कृष्णकांत और रमाकांत चचेरे भाई थे उनके बीच प्रगाढ दोस्ती थी । वे लगभग 24 घंटे साथ बिताते थे।धमधा ग्राम के वे निवासी थे और उनकी खेती की ज़मीन वहां से 5किमी दूर ग्राम धर्मपुरा में थी। वे दौनों अपने खेत को रेघ में दे देते थे और दिन भर दौनों धमधा मेँ आवारा गर्दी करते थे। पीते खाते थे। उनके बीच दुर्ग स्थित उनके दादा के नाम की ज़मीन के कारण ऐसा विवाद हुआ कि वीक दूजे को देखना भी पसंद नहीं करते थे । आगे चलकर यह विवाद सुलझ जाता है वह कैसे सुलझा यह एक प्रश्न है।
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