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"एक भारत - श्रेष्ठ भारत"

18 दिसम्बर 2015

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निसंदेह "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" एक उत्तम विचार है जो कि हमारे माननीय प्रधान मंत्री द्वारा साझा किया गया है राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर 2015 को, जिसमे उन्होंने राज्यों के बीच संस्कृतियों और कल्चर के आदान प्रदान वाला अपना पक्ष रखा. परंतु "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" के सपने को साकार करने के लिए कुछ और भी करने की जरूरत है वर्तमान भारत के परिदृश्य को देखते हुए.


चलिए अब हम वास्तविक विषय में आते है."एक भारत,श्रेष्ठ भारत" कुछ ऐसा सपना है जहाँ हम एक छत के नीचे सब को ला पाने में समर्थ हो सकें, जहाँ विरोध और आलोचनाओं की संभावनाएं ना के बरावर हो, जहाँ देश और समाज में कार्य और परोपकार पे बल दिया जाता हो, जहाँ जाती,धर्म,भाषा,क्षेत्र आदि से ऊपर देश हित और इंसानियत पे बल दिया जाता हो. वास्तविकता में यह एक सपने जैसा है वो भी भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में, लेकिन इस सपने को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है कुछ सार्थक पहल करके. 


वैसे हमारे देश में पहले से ही बहोत सारी संवैधानिक संरचनाएं मौजूद है जो संविधान के तहत अपने अपने दायित्यों का पालन करते हुए देश और समाज के लिए काम कर रही हैं.


आज के भारत और आने वाले समय को देखते हुए मै ये मानता हूँ की हमें अपने विशाल देश में एक ऐसे संगठनात्मक प्रारूप की आवस्यकता है जो सब को एक छत के नीचे ला सके, एक ऐसी संरचना या संगठन जहाँ जुड़ने से पहले या जुड़ते वक्त और जुड़ने के बाद भी कोई मतभेद या आलोचन ना हो, क्यों कि संगठन का मूल मन्त्र एक ही होना चाहिए "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" जिसमे अध्यक्ष के रूप में सर्वमान्य देश के राष्ट्रपति हो और जिसके सदस्य सभी राजनैतिक पार्टियों के अध्यक्ष हो,(क्योँ की सबसे जादा इन्ही का एक छत के नीचे आना जरूरी है) न्यायपालिका एवं वुरोक्रेसी के व्यक्ति विशेष हों,समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनो के अध्यक्ष हो.


अगर हम वास्तव में ऐसे किसी संगठन को अस्तित्व में ला सकें तो ये वाकई "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" की तरफ हमारा सफतापूर्वक बढ़ता हुआ एक कदम होगा,और यह एक अद्भुत और अकल्पनीय संगठन होगा जो विश्व में जाना जायेगा "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" के नाम से.


संगठन का काम देश और इंसानियत का हित सोचना और उसके लिए कार्य करना होगा, देश के ताने बाने को मजबूत करना होगा.वैसे यहाँ जिन जिन को जोड़ने की बात कही गयी है वो सभी पार्टियां,संगठन,व्यक्ति आदि सभी अपने अपने स्तर और अपने अपने तरीके से अपने दायित्यों का पालन करते हुए देश और इंसानियत के हित में अपना योगदान निरंतर देते हुए आ रहे है, अंतर बस यहाँ इतना है की सब को एक छत के नीचे लाने का प्रयास किया जा रहा है "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" के सपने को चरितार्थ करने के लिए जहाँ विरोध और आलोचनाओं (जो की वास्तविकता में सबसे बड़ा अवरोध है हमारी पूरी व्यवस्था का) की गुंजाइस बहोत कम होगी. 


ये एक संगठनात्मक विचार है इसके क्रिया कलापों की रूपरेखा, दिशा और दशा तय करने के लिए बुद्धिजीवियों के विचार,शोध और चिंतन की आवश्यकता रहेगी. 


Constitution of Organization बनाने के लिए एक सार्थक प्रक्रिया तथा आम राय से गुजरना पड़ेगा. 

इस संगठनात्मक संरचना के निर्माण में केंद्र सरकार अपना अहम् रोल निभाए और राज्य सरकारें इसके कार्यकलापों को बेहतर क्रियान्वयन के लिए अपना योगदान दें.


"एक भारत,श्रेष्ठ भारत" ये जो परिकल्पना है ये किसी पार्टी,दल,व्यक्ति,जाती,सम्प्रदाय,भाषा,क्षेत्र की नहीं है, ये तो समस्त भारत को एक धागे में पिरोने की तरफ एक बढ़ता हुआ कदम है जिसे एक जन आंदोलन का रूप दिया जा सकता है आने वाले समय में. इस परिकल्पना में सिविल सोसाइटी और जन मानस का किरदार धीरे धीरे अपने आप स्पस्ट होता चला जायेगा. सोसल मीडिया के तहत इस संगठनात्मक परिकल्पना को लोगों तक पहुंचाने का काम भी एक महत्वपूर्ण दायित्व है.


"भारतीय लोग वैसे ही संगठित है "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" के सपने को पूरा करने के लिए,जब उनके सामने इस तरह का संगठनात्मक स्वरुप जायेगा (जिसमे खासतौर पर सारे राजनैतिक दल एक छत के तले होंगे एक Common object  के लिए) तो वे और बढ़ चढ़ के हिस्सा लेंगें इस सपने को साकार करने के लिए. हाँ इस परिकल्पना में किसी का व्यक्तिगत फायदा तो नहीं होगा लेकिन देश के भले के लिए हम आगे बढ़ चुके होंगें. "परंतु मुद्दे की बात ये होगी यहाँ की कोई राजनैतिक दल जुड़ेगा क्यो इस संगठनात्मक संरचना से ?? " जो की हर समय किसी ना किसी मुद्दे में अपना फायदा देखते हो" - जवाव है  "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" बिना आरोप प्रत्यारोप और बिना आलोचना के.


हो सकता है मैंने संगठनात्मक किरदार चुनने में कोई त्रुटि की हो पर इस अद्भुत "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" की परिकल्पना को पूर्ण करने के लिए और एक मजबूत बुनियाद देने के लिए इससे अच्छे किरदार मिले नहीं मुझे, राष्ट्रपति से बड़ा कोई संवैधानिक सर्वमान्य पद नही अध्यक्षता के लिए जिसके अंतर्गत समस्त राजनैतिक दलों के अधयक्षो को लाया जा सके.


अंततः मै यही कहना चाहुगा की हो सकता है त्रुटियाँ हुई हो मुझसे यहाँ लिखने में लेकिन उद्देश्य स्पस्ट था  "एक भारत,श्रेष्ठ भारत". 


मैंने एक कोसिस की यहाँ अपना विचार रखने की, किस हद तक कामयाब रहा अपने विचार को समझा पाने में ये तो मैं नहीं बता सकता परंतु इतना जरूर कह सकता हु की यह भी एक निर्णायक कदम हो सकता है हमारे सपनो का "एक भारत,श्रेष्ठ भारत" बनाने का.


माना की समय लगेगा लेकिन नामुमकिन कुछ भी नहीं इस चरा चर जगत में.


भवदीय,

मनीष सिंह परिहार 

इंदौर मध्य प्रदेश 

मोबाइल 9329545208


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