स्वर्गीय बाला साहब का नारा ‘मराठा मानुष’ से सत्ता की चाह तक उद्धव ठाकरे डॉ शोभा भारद्वाज एक मई 1960 बाम्बे प्रेसिडेंसी टूटने के बाद दो नये राज्यों का निर्माण हुआमहाराष्ट्र एवं गुजरात बाला साहब ठाकरे कोमहाराष्ट्र के राजनीतिक धरातल का भरपूर ज्ञान था | वह ‘मराठी मानुष के गौरव’ के ना
आओं लौट चले तिनका तिनका जोड़कर, चिड़ियाँ बना लेती हैं बबूर मे घोसला |उड़कर-उड़कर पंख पसार, करती नदी सागर घर आँगन पार |पर ना जाने क्यो? चुँगने उड़ने के बाद, घर को वापस आती हैं |भर चोंच मे दाना लिए ऊँची उड़ान, लौट आती हैं बच्चो के लिए |भोर भई चहचाई चिड़ियाँ अपनी डाली मे, अब तो
है नहीं मेरी कोई सगी बहन, फिर भी लिखता हूं यह कवितारिश्ता है बहन का, बहती हुई एक सरितामैं नहीं समझा पाऊंगा भाईयो, क्या होता है रिश्ता बहन काकैसी स्थिति थी हिरण्यक्यपु की, जब दिन था होलिका दहन काक्या होती है बहन? कैसा होता है यह रिश्ता?इसमें होता है कोई स्वार्थ, या होती है सच्ची निष्ठा?सुने बहुत सारे
न वर्दी, न तिरंगा, यह तो खूनी कफ़न हैं ।वर्दी मे हसता खिलखिलाता मेरा सपूत दिखता हैं वह चेहरा मेरी आंखो मे चमकता हैं। उसकी बाजुओ मे लटकती बंदूक खिलौना लगती हैं। वह उस खिलौने से न खेल सका। वह उस पल को न समझ सका न खेल सका, अपनी पत्नी, माँ, बच्चों को छोड़ गया, रोने की किलकारी सब मे, लिपटे कफ़न तिरंगे मे
पिताजी जोऱ से चिल्लाते हैं ।प्रिंस दौड़कर आता है, औरपूछता है…क्या बात है पिताजी?पिताजी- तूझे पता नहीं है, आज तेरी बहन रौनक आ रही है?वह इस बार हम सभी के साथ अपना जन्मदिन मनायेगी..अब जल्दी से जा और अपनी बहन को लेके आ,हाँ और सुन…तू अपनी नई गाड़ी लेकर जा जो तूने कल खरीदी है…उसे अच्छा लगेगा,प्रिंस – लेक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रक्षा बंधन पर आज उनकी मुंहबोली बहन कमर मोहसिन शेख ने राखी बांधी और उनके स्वास्थ्य तथा लंबी आयु की कामना की। सुश्री शेख सुबह प्रधानमंत्री आवास सात लोक कल्याण मार्ग पहुंची और प्रधानमंत्री को पूरे विधि विधान से राखी बांधी। बाद में उन्होंने संवादद
चले गए हो तुम यूँ अचानक और ले गए हो साथ अपने सारी खुशियाँ सारा उत्साह और जीने की चाह | सब कुछ | जिंदगी चल तो रही है तुम बिन पर क्या सच में जिन्दा हैं हम पापा खामोश हैं और मम्मी भी चुप हैं होंठ तो फिर भी बोल पड़ते हैं पर आँ
°°°°°°°°°°°°°°°°°°कल फोन आया था,एक बजे ट्रेन से आ रही है..! किसी को स्टेशन भेजने की बात चल ऱही थी ।सच भी था... आजरिया ससुराल से दूसरी बार दामाद जी के साथ.. आ रही हैं; घर केमाहौल में उत्साह सा महसूस हो रहा हैं ।इसी बीच .....एक तेज आवाज आती हैं ~"इतना सब देने की क्या ज