पूरा कर पढ़ाई अपनी, लिया मैंने अपना पहला काम
थी नौकरी मेरी पहली, इसलिए नहीं थी मेरे लिए यह बात आम
काम करता था मैं दम लगाकर, मेरे साहब को यह बात अच्छा लगा
लेकिन था मैं एकदम नया नवेला, इसलिए काम मेरा कच्चा लगा
बीत गया एक महिना, आज पहली तारीख आई है
सभी उत्साहित थे, मैं भी, क्योंकि तंख्वा लाई है
आया खाता मैं पहला पगार, एहसास हुआ ज़िम्मेदारी की
याद आया परिवार मेरा, याद आई मुझे यारी की
तो सोचा मैंने आज अभी, क्यों न एक महफ़िल हो जाए
पुराने बुरे दिन याद रखना, एक चुटकी में मुश्किल हो जाए
तो रखी मैंने एक छोटी महफ़िल, आए दोस्त परिवार मेरे
खुश था मैं बहुत तो, लुटाया मैंने हज़ार मेरे
तो आगे का पगार जब मिलेगा, उसको अच्छी तरह बचाऊंगा
इज़्ज़त होगी जब मेरी, तब एक सुंदर सी बहू लाऊंगा