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बहन

15 सितम्बर 2019

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है नहीं मेरी कोई सगी बहन, फिर भी लिखता हूं यह कविता

रिश्ता है बहन का, बहती हुई एक सरिता


मैं नहीं समझा पाऊंगा भाईयो, क्या होता है रिश्ता बहन का

कैसी स्थिति थी हिरण्यक्यपु की, जब दिन था होलिका दहन का


क्या होती है बहन? कैसा होता है यह रिश्ता?

इसमें होता है कोई स्वार्थ, या होती है सच्ची निष्ठा?


सुने बहुत सारे गाने, जो बहन के बारे में आते हैं

जिनकी नहीं है कोई बहन, वे कैसे ये बाते समझते हैं


छोटी कहलाती छुटकी थी, बड़ी कहलाती है दीदी

पहली थी अपनी घर की लक्ष्मी, अब होगी किसी और की निधि


तो क्या है ऐसी कोई कुमारी, जो बनाएगी मुझे भाई

बांधेगी मुझे राखी, आज सूनी है मेरी कलाई

सोहमकुमार चौहान की अन्य किताबें

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वह थी अंदर और मैं था बाहर, कर रहा था मैं सबरबाहर आए फिर डॉक्टर साहब, दिया बाप बनने की खबरसुनकर यह बात मैं दौड़कर अंदर आयाबीवी के हाथों में उसको मैंने रोता हुआ पायापत्नी बोली मुझे कि बच्चा मुझ पर गया हैमैंने कहा उसको कि नाक तुझ पर गया हैलाऊं मैं पेड़े या लाऊं लड्डू, कौनसी लाऊं मैं मिठाईलगा जैसे हुआ प

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पूरा कर पढ़ाई अपनी, लिया मैंने अपना पहला कामथी नौकरी मेरी पहली, इसलिए नहीं थी मेरे लिए यह बात आमकाम करता था मैं दम लगाकर, मेरे साहब को यह बात अच्छा लगालेकिन था मैं एकदम नया नवेला, इसलिए काम मेरा कच्चा लगाबीत गया एक महिना, आज पहली तारीख आई हैसभी उत्साहित थे, मैं भी, क्योंकि तंख्वा लाई हैआया खाता मैं

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दोस्त

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Girlfriend के सामने मेरी बजाए मेरे दोस्तआंख में आंसू हो तो हंसाए मेरे दोस्तदुश्मनो के सामने अपने भाई बन जाते हैंमेरे मां-बाप के सामने वे गाय बन जाते हैंकुछ अच्छे तो कुछ बुरे गाए मेरे दोस्तआंख में आंसू हो तो हंसाए मेरे दोस्तजन्मदिन के अवसर पर तशरीफ सूझा देते हैंमन की सारी ज्वाला एक आलिंगन से बुझा देत

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शिव

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हे शिव शंभू, आपकी महिमा अपरम्पार हैहमारे तो हैं दो हाथ, आपके हज़ार हैंआपकी जटा से तो गंगा बहती हैआप जैसा वर मिले, यह हर लड़की कहती हैआपसे मिलने बद्रीनाथ, सभी तैयार हैंहमारे तो हैं दो हाथ, आपके हज़ार हैंआपके गले उतरने से ज़हर भी रुक जाता हैअपके सामने आकर पूरा संसार झुक जाता हैभक्तों के कष्ट दूर करने

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मज़ा आ गया

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श्याम को राधा चाहे, राधा को चाहे श्यामराधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शामकान्हा बजाए बांसुरी और राधा गाए गीतदेव और दैत्य बैठें देखे उनकी प्रीतदूर रखकर बंधन और दूर रखकर रीतप्रेम यह पाप नहीं, करो सरेआमराधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शामदिन को चले लीला और रात को चले रासतन से भले दूर रहे, मन से रहे पासएक ही

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दिनभर के थकान को एक झटके में खोने दोहो गई है रात, अब यार मुझे सोने दोआंखे हुई बंद तो अलग सा एहसास हुआबिस्तर होता आम है, पर उस समय वह खास हुआसपनों के ठेले को मुझे खुद ढोने दोहो गई है रात, अब यार मुझे सोने दोहैं पैसे हराम के, तो यह आपके साथ नहींआती है यह सबको, ऐसी यह बात नहींमैं इसे चाहता हूं, मुझे ईम

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हम लाए नए जीवन को और कराए स्तनपानहम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समानहम किसी आदमी से अब डरना नहीं चाहतेहम अपनी मां के गर्भ में अब मरना नहीं चाहतेहम भी करना चाहेंगे अपने खर्चों का भुगतानहम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समानहम भी आगे बढ़ेंगे तो काम आगे बढ़ेगाहम आपके साथ मिल जाए तो देश का नाम आगे बढ़ेगा

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भाव का मैंने फल एक लायाउसका मैंने रस है निकालारस से मैंने स्याही बनाईउसी से एक कविता लिख डालातुकबंदी का मिर्च मसालाअच्छी तरह से इसे कुटा मेरे भायामहक जो उसका कमाल पायाअंदर तक मैंने उसको है मिलायाकल्पना में जो रंग भरा हैउसी रंग से रंग दे पन्नों कोस्वाद है डाला इसने ऐसाजलन हो जाए मीठे गन्नों कोये सब ल

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