घुटन
निकिता ऑफिस से घर आई तो माँ ने कहा निकी तेरे लिये कोरियर आया है । जी माँ देख लेती हूँ । मैंहाथ मुँह धोने जा रही हूँ । आप चाय बना दीजिए न प्लीज़ । निकिता टावेल से मुँह पोंछते हुए आती हैऔर सोफ़े पर बैठकर कोरियर हाथों में लेती है खोलने से पहले भेजने वाले का पता देखती है नाम देखते ही उसे आश्चर्य हुआ कि निशिता का नाम लिखा था । मैंने कल ही उससे बात की है और एक हीशहर में हैं क्यों किया है उसने कोरियर सोचते हुए खोल रही थी कि माँ चाय लेकर आई । माँ पूछ रहीथी किसका है ? कहाँ से आया है ? बिना उनकी बात पर ध्यान दिए जब खोला तो उसमें चिट्ठी थी ।जल्दी से चाय पीकर चिट्ठी हाथों में लेकर अपने कमरे की तरफ़ भागी क्योंकि कल निशी बहुत उदासथी बहुत कुछ बताया उसने अपने ससुराल वालों के बारे में!!!!!
निकिता ने धड़कते दिल से पत्र खोला और पढ़ना शुरू किया…..
मेरी प्यारी निकी
तुम सोच रही होगी कि कल ही मैंने तुमसे बातें की थी और अचानक मुझे पत्र लिखना पड़ रहा हैआख़िर क्यों? क्या बात हो गई है । तुम्हारे लाख समझाने के बाद भी मैं अपने आप को नहीं सँभाल पारही हूँ प्लीज़ तेरे इस डरपोक दोस्त को माफ़ कर दे । मैंने इस दुनिया से जाने का फ़ैसला ले लिया है ।मुझे ख़ुशी कि कम से कम इस फ़ैसले को तो मैं अपनी मर्ज़ी से ले पा रही हूँ । बचपन से माँ पापा कीमर्ज़ी से ही मेरी ज़िंदगी चली है कौनसे स्कूल में पढ़ना है किसके साथ दोस्ती करनी है कितने बजे उठनाहै कितने बजे सोना है । मुझे इंजीनियरिंग नहीं पढ़ना था मैंने कहा था पापा मुझे आर्ट्स अच्छा लगता हैबी . ए करूँगी नहीं तुम्हें कुछ नहीं मालूम है तुझे इंजीनियरिंग ही पढ़ना पड़ेगा और यहाँ तक कि विषयभी उन्हीं ने तय किया था । नापसंद पढ़ाई को भी अच्छे से ही पढ़ा क्योंकि माता-पिता को अंक कमनहीं होने चाहिए । मुझे कॉलेज में ही विकास से प्यार हुआ पर नहीं कह सकी क्योंकि हमारे सामनेसमाज ,संस्कार जात पात की लंबी दीवार खड़ी थी । मुझे कॉलेज के बाद नौकरी भी मिली पर उससेपहले ही आनंद मिल गया था अपने अरमानों को घोंटकर चुपचाप आनंद से शादी करनी पड़ी क्योंकिपढ़ा लिखा अच्छे ओहदे पर है सबसे बड़ी ख़ासियत बिरादरी का है । तुझे मालूम है न निकी कि मैंनेमायके में भी अपनी ज़िंदगी एक पिंजरे में क़ैद पंछी की तरह घुट घुट कर जिया है । आनंद से शादी केबाद मेरा प्रमोशन हुआ एक छोटे से पिंजरे से बड़े पैसे वाले पिंजरे में क़ैद हो गई थी । गिलास टूटी मेरेकारण , माँ के पैर में मोच आ गई है तो तुम क्या कर रही थी ध्यान क्यों नहीं दिया आनंद कहते थे । मेरेघर की हर परेशानी का कारण मैं ही बनती थी । तुमने कई बार समझाया भी था कि इंजीनियरिंग मेंकॉलेज फस्ट है । तुझे आराम से नौकरी मिल जाएगी । मैंने तुम्हारी बात पर ध्यान नहीं दिया था । यहमुझे भी अच्छा नहीं लगा था परंतु क्या करूँ घर में बताने की मुझमें हिम्मत नहीं थी जिससे मैं घर वालोंको बता नहीं सकी थी ।
मुझे आज भी याद है एक बार तो तुमने मेरे लिए नौकरी ढूँढा भी था पर मैंने जब अपने माता-पिता केआगे ही मुँह नहीं खोला तो ससुराल में कहाँ खोलती । मुझे लगता है कि मेरी परवरिश ही ऐसी हैपिताजी हमेशा कहते थे कि ग़लत काम नहीं करना वरना अपने माता-पिता को खो दोगी । उनके खोनेके ख़याल से ही दिल दहल जाता था । निकी कल तो हद ही हो गई थी मेरी सास ने सबके सामने मुझेआड़े हाथों लिया कि अभी तक घर का चिराग़ नहीं दिया है । कहीं तू बाँझ तो नहीं । मेरी आँखों सेआँसू बहने लगे थे । आनंद तो अपने माता-पिता के सामने मुँह भी नहीं खोलते हैं । उन्होंने ही कहा थाकि मेरा प्रमोशन होने वाला है इसलिए हम अभी थोड़े दिन रुकते हैं । माँ के इतनी बड़ी बात कहने केबाद भी जब उन्होंने मेरे लिए कुछ नहीं कहा तो मुझे लगा अब मेरा जीना मरना किसी के लिए मायनेनहीं रखता है । इसलिए मैंने फ़ैसला कर लिया है कि मैं चली जाऊँगी तो अच्छा है । तू मुझे माफ़ कर देअब तुझे सताने वाली मैं नहीं रहूँगी बॉय चलती हूँ!!!!!!!!
तेरी निशिता
निकिता के आँखों से आँसू बहने लगे थे । अभी वह कुछ सोचती कि इसके पहले ही फ़ोन की घंटी बजीजैसे ही उसने फ़ोन उठाया तो देखा आनंद का था।निकिता जी जल्दी आइए निशिता ने आत्महत्याकरने की कोशिश की है ।उसने नींद की गोली खाली है । मैंने अस्पताल का नाम पूछा और जल्दी सेजाने लगी थी तो माँ ने कहा कि निकी अभी तो आई है अब कहाँ चली । मैं अभी आई माँ कहते हुए वहगेट की ओर भागी । वह माँ को कुछ नहीं बताना चाहती थी क्योंकि माँ निशिता को बहुत चाहती थी ।हम दोनों स्कूल के साथी थे । जिस दिन से निशिता से माँ मिली तब से वह उन्हें भा गई थी । इसलिए मैंउन्हें बता कर दुखी नहीं करना चाहती थी । पिताजी की मृत्यु के बाद मैं और माँ दोनों ही घर में रहते थे। एक भाई है जो अपनी पत्नी के साथ अमेरिका चला गया है । इसलिए मैंने शादी न करने का फ़ैसलालिया और माँ के साथ रहने लगी ।माँ को इसका दुख है पर मैंने कहा मेरी क़िस्मत में किसी का आनालिखा है तो माँ अपने आप आ जाएगा आप चिंता मत कीजिए । मेरी ज़िद के आगे माँ की नहीं चलीऔर मैं माँ के साथ मज़े में हूँ । अस्पताल में पैर रखते ही निशिता की माँ ने मुझे गले लगाया और रोनेलगी देखना क्या तकलीफ़ है उसे अच्छा पति अच्छे सास ससुर मालूम नहीं कि उसके दिल में क्या है ?हमें इस उम्र में क्यों तकलीफ़ देना चाहती है और रोने लगी । पिताजी ने कुछ कहा नहीं पर पत्नी कीबात पर सहमति देते हुए रो रहे थे । मैंने उनके हाथ में निशिता की चिट्ठी पकड़ा दी । आनंद डाक्टर सेबात करके आए थे मुझे देखते ही कहने लगे कि नींद की गोलियों का सेवन अधिक मात्रा में लेने केकारण ख़तरा बढ़ गया है ।आब्जर्वेशन में रखा है डाक्टर का कहना है कि अभी कुछ कहा नहीं जासकता है ।
निशिता के पिताजी ने पत्र पढ़कर मुझे दे दिया । कहा कुछ नहीं मैंने उस चिट्ठी को आनंद के हाथों मेंरख दिया उन्होंने भी पढ़ा और फूटफूट कर रोने लगे ।
डाक्टर ऑपरेशन थियेटर से बाहर आए और कहा अब कोई ख़तरा नहीं है आप लोग उनसे मिल सकतेहैं । पहले निकिता गई उसे देखते ही वह कहने लगी निकी मैं क्यों बची अब इसके लिए भी मुझे तानेसुनने पड़ेंगे तभी आनंद अंदर आए और कहने लगे नहीं निशिता अब पहले जैसे कुछ नहीं होगा ।मैंतुम्हारे साथ हूँ ।मैंने तुम्हें समझने की कोशिश ही नहीं की थी ।अब मुझे अपनी गलती का एहसास होगया है ।अब तुम्हें मैं कोई भी तकलीफ़ नहीं होने दूँगा ।यह मेरा वादा है । निशिता के माता-पिता ने भीनिशिता से कहा बेटा हम दक़ियानूसी सोच वाले थे ।आज तुम्हारी चिट्ठी पढ़ने के बाद मुझे महसूसहुआ कि हम दोनों की सोच कितनी गिरी हुई थी ।हमने सोचा अपनी लड़की को अच्छे से पाल पोसकरअच्छे संस्कार देना ही बहुत बड़ा काम है ।इस कोशिश में बेटी का दिल दुख रहा है या उसके विचारोंकी कद्र नहीं कर रहे हैं ।उसे अपनी बात रखने की छूट भी नहीं दे रहे हैं ।यह सब हमारी सोच में नहींआया ।हमें माफ कर दो जब बेटी को तकलीफ़ होती है तो माता-पिता को ही उसका सहारा बननाचाहिए पर हमने तो तुम्हें अपनी दिल की बात कहने की स्वतंत्रता भी तुम्हें नहीं दिया ।यह हमारी बहुतबड़ी गलती है ।आगे से हम ऐसा नहीं करेंगे ।हमें माफ़ कर दो बेटा शादी के बाद बेटी को पराया करदिया जाता है पर अब मैं ऐसा नहीं सोचूँगा ।मेरी आँखें खुल गई हैं ।तुम्हारे लिए हमारे घर के दरवाज़ेहमेशा खुले रहेंगे । कहते हुए उसे गले लगा लिया ।
सही है दोस्तों अपनी बेटी को हमने बहुत ही लाड़ प्यार से पाल पोसकर बड़ा किया है ।वह कोई सामाननहीं कि एक बार किसी को दे दिया तो वापस उस तरफ़ देखना ही नहीं है ।बेटी है हमारी !!!उसे भरोसादिलाया जाना चाहिए कि ज़रूरत के समय तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे लिए चट्टान की तरह खड़े रहेंगे। हम हैं न इस बात से ही बेटी को हिम्मत मिलती है । यह हिम्मत उसे दें । उसे घुटन महसूस न हो वहमायका हो या ससुराल!!!!!! इस बात का हमेशा ख़्याल रखना चाहिए ।
के कामेश्वरी