिस स्टेशन पहुँची उन्हें सब कुछ बताया और उनसे मदद माँगी ।महिला पुलिस अधिकारी भी इनकी मदद करने के लिए तैयार हो गए क्योंकि उन्होंने भी इस वंश केकुछ कारनामे सुने थे । शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए भी पकड़ा गया था पर अपने पैसों के ज़ोर सेबाहर आ गया था । उन्होंने भी कहा इस कदर उसे फँसाना है कि वह बच ही न पाए । सबने मिलकरप्लान बनाया और निशिता से कहा वह वंश से मिले और शादी के बारे में बातें करते हुए उसे इस तरहइरिटेट करे कि वह ग़ुस्से से सब उगल दे । प्लान तो ठीक था अब उसे किसी तरह अमल में लाने कीकोशिश करनी थी ।
निशिता दूसरे दिन कुछ सोचते हुए ऑफिस में पहुँची कि नहीं उसे वंश का फ़ोन आया कि कैंटीन मेंमिलते हैं । उसने अपने फ़ोन में सबको इस मेसेज को फ़ॉरवर्ड कर दिया । निशिता के निकलने के बादसब धीरे-धीरे कैंटीन के पास पहुँच गए । वंश इन सबसे बेख़बर निशिता को देखते ही चहकने लगा ।निशि कल मैंने तुम्हें बहुत मिस किया है आज चलो कहीं बाहर चलते हैं मस्ती करेंगे वैसे भी मैं तो तुम्हेंप्यार करता हूँ हमारी शादी भी होने वाली है । वाह !! वंश शादी होने वाली है हुई तो नहीं न । मैं नहीं आसकती । तुम बताओ तुम्हारे माता-पिता को हमारे बारे में बताया कि नहीं माँ कह रही थी कि वह उनसेमिलेगी और शादी का मुहूर्त भी निकलवा देंगे क्योंकि हम दोनों तो नौकरी कर रहे हैं किसी के लिएइंतज़ार भी नहीं करना है । निशी …..शादी की क्या जल्दी है कर लेंगे न पहले मज़े कर लेते हैं । वंश
हमारे यहाँ ऐसा नहीं होता है माँ अकेली है कुछ और कहना है तो कहो मुझे जल्दी जाना है । वंश कोअब ग़ुस्सा आने लगा था । दोस्तों के सामने उसकी बेइज़्ज़ती होने वाली थी उनसे उसने कहा था किआज निशिता का क़िस्सा ख़त्म कर देता हूँ क्योंकि पापा को पता चल गया है कि मैं कुछ गड़बड़ करनेवाला हूँ इसलिए अगले हफ़्ते मेरी शादी उनके दोस्त की बेटी से तय कर दी है तो मेरे पास समय नहीं हैऔर यह है कि मान ही नहीं रही है ।
वंश ने कहा — देख निशी आज मेरे साथ नहीं चली तो मैं तुमसे शादी नहीं करूँगा और तुम हमेशा केलिये मुझे भूल जाना फिर भी जब निशिता उसकी बात नहीं मानी तो वह उसे ज़बरदस्ती अपने साथ लेजाने लगा और कहने लगा कि तुम अपने आप को क्या समझती हो तुम तो मेरे लायक़ भी नहीं हो फिरभी दोस्तों के लिए उन्हें हराने के लिए मैंने तुमसे शादी की बात की थी । मुझ पर तो इतनी लड़कियाँमरती हैं मेरे साथ एक रात गुजारना भी उनके लिए बस है और तुम !!!देखो अपनी शक्ल आईने में बड़ीआई शादी करने के ख़्वाब देखने वाली है । चल थोड़ी देर बाद तुझे भेज दूँगा । वैसे भी मुझे तुम से प्यारक्या हमदर्दी भी नहीं है । मेरी अगले हफ़्ते शादी होने वाली है । मेरे माता-पिता की पसंद की पैसे वालीलड़की से समझ गई न । तेरी तो औक़ात भी नहीं मेरे साथ खड़े होने की भी । मैं बुला रहा हूँ तो खुश होजा समझी नखरे मत दिखा । निशिता ज़ोर से उसके हाथ को झटककर अपना हाथ छुडाकर कहती हैतेरे जैसे लोग तो धरती के लिए भी बोझ हैं । तुझे अपने पैसों का घमंड है न मैं तुझे ऐसे नहीं छोड़ूँगीतुझे तो सबक़ सिखाना ही है क्योंकि न मालूम तू और कितनी लड़कियों की ज़िंदगियों को बर्बाद करेगा।
वंश हँसते हुए कहता है कि —- तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है । मेरे पापा मेरे लिए कुछ भी करसकते हैं । निशिता ने उसे बातों में फँसाकर रखा उसे मालूम था कि पुलिस आने ही वाली है तभीपुलिस वहाँ पहुँच जाती है और वंश को जेल में बंद कर देती है । उसके ख़िलाफ़ सारे सबूत होने केकारण उसके पिता या उनके पैसों का ज़ोर वहाँ नहीं चला और उसे सजा मिलती है ।
निशिता और उनके दोस्तों को वंश जैसे लड़के पकड़वाने के लिए मदद करने के लिए अदालत शाबाशीदेती है । निशिता ने बताया था कि माँ की सीख के कारण मैं वंश के जाल में फँसने से बच गई थी ।उनकी गलती मेरे लिए सबक बन गई थी ।
दोस्तों सबको ऐसे मौक़े नहीं मिलते हैं ।बड़ों के तजुर्बे की इज़्ज़त करना उनकी सीख को सर्वोपरिमानना ही हमारा कर्तव्य है और इससे हम अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं । निशिता को बाद मेंएक अच्छा वर मिला और उसकी ज़िंदगी भी सँवर गई ।
सही तो है ज़िंदगी का हर अच्छा बुरा पल लोगों को एक सीख देता है
के कामेश्वरी