टीटू अपनी दीदी को खोज रहा है, जो शायद किसी "सीक्रेटमिशन" पे गयी हैं. उसके बाल मन की कल्पनाशीलता को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है इस कहानी में. हाँ, समाज का दर्पण और उसके बन्धनों का खाका खीचते हुए एक सन्देश देने की कोशिश की गयी है, पर रचनात्मक और गैर-टीचर अंदाज़ में. अगर आपको लगे की शायद ऐसा हमारे आस पास दीदी के साथ होता है और ये सन्देश, ये अनुभव भी औरों के साथ साझा होना चाहिए.
तो ज़रूर देखे और दिखाएँ और लौट आई, टीटू की दीदी.