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बात शिक्षक दिवस के बहाने !! एक पहलू यह भी, अपवादस्वरूप ही सही.

4 सितम्बर 2022

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अतिथि अमरनाथ और उनकी पत्नी अरुंधती से आलोक और ज्योत्सना की गपशप के बीच उनके बेटे प्रतीक का दोस्त सौरभ एक खबरी बन आ पहुँचा और बालसुलभ जोश से बताया कि उस दिन उनकी क्लास में प्रतीक ने राजन सर से डांट के साथ ही पिटाई भी खाई थी I   प्रतीक और सौरभ से अब पूरा किस्सा सुना भी गया और समझा भी गया I   बात चमचमाते कांच की तरह साफ़ हो चुकी थी कि शाबासी का हक़दार प्रतीक बेवज़ह प्रताड़ना का ही शिकार हो गया था I

अमरनाथ साहब और अरुंधती जी आलोक के परिवार के पुराने स्नेही पारिवारिक मित्र थे I  मामला समझ आते ही अमरनाथ साहब ने आगबबूला हो आलोक से प्रिंसिपल के घर चलने के लिए कहा I   प्रिंसिपल से उनके संबंध व्यक्तिगत थे I शहर के जानेमाने वकील अमरनाथ कौल इसी नामी स्कूल में ब्रिटिश शासनकाल में छात्र हुआ करते थे और उनके सभी बेटों ने भी अपने अच्छे परिणामों से अपना तथा स्कूल का मान बढ़ाया था I  इस दौर में विद्यार्थियों को दंड देने के लिए
पिटाई प्रतिबंधित तो थी नहीं,  इसलिए अमरनाथ साहब का गुस्सा प्रतीक की पिटाई के कारण इतना नहीं था बल्कि उनकी हैरानी ने उनका पारा चढ़ा दिया था कि शिक्षक के अपने अज्ञान से उसके विद्यार्थी का ज्ञान प्रताड़ित हुआ था I

आलोक ने अमरनाथ साहब को शांत करवाकर उन्हें कहा कि वे बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहेंगे क्योंकि वे अनगिनत बच्चों का भविष्य संवारने वाले किसी-भी शिक्षक को सिर्फ एक ही घटना के कारण प्रबंधन और विद्यार्थियों में नीचा
दिखाने के पक्षधर नहीं थे I  उनके सामने संकट यह भी था कि शिक्षक की गलती उज़ागर कर दिए जाने पर प्रतीक का किशोरमन भविष्य में अपनी गलतियों को भी अध्यापक का ही पक्षपात या अज्ञान ना मान लिया करे लेकिन वे
यह भी नहीं चाहते थे कि उनकी संतान हतोत्साहित होकर अपनी कच्ची उम्र में ही कुंठाग्रस्त हो जाए या अपने अध्यापकों के प्रति आक्रोश से भर जाए और इस आशंका के समाधान के लिए भी उन्होंने अलग-से कोशिश करना तय कर लिया I

किस्सा हुआ यह था कि अपनी कुछ सुप्रतिष्ठित प्राचीन शिक्षण-संस्थाओं के लिए भी देशभर में एक ख़ास पहचान बना चुके उस शहर के एक नामी स्कूल में टैस्ट की कॉपियों की जाँच हो जाने के बाद अपनी-अपनी कॉपी देख रहे छात्रों में से प्रतीक ने अपने एक जवाब पर लाल गोला देख हिम्मत करके शिक्षक से कहा कि उसका उत्तर तो एकदम सही था I  शिक्षक ने शेष सभी छात्रों से सवाल दोहराया लेकिन उन सभी का मौखिक जवाब भी प्रतीक के जवाब से अलग ही था I  प्रतीक ने अपने पक्ष में कुछ कहने की कोशिश शुरू की ही थी कि गुस्साए शिक्षक ने डपटते हुए उसकी पिटाई भी कर दी I प्रतीक को संकट में डाल देने वाला वह प्रश्न यह था कि भारत में कुल कितने राज्य हैं ?  प्रतीक को छोड़ अन्य सभी छात्रों का जवाब था – 22 राज्य I

आलोक और ज्योत्सना दूरदर्शन पर समाचारों के प्रसारण के वक्त ही प्रतीक के साथ खाना खाया करते थे और इसके बाद पार्क में सैर करते सामान्य घटनाओं पर उसकी जिज्ञासा का समाधान भी हो जाता था I   उस क्लास-टैस्ट की पिछली शाम समाचार देखते प्रतीक जान चुका था कि उस दिन देश में दो नये राज्यों की स्थापना हो चुकी थी इसलिए उसने टैस्ट में राज्यों की संख्या 24 लिख दी थी लेकिन अध्यापक अभी-भी कोर्सबुक में छपे 22 राज्यों पर ही अटके हुए थे हालाँकि इससे साबित तो यह भी हो गया कि सामान्य ज्ञान पढ़ाने की ज़िम्मेवारी संभाल रहे वह अध्यापक उस दौर के टैलीविज़न के इकलौते चैनल ‘दूरदर्शन’ पर समाचार देखने या कोई दैनिक अख़बार पढ़ने में नियमित भी नहीं थे I

और फिर, यह बात भी अपनी जगह कि राजन सर को कभी-न -कभी तो अहसास हो ही गया होगा कि प्रतीक उनके हाथों अपने सहपाठियों के सामने बेवज़ह ही पिटा था लेकिन उन्होंने कभी-भी अपनी गलती ज़ाहिर नहीं की और ना ही वे कभी प्रतीक को पुचकार ही सके I

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