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ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा

5 दिसम्बर 2022

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ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा 

विशाल इंजीनियरिंग फोर्थ इयर में था और कैंपस सेलेक्शन में उसे एक बड़ी कंपनी में जॉब मिल गईथी । नौकरी पाकर वह बहुत खुश था क्योंकि बचपन से उसे लगता था कि जल्दी से पढ़ाई ख़त्म करकेनौकरी कर ले ,क्योंकि स्कूल और कॉलेज हर जगह उसके दोस्त ख़ूब मज़े करते थे वह जब भी पापा सेकिसी चीज़ की फ़रमाइश करता था तो उसे हमेशा पापा से यही सुनने को मिलता था कि पढ़ाई परध्यान दो जब नौकरी करोगे तब अपनी मर्ज़ी से पैसे खर्च कर लेना और अपनी फ़रमाइशों को पूरा करलेना । इसीलिए उसने जी जान लगाकर अपनी पढ़ाई पूरी की थी । वह नौकरी तो करता ही था औरनौकरी के साथ-साथ  दूसरे काम भी कर लेता था कि ज़्यादा पैसे मिल जाएँगे । अभी पैसे कमाकर वहबुढ़ापे को आराम से बिताना चाहता था । इस छोटी सी उम्र में ही उसने एक तीन कमरों का फ़्लैट भीख़रीद लिया था । घर के लिए ज़रूरी सारे सामान भी ख़रीद लिया था साथ ही बैंक में पैसे भी जमाकरने लगा था । अब तक जब भी माता-पिता शादी की बात करते थे तो वह उन्हें टाल देता था पर अबमाता-पिता ने उससे शादी की बात चलाई तो वह शादी के लिए रेडी हो गया था । बहुत सारी लड़कियोंको देखने के बाद बबीता उसे अच्छी लगी क्योंकि पढ़ी लिखी थी और समझदार भी लग रही थी । दोनोंने एक दूसरे को पसंद कर लिया और शादी हो गई । बबीता बहुत खुश थी कि इतना सुंदर औरसमझदार पति उसे मिला है । हनीमून से आते ही विशाल ने ऑफिस जॉइन कर लिया था । बबीता नेशादी के बाद से यह महसूस किया कि विशाल सिर्फ़ काम की बातें ही ज़्यादा करता है वह रोमांटिकतो बिलकुल भी नहीं है । 

विशाल ऑफिस में काम कर रहा था फ़ोन पर मेसेज आया “ क्या कर रहे हैं आप खाना खा लिया हैक्या?आज जल्दी घर आ सकते हैं । “ बबीता का मेसेज पढ़कर वह सोचने लगा कि मालूम नहीं अपनेआप को क्या समझती है ,ख़ाली बैठा हूँ क्या ?इसलिए मेसेज का जवाब देना ज़रूरी न समझकरउसका जवाब नहीं दिया। ऑफिस से देर से काम ख़त्म करके घर पहुँचा ...सोचा ,अब लड़ाई होगी परबबीता ने कुछ नहीं कहा..... “विशाल घर पर बैठे मैं बोर हो जाती हूँ इस बार लॉंग वीकेंड है कहीं घूमनेचलें क्या । “

....देखो बबीता पूरा सप्ताह मैं काम करता हूँ कभी छुट्टी मिले तो मुझे रेस्ट करने की इच्छा होती है तोप्लीज़ मुझे बख्श दो मैं कहीं नहीं जा सकता हूँ । 

  विशाल जब से शादी हुई हम कहीं नहीं गए हैं । अब मौक़ा मिल रहा है इस रविवार को सोसाइटीवाले पिकनिक पर जा रहे हैं कम से कम उनके साथ तो हम जा  सकते हैं न ...

नहीं .....विशाल ने कहा देखो बबीता मैं नहीं जा पाऊँगा तुम चाहे तो चले जाओ । मैं उनसे बात करलेता हूँ । वैसे भी मुझे समझ में नहीं आता है कि घर में रहने में तुम्हें क्या तकलीफ़ है । सब कुछ तो हैघर में ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है । आराम से रहकर ज़िंदगी बिताना भी तुम्हें नहीं आताहै क्या । 

विशाल आपने मुझसे शादी ही क्यों की ताकि मैं एक नौकरानी के समान आपके काम करती रहूँ ।घूमना फिरना तो दूर की बात है कोई दोस्त भी नहीं हैं और न ही सगे संबंधियों से रिश्ता है । मैं तो तंगआ गई हूँ अकेले रहकर । 

ऐसे कैसे कह सकती हो बबीता अपने लिए ही तो मैं इतना काम कर रहा हूँ । आज काम करूँगा तोकल हमारा बुढ़ापा आराम से बीतेगा । मैं नहीं चाहता कि हम अभाव की ज़िंदगी जिए  बस ........ 

बबीता ने ग़ुस्से से कहा अभी हम भीख माँग रहे हैं क्या ?विशाल इतना कुछ है ,हमारे पास कल के लिएसोचते हुए ,आप आज को नहीं जी पा रहे हैं अफ़सोस है मुझे आपकी सोच पर ......

हाँ हाँ तुम तो मुझे ही बोलोगी तुम्हें समझ में क्यों नहीं आता है कि आज मौज मस्ती में सब लुटा दिए तोकल सचमुच ही भीख माँगने की नौबत आएगी । अब मुझे तुमसे कोई बहस नहीं करनी है मुझे नींद आरही है मैं सोने जा रहा हूँ । कहते हुए कमरे में सोने चला जाता है । सुबह से थका हुआ रहता है इसलिएपलंग पर लेटते ही खर्राटे भरने लगा । 

बबीता सोचने लगी इसकी आदत को सुधारने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा । अभी ही शादी हुई है,कुछ मौज-मस्ती तो बनता है । पैसे कमाने के लिए तो ज़िंदगी पड़ी है । मैं भी तो पढ़ी लिखी हूँ ।मैं भीकमा सकती हूँ  सिर्फ़ पैसे जमा करते रहेंगे तो ज़िंदगी का आनंद कब उठायेंगे ।यह सब विशाल कोसमझना ही पड़ेगा ।मैं हार नहीं मानूँगी ।यह सोचकर वह निश्चिंत हो कर सो जाती है । 

दूसरे ...दिन से पहले जैसे ही चलता रहा बबीता पूरी तरह से उसकी देख भाल कर रही थी । विशालखुश था कि बबीता समझ गई है ।इसीलिए कुछ नहीं कह रही है ।उसने सोचा चलो बला टली मेरीपसंद सचमुच काबिले तारीफ़ है । शाम को विशाल जैसे ही ऑफिस से घर आया बबीता ने चायबनाकर दिया और दोनों बैठकर चाय पी रहे थे  दोनों ही चुप थे । विशाल को लगा वह अभी भी ग़ुस्से मेंहै शायद ....कैसे बात करूँ सोच ही रहा था कि कोरियर वाले ने आवाज़ दी विशाल ही जाकर कोरियरलेता है  । उसने देखा कोरियर  बबीता के नाम पर है तो लिफ़ाफ़ा बबीता को पकड़ाया । बबीता ने उसेखोल कर देखा और कहने लगी विशाल मुझे नौकरी मिल गई है ६० हज़ार रुपये महीना तनख़्वाह है ।मुंबई में एक महीने की ट्रेनिंग है । मुझे दो दिन में निकलना है । कहते हुए बबीता कमरे में चली गई ।विशाल आश्चर्यचकित होकर खड़ा रह गया फिर ग़ुस्से से कमरे में गया ..... यह क्या है बबीता ? तुमनेमुझे बताया ही नहीं कि तुम जॉब के लिए अप्लाई कर रही हो । 

बबीता ने कहा कि -क्या बताऊँ विशाल तुम्हें पैसे कमाने हैं न बुढ़ापे के लिए इसलिए मैंने सोचा मैं भीपढ़ी लिखी हूँ तो मैं भी कमा लेती हूँ ताकि जल्दी से हम बहुत सारा पैसे जमा कर लेंगे ठीक कहा न मैंनेऔर ज़ोर से हँसती है !!!!हाहाहा वैसे मेरे ट्रेनिंग पर जाने पर तुम्हारा सारा काम जानकी कर देगी फ़िक्रमत करो । बाक़ी तो तुम्हें बहुत कुछ आता है । बस एक महीने की ही बात है फिर हम जहाँ माँगेंगे वहींपोस्टिंग मिल जाएगी । 

विशाल उदास हो गया था । बबीता के जाने का दिन आ गया था । विशाल ऑफिस से छुट्टी लेने कीसोच रहा था कि बबीता को एयरपोर्ट पर छोड़ने जाऊँ ,पर बबीता ने कहा कंपनी की कार आएगी  मैंचली जाऊँगी । 

बबीता चली गई । विशाल को घर काटने के लिए दौड़ता था ।बबीता को गए अभी दो दिन ही हुए हैं ।वह सोचने लगा कि बबीता के बिना एक महीना कैसे बिताऊँगा । अब उसका मन काम करने में भी नहींलगता था । सोचने लगा मैं भी कितना बेवकूफ हूँ कि बबीता को नहीं समझ पाया हूँ । मैंने उसकीज़रूरतों को भी पूरा नहीं किया । वह क्या चाहती थी सिर्फ़ सप्ताह में एक दिन बाहर घूमने जाना याएक सिनेमा बस उसकी छोटी सी ख्वाहिशों को भी मैंने अनदेखा कर दिया । मैंने पैसा ही सब कुछ हैयह समझते हुए अपने जीवन के क़ीमती पलों को खो दिया है ।बबीता को गए अभी दो दिन हुए हैं परमेरा मन उसके बिना लग ही नहीं रहा है अब एक महीना कैसे बिताऊँगा सोचने लगा । उस दिन शाम कोऑफिस से आकर बिना कपड़े बदले जानकी के द्वारा दी गई चाय पी रहा था । तभी पीछे से किसी नेउसकी आँखें बंद किया ...... उसका दिल धक से रह गया ।उसने दोनों हाथ पकड़कर कहा किबबीता........वह बबीता ही थी जो आगे आकर उसके साथ ही बैठ गई थी । उसने कहा कि तुम इतनीजल्दी वापस आ गई हो । तुम्हारी ट्रेनिंग तो एक महीने की थी ना । बबीता कुछ कहती इससे पहलेविशाल के फ़ोन की घंटी बजी देखा तो माँ थी । विशाल ने कहा कि जी ..माँ बोलो आपने कैसे यादकिया । माँ ने कहा -विशाल बबीता पहुँच गई है न । 

विशाल ने कहा वह तो ....... हाँ हाँ मुझे मालूम है वह मुंबई नहीं यहाँ मेरे पास आई थी ।तेरी दी सरिताभी आई थी ।दोनों ने बहुत अच्छे से अपना समय बिताया और हाँ तेरी पसंद की कचौरी और पालकपनीर बनाना भी उसने सीख लिया है ।अब वो तुझे बनाकर खिला देगी । मेरे लिए तुम्हें इंतज़ार करनेकी ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी । बहुत अच्छी बच्ची है विशाल ....उसकी क़द्र कर और उसके बारे में सोचपैसे तो कमाते ही रहोगे बेटा  पर ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा ।उसे अच्छे से जी ले ठीक है ।मैं और पापाअगले महीने तेरे पास आएँगे ।कुछ दिनों के लिए ठीक है । ख़ुश रहो बेटा ......

मैंने पलट कर बबीता को देखा तो वह हँस रही थी ।मैंने उसे अपने बाँहों में भर लिया और कहा — बबीता अब हम एक पल भी बेकार में नहीं जाने देंगे फ़ुल एनजॉय करेंगे क्योंकि ...... दोनों ने एक साथहँसते हुए कहा “ ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा “ 

 

के कामेश्वरी

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