भाव का मैंने फल एक लाया
उसका मैंने रस है निकाला
रस से मैंने स्याही बनाई
उसी से एक कविता लिख डाला
तुकबंदी का मिर्च मसाला
अच्छी तरह से इसे कुटा मेरे भाया
महक जो उसका कमाल पाया
अंदर तक मैंने उसको है मिलाया
कल्पना में जो रंग भरा है
उसी रंग से रंग दे पन्नों को
स्वाद है डाला इसने ऐसा
जलन हो जाए मीठे गन्नों को
ये सब लेकर तुम भी एक दिन
लिखो रचनाएं बहुत सारे
कविता कैसे बनती है यह
समझाया मैंने तुम्हे प्यारे